पटना : केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह (Union Minister RCP Singh) ने क्या नीतीश को झटका दिया है? क्या जेडीयू के नंबर दो की हैसियत रखने वाले RCP ने बीजेपी ज्वाइन कर ली है? ये वो सवाल हैं जो बिहार ही नहीं बल्कि देश में पूछे जा रहे हैं. इसकी वजह आरसीपी सिंह को वो फोटो है जिसमें वो 2-3 जुलाई को हैदराबाद में दिखाई दे रहे हैं. उनके पीछे बीजेपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक (BJP National Executive Meeting ) का कट आउट लगा है. साथ ही पोस्टर में कमल का फूल भी दिखाई दे रहा है. बीजेपी के कार्यकर्ता रेड कार्पेट पर उनका टीका चंदन कर रहे हैं. कुछ कार्यकर्ता RCP सिंह को शॉल पहनाते हुए दिख रहे हैं. इस फोटो से सीन कुछ ऐसा बन गया कि आरसीपी सिंह ने बीजेपी ज्वाइन कर ली है.
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इस वजह से पैदा हुई गफलत: दरअसल हुआ ऐसा कि जब आरसीपी सिंह हैदराबाद में अपने मंत्रालय संबंधी कार्यक्रम में शामिल होने एयरपोर्ट पर उतरे तो वहां मौजूद बीजेपी कार्यकर्ताओं ने उनका जोरदार स्वागत किया. उन्हें टीका चंदन लगाया और सम्मान में शॉल भी ओढ़ाई. इस दौरान 'तेलंगाना बीजेपी' के ट्विटर एकाउंट से एक ट्वीट किया गया. जिसमें एक फोटो पोस्ट कर लिखा गया कि 'श्री आरसीपी सिंह राष्ट्रीय कार्यकारिणी में भव्य स्वागत'. इस ट्वीट के बाद ये कयास लगाए जाने लगे कि आरसीपी सिंह 2-3 जुलाई को हैदराबाद में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में शामिल हुए थे और वहीं पर उन्होंने बीजेपी ज्वाइन किया था.
इस फोटो से बिहार की सियासत में खलबली मच गई. कहा जाने लगा कि आरसीपी सिंह ने बीजेपी ज्वाइन कर लिया है. हालांकि राज्यसभा सांसद और बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी ने आरसीपी सिंह के बीजेपी ज्वाइन करने की खबर का खंडन किया है, उन्होंने कहाा- 'यह समाचार पूरी तरह से भ्रामक, सरकारी कार्यक्रम के सिलसिले में आरसीपी हैदराबाद आए और एयरपोर्ट पर मौजूद भाजपा कार्यकर्ताओं ने उनका स्वागत कर दिया.'
अफवाह इसलिए मानी जा रही सच: कयास इसलिए भी लगाए जा रहे हैं क्योंकि जनता दल यूनाइटेड में आरसीपी सिंह की स्थिति ठीक नहीं है. कभी पार्टी में फ्रंट फुट पर खेलने वाले आरसीपी JDU के अंदर चल रही बयानबाजियों के चलते बैकफुट पर चले गए हैं. RCP सिंह बिहार जेडीयू के ऐसे नेता रहे हैं जिनपर नीतीश आंखें मूंदकर विश्वास करते रहे हैं. आरसीपी सिंह जेडीयू में रहते हुए कई पदों के दायित्व का निर्वहन कर चुके हैं. मौजूदा समय में भी आरसीपी जेडीयू में ही हैं. पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष तक बनाया था. JDU कोटे से केंद्र में मंत्री बनने के बाद से नीतीश और आरसीपी के बीच खाईं गहरी होती चली गई. पार्टी के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा के चलते दोनों के बीच दूरी तेजी से बढ़ी, नतीजा ये हुआ कि आरसीपी सिंह को राज्यसभा का टिकट भी नहीं मिल पाया.
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JDU में हाशिए पर चली गई थी RCP की पॉलिटिक्स: पिछले डेढ़ दशक से नीतीश कुमार से नजदीकी के कारण आरसीपी सिंह का सिक्का जदयू में बोलता रहा. नीतीश कुमार के बाद दो नंबर कुर्सी के दावेदार माने जाते रहे हैं. जदयू में आरसीपी सिंह का कद इसी से पता चलता था कि बिना उनकी अनुमति के विधानसभा, लोकसभा और विधान परिषद के लिए उम्मीदवार बनना संभव नहीं था. पार्टी में ललन सिंह जैसे दिग्गज नेताओं के रहते हुए आरसीपी सिंह केंद्र में मंत्री बन गए. लेकिन केंद्र में मंत्री बनने के बाद से ही आरसीपी सिंह की पार्टी पर पकड़ कमजोर होती गई.
जब बंगले से बेदखल हो गए आरसीपी: आरसीपी सिंह को राज्यसभा सीट से वंचित करने के बाद बंगले से भी बेदखल कर दिया गया है. यहां तक की उनके करीबियों को भी पार्टी से निलंबित कर दिया गया. इसके बाद जदयू संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कहा था कि आरसीपी सिंह को कार्यकाल पूरा करने से पहले ही मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे देना चाहिए. दरअसल आरसीपी सिंह जिस बंगले में रह रहे थे ऐसे तो यह बंगला 7 एमए स्ट्रैंड रोड नीतीश कुमार (CM Nitish Kamar) के नजदीकी और खासम खास संजय गांधी के नाम से था लेकिन इस बंगले को मुख्य सचिव के नाम से आवंटित कर दिया गया है. संजय गांधी को 10 एम स्ट्रैंड रोड में बंगला आवंटित कर दिया गया है.
7 जुलाई तक मोदी कैबिनेट में मंत्री रहेंगे RCP: बता दें कि आरसीपी सिंह मोदी कैबिनेट में इस्पात मंत्री हैं और 7 जुलाई को उनका कार्यकाल खत्म हो रहा है. 7 जुलाई तक वह मंत्रिमंडल में बने रह सकते हैं. इसके बाद अगले 6 महीने तक पीएम मोदी के विशेषाधिकार के तहत वो मंत्रिपद पर बने रह सकते हैं. लेकिन इस बीच उन्हें लोकसभा या राज्यसभा से चुनकर आना होगा. हालाकि सीएम नीतीश पहले ही कह चुके हैं कि उन्हें इस्तीफा देने की जरूरत नहीं है वो अपना कार्यकाल पूरा करें.