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'नीतीश कुमार को महागठबंधन में आना है तो स्वीकार करना होगा तेजस्वी का नेतृत्व'

नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच बढ़ती नजदीकियों को लेकर राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि अबकी बार नीतीश कुमार की महागठबंधन में एंट्री तभी संभव है, जब वे तेजस्वी यादव का नेतृत्व स्वीकार करें, नहीं तो 'नो एंट्री...' पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Aug 26, 2021, 10:57 AM IST

पटनाः बिहार की राजनीति में इन दिनों हलचल काफी तेज है. एक तरफ जातिगत जनगणना पर घमासान (Caste Census) मचा हुआ है, वहीं दूसरी तरफ प्रदेश की सबसे बड़ी पार्टी आरजेडी (RJD) में गहमागमी है. जातीय जनगणना के मसले पर नीतीश कुमार (Nitish Kumar) और तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) के बीच बढ़ती नजदीकी की खबरें भी सुर्खियों में हैं. इस बीच राजद प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह (Jagdanand Singh) ने महागठबंधन में नीतीश कुमार की एंट्री को लेकर बड़ा बयान दिया है.

इसे भी पढे़ं- वंशवाद न बढ़े.. इसलिए बेटे को नहीं दिलवाया था टिकट, 'जगदा बाबू' को और कितना जानते हैं आप?

ये पूछे जाने पर कि अगर भाजपा-जदयू की राहें जुदा हुई तो आप लोगों का क्या स्टैंड होगा, इस सवाल के जवाब में जगदानंद सिंह ने सीधे-सीधे कहा कि पिछली बार हमने नीतीश को महागठबंधन में लिया था, उनका नेतृत्व स्वीकार किया था. हमारी ज्यादा सीटें आने के बाद भी हमने अपना वादा पूरा किया था.

उन्होंने कहा कि बीजेपी के खिलाफ जो भी महागठबंधन में आना चाहेगा, उसके लिए दरवाजा खुला है. लेकिन महागठबंधन में नीतीश कुमार की एंट्री तेजस्वी का नेतृत्व स्वीकार करने पर ही संभव है. नहीं, तो कोई एंट्री नहीं है. एक इंटरव्यू के दौरान राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह बोल रहे थे.

इसे भी पढे़ं- न इकरार न इंकार, इस्तीफे पर बोले जगदा बाबू- 'इतना आसान नहीं है मुझसे बुलवाना'

हालांकि, राजद और जदयू के बीच दूरी कम होने को लेकर उन्होंने साफ कर दिया है कि यह दूरी कभी कम नहीं हो सकती है. नीतीश कुमार पर तंज कसते हुए जगदानंद सिंह ने कहा कि वे फासिस्ट पार्टी का सहयोग कर रहे हैं. उन्होंने जनता के साथ धोखा किया है. वे अब समाजवादी नहीं रहे. वे अब सत्ता के लिए किसी भी हाथ मिला सकते हैं. लेकिन भाजपा का विरोध करने के लिए महागठबंधन का रास्ता सशर्त खुला हुआ है.

तेजप्रताप यादव के साथ विवाद के सवाल पर राजद प्रदेश अध्यक्ष ने कोई जवाब नहीं दिया. वहीं लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव के नेतृत्व में फर्क के सवाल पर उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव के साथ वे इसलिए काम नहीं कर रहे क्योंकि वे लालू यादव के बेटे हैं. बल्कि इसलिए कर रहे हैं क्योंकि वे अब वे एक नेता बन चुके हैं. तेजस्वी ने पार्टी की स्वीकार्यता उन दलों तक बढ़ाई है, जहां तक लालू यादव भी नहीं बढ़ा पाये थे.

इसे भी पढ़ें- PM से मुलाकात के बाद विपक्ष की बढ़ी उम्मीद, BJP बोली- इंतजार करें, सोच समझकर होगा फैसला

जातीय जनगणना के मुद्दे पर प्रधानमंत्री और तेजस्वी की मुलाकात को लेकर जगदानंद सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार के कहने पर तेजस्वी प्रधानमंत्री के यहां नहीं गए, बल्कि तेजस्वी के कहने पर नीतीश कुमार प्रधानमंत्री के यहां गए. जुलाई में तेजस्वी यादव के द्वारा विधानसभा का एक सर्वदलीय शिष्टमंडल मुख्यमंत्री के नेतृत्व में प्रधानमंत्री से मिलकर उनके समक्ष अपनी मांग रखे. इसी को लेकर दोनों नेताओं की मुलाकात हुई.

वहीं, जातीय जनगणना कराने पर असमर्थता की स्थिति में राज्य सरकार को अपने स्तर से इसे कराने की राय जगदानंद सिंह ने दी है. उन्होंने इसे लेकर कर्नाटक का हवाला दिया.

इसे भी पढे़ं- Bihar Politics: RJD के सामने भविष्य में प्रदेश नेतृत्व का संकट, बड़ा सवाल- जगदानंद के बाद कौन?

हाल के दिनों में नाराजगी को लेकर पूछे गए सवाल पर राजद प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि वे कोई बच्चा नहीं हैं, जो नाराज होंगे. राजद के संविधान के अनुसार उनसे उपर केवल लालू प्रसाद यादव हैं, उनके अलावा कोई नहीं. लालू यादव जब नेता नहीं थे, तभी से दोनों का साथ है. उन्होंने अपने आप को लेकर कहा कि वे न तो 74 की उपज हैं और न ही 90 की. बिहार की राजनीति में छात्र नेता के रूप में उनकी शुरुआत सन 62-63 की है. जगदानंद सिंह ने कहा कि 'मैं रूटलेस नहीं हूं.'

पटनाः बिहार की राजनीति में इन दिनों हलचल काफी तेज है. एक तरफ जातिगत जनगणना पर घमासान (Caste Census) मचा हुआ है, वहीं दूसरी तरफ प्रदेश की सबसे बड़ी पार्टी आरजेडी (RJD) में गहमागमी है. जातीय जनगणना के मसले पर नीतीश कुमार (Nitish Kumar) और तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) के बीच बढ़ती नजदीकी की खबरें भी सुर्खियों में हैं. इस बीच राजद प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह (Jagdanand Singh) ने महागठबंधन में नीतीश कुमार की एंट्री को लेकर बड़ा बयान दिया है.

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ये पूछे जाने पर कि अगर भाजपा-जदयू की राहें जुदा हुई तो आप लोगों का क्या स्टैंड होगा, इस सवाल के जवाब में जगदानंद सिंह ने सीधे-सीधे कहा कि पिछली बार हमने नीतीश को महागठबंधन में लिया था, उनका नेतृत्व स्वीकार किया था. हमारी ज्यादा सीटें आने के बाद भी हमने अपना वादा पूरा किया था.

उन्होंने कहा कि बीजेपी के खिलाफ जो भी महागठबंधन में आना चाहेगा, उसके लिए दरवाजा खुला है. लेकिन महागठबंधन में नीतीश कुमार की एंट्री तेजस्वी का नेतृत्व स्वीकार करने पर ही संभव है. नहीं, तो कोई एंट्री नहीं है. एक इंटरव्यू के दौरान राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह बोल रहे थे.

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हालांकि, राजद और जदयू के बीच दूरी कम होने को लेकर उन्होंने साफ कर दिया है कि यह दूरी कभी कम नहीं हो सकती है. नीतीश कुमार पर तंज कसते हुए जगदानंद सिंह ने कहा कि वे फासिस्ट पार्टी का सहयोग कर रहे हैं. उन्होंने जनता के साथ धोखा किया है. वे अब समाजवादी नहीं रहे. वे अब सत्ता के लिए किसी भी हाथ मिला सकते हैं. लेकिन भाजपा का विरोध करने के लिए महागठबंधन का रास्ता सशर्त खुला हुआ है.

तेजप्रताप यादव के साथ विवाद के सवाल पर राजद प्रदेश अध्यक्ष ने कोई जवाब नहीं दिया. वहीं लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव के नेतृत्व में फर्क के सवाल पर उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव के साथ वे इसलिए काम नहीं कर रहे क्योंकि वे लालू यादव के बेटे हैं. बल्कि इसलिए कर रहे हैं क्योंकि वे अब वे एक नेता बन चुके हैं. तेजस्वी ने पार्टी की स्वीकार्यता उन दलों तक बढ़ाई है, जहां तक लालू यादव भी नहीं बढ़ा पाये थे.

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जातीय जनगणना के मुद्दे पर प्रधानमंत्री और तेजस्वी की मुलाकात को लेकर जगदानंद सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार के कहने पर तेजस्वी प्रधानमंत्री के यहां नहीं गए, बल्कि तेजस्वी के कहने पर नीतीश कुमार प्रधानमंत्री के यहां गए. जुलाई में तेजस्वी यादव के द्वारा विधानसभा का एक सर्वदलीय शिष्टमंडल मुख्यमंत्री के नेतृत्व में प्रधानमंत्री से मिलकर उनके समक्ष अपनी मांग रखे. इसी को लेकर दोनों नेताओं की मुलाकात हुई.

वहीं, जातीय जनगणना कराने पर असमर्थता की स्थिति में राज्य सरकार को अपने स्तर से इसे कराने की राय जगदानंद सिंह ने दी है. उन्होंने इसे लेकर कर्नाटक का हवाला दिया.

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हाल के दिनों में नाराजगी को लेकर पूछे गए सवाल पर राजद प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि वे कोई बच्चा नहीं हैं, जो नाराज होंगे. राजद के संविधान के अनुसार उनसे उपर केवल लालू प्रसाद यादव हैं, उनके अलावा कोई नहीं. लालू यादव जब नेता नहीं थे, तभी से दोनों का साथ है. उन्होंने अपने आप को लेकर कहा कि वे न तो 74 की उपज हैं और न ही 90 की. बिहार की राजनीति में छात्र नेता के रूप में उनकी शुरुआत सन 62-63 की है. जगदानंद सिंह ने कहा कि 'मैं रूटलेस नहीं हूं.'

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