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Bihar Caste Census: 'जातीय आधारित गणना का काम रोकना आश्चर्यजनक'- बोले, विजय कुमार चौधरी

पटना हाईकोर्ट ने गुरुवार को बिहार में जातिगत गणना कार्य पर रोक लगा दी थी. पटना हाईकोर्ट के फैसले से बिहार सरकार को बड़ा झटका लगा था. अगली सुनवाई 3 जुलाई को होने वाली है. बिहार के वित्त मंत्री ने कोर्ट के इस फैसले को आश्चर्यजनक बताया है. पढ़ें, विस्तार से.

विजय कुमार चौधरी
विजय कुमार चौधरी
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Published : May 5, 2023, 10:57 PM IST

पटना: वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने उच्च न्यायालय द्वारा जातीय आधारित गणना का काम पर रोक लगाने को आश्चर्यजनक बताया है. उन्होंने कहा कि इस आदेश के अनुसार राज्य सरकार अपनी आबादी के विभिन्न समूहों की गणना एवं उनके आर्थिक स्थिति का सर्वेक्षण नहीं करा सकती है. प्रश्न यह है कि कल्याणकारी राज्य में विभिन्न गरीब एवं वंचित परिवारों की पहचान कर उन्हें विशेष लाभ प्रदान करने के लिए योजनाएं फिर कैसे बन पायेंगी?

इसे भी पढ़ेंः Bihar Caste Census: जातीय जनगणना पर जल्द सुनवाई के लिए बिहार सरकार पहुंची पटना हाईकोर्ट, दायर की याचिका

"उच्च न्यायालय के आदेश पर भाजपा नेताओं की अकबकाहट स्पष्ट प्रतीत हो रही है. इस फैसले में भी उनकी हठता सरकार के विरोध का अवसर ही दिखता है. यह गणना हर जाति में गरीबों की पहचान करने की थी, जिसके आधार पर भविष्य में वास्तविक संख्या का पता लगाकर हर जाति के गरीब लोगों के लिए योजनाएं बनायी जाती"- विजय कुमार चौधरी, वित्त मंत्री

निजता के अधिकार का हनन नहींः वित्त मंत्री ने कहा कि न्यायालय ने दोनों तरह की बातें की हैं, जिसमें कहा गया है कि विधानमंडल में जब सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित हुआ, तो फिर इसके लिए कानून क्यों नहीं बनाया गया है? इसके विपरीत इसी आदेश में यह भी कहा गया है कि इस पर कानून बनाना विधान सभा के क्षेत्राधिकार से बाहर है. दूसरी ओर, इसी प्रकार की सूचनाएं जब भारत सरकार के द्वारा सामान्य जनगणना में ली जाती हैं तो उससे निजता के अधिकार का हनन नहीं होता, तो फिर वैसी ही सूचनाएं अगर राज्य सरकार संकलित करती है, तो फिर किसी व्यक्ति के निजता के अधिकार का हनन कैसे होगा.

भाजपा नेताओं में अकबकाहटः वित्त मंत्री ने कहा कि बिहार की जनता इस बात को समझ रही है कि जनहित में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस कल्याणकारी मुहिम को रोकने में किन-किन दलों और किन-किन लोगों की क्या-क्या भूमिका रही है. चौधरी ने कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश पर भाजपा नेताओं की अकबकाहट स्पष्ट प्रतीत हो रही है. इस फैसले में भी उनकी हठता सरकार के विरोध का अवसर ही दिखता है. उन्होंने कहा कि यह गणना हर जाति में गरीबों की पहचान करने की थी, जिसके आधार पर भविष्य में वास्तविक संख्या का पता लगाकर हर जाति के गरीब लोगों के लिए योजनाएं बनायी जाती.

पटना: वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने उच्च न्यायालय द्वारा जातीय आधारित गणना का काम पर रोक लगाने को आश्चर्यजनक बताया है. उन्होंने कहा कि इस आदेश के अनुसार राज्य सरकार अपनी आबादी के विभिन्न समूहों की गणना एवं उनके आर्थिक स्थिति का सर्वेक्षण नहीं करा सकती है. प्रश्न यह है कि कल्याणकारी राज्य में विभिन्न गरीब एवं वंचित परिवारों की पहचान कर उन्हें विशेष लाभ प्रदान करने के लिए योजनाएं फिर कैसे बन पायेंगी?

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"उच्च न्यायालय के आदेश पर भाजपा नेताओं की अकबकाहट स्पष्ट प्रतीत हो रही है. इस फैसले में भी उनकी हठता सरकार के विरोध का अवसर ही दिखता है. यह गणना हर जाति में गरीबों की पहचान करने की थी, जिसके आधार पर भविष्य में वास्तविक संख्या का पता लगाकर हर जाति के गरीब लोगों के लिए योजनाएं बनायी जाती"- विजय कुमार चौधरी, वित्त मंत्री

निजता के अधिकार का हनन नहींः वित्त मंत्री ने कहा कि न्यायालय ने दोनों तरह की बातें की हैं, जिसमें कहा गया है कि विधानमंडल में जब सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित हुआ, तो फिर इसके लिए कानून क्यों नहीं बनाया गया है? इसके विपरीत इसी आदेश में यह भी कहा गया है कि इस पर कानून बनाना विधान सभा के क्षेत्राधिकार से बाहर है. दूसरी ओर, इसी प्रकार की सूचनाएं जब भारत सरकार के द्वारा सामान्य जनगणना में ली जाती हैं तो उससे निजता के अधिकार का हनन नहीं होता, तो फिर वैसी ही सूचनाएं अगर राज्य सरकार संकलित करती है, तो फिर किसी व्यक्ति के निजता के अधिकार का हनन कैसे होगा.

भाजपा नेताओं में अकबकाहटः वित्त मंत्री ने कहा कि बिहार की जनता इस बात को समझ रही है कि जनहित में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस कल्याणकारी मुहिम को रोकने में किन-किन दलों और किन-किन लोगों की क्या-क्या भूमिका रही है. चौधरी ने कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश पर भाजपा नेताओं की अकबकाहट स्पष्ट प्रतीत हो रही है. इस फैसले में भी उनकी हठता सरकार के विरोध का अवसर ही दिखता है. उन्होंने कहा कि यह गणना हर जाति में गरीबों की पहचान करने की थी, जिसके आधार पर भविष्य में वास्तविक संख्या का पता लगाकर हर जाति के गरीब लोगों के लिए योजनाएं बनायी जाती.

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