पटना: चुनावी साल में बिहार महागठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं नजर आ रहा है. मिशन 2020 से पहले महागठबंधन में गांठ पड़ती दिखाई पड़ रही है. कॉर्डिनेशन कमेटी अब महागठबंधन के लिए गले का फांस बन चुकी है. पूर्व मुख्यमंत्री और हम प्रमुख जीतन राम मांझी ने आर-पार की लड़ाई छेड़ दी है. अब राजद ने भी अड़ियल रुख अपना रखा है.
पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के नेतृत्व में मुकेश सहनी और उपेंद्र कुशवाहा लगातार बैठक कर कॉर्डिनेशन कमेटी की मांग कर रहे थे. लेकिन, राजद तीनों दलों की मांग को लगातार नजरअंदाज कर रहा है. पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने 25 जून तक का अल्टीमेटम भी दे दिया था. लेकिन अब तक कोई कमेटी नहीं बनी. इस बीच कांग्रेस की ओर से तमाम दलों को एकजुट रखने की कवायद शुरू की गई है.
विलय या गठबंधन को लेकर फंसा पेंच
जीतन राम मांझी के लिए आगे की राह आसान नहीं है. एनडीए के नेता जहां मांझी की पार्टी का विलय कराना चाहते हैं वहीं, मांझी एनडीए से गठबंधन करना चाहते हैं. जीतन राम मांझी और नीतीश कुमार के बीच कई बार मुलाकात भी हो चुकी है. इधर नेताओं के बयानों में तल्खी नए राजनीतिक समीकरण की ओर इशारा कर रही है.
'दो नाव पर सवार नहीं है हम'
हम पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा है कि हम लगातार कॉर्डिनेशन कमेटी की मांग कर रहे हैं. लेकिन राजद का रुख नकारात्मक है. फिलहाल हम गठबंधन का हिस्सा हैं. लेकिन, आने वाले दिनों का पता नहीं है. हम प्रवक्ता ने कहा कि जीतन राम मांझी दो नाव की सवारी कतई नहीं कर रहे हैं.
राजद का अड़ियल रवैया बरकरार
राजद के मुख्य प्रवक्ता भाई वीरेंद्र ने कहा है कि जीतन राम मांझी जिस वजह से नाराज हैं वह हमारी समझ से परे है. महागठबंधन में कॉर्डिनेशन है. महागठबंधन के तमाम बड़े नेता जान चुके हैं कि कौन ब्लैकमेलिंग की राजनीति कर रहा है.
'महागठबंधन में नहीं है मांझी की जगह'
बिहार महागठबंधन में चल रही खींचतान पर भाजपा ने चुटकी ली है. पार्टी प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा है कि जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा जब एनडीए में थे तब सहज थे. एनडीए में उन्हें काफी मान सम्मान भी मिल रहा था. लेकिन महागठबंधन में जीतन राम मांझी को मान सम्मान नहीं मिल रहा है.
'पहले छोड़ें साथ, फिर करें बात'
पूरी रस्साकशी पर जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन का कहना है कि जीतन राम मांझी बड़े नेता है. महागठबंधन में वह असहज महसूस कर रहे हैं. जदयू नेता ने कहा कि हम पार्टी का विलय होगा या गठबंधन होगा, यह भविष्य के गर्भ में है. अगर वे साथ छोड़ते है तभी एनडीए में उनके स्वागत और भूमिका पर चर्चा की जाएगी.