पटना : बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के एसीएस केके पाठक ने हाईकोर्ट से जातीय गणना को लेकर फैसला आने के बाद निर्देश जारी कर दिया कि गणना का कार्य शिक्षक करेंगे. विद्यालयों में लंच आवर के बाद शिक्षक जातीय गणना करेंगे और एक विद्यालय से सभी शिक्षक इस गणना कार्य में नहीं रहेंगे. अब इस आदेश को लेकर फिर से शिक्षकों में सुगबुगाहट होने लगी है और इस निर्देश को शिक्षकों के खिलाफ साजिश बताया जा रहा है.
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क्या जातीय गणना का काम शैक्षणिक है?: बता दें कि जातीय गणना में योगदान देने का निर्देश के जारी करने के कुछ घंटे पहले ही केके पाठक ने सभी जिला के जिलाधिकारियों को पत्र जारी करते हुए निर्देशित किया था कि शिक्षकों से कोई गैर शैक्षणिक कार्य नहीं कराया जाए और विभिन्न प्रकार के गैर शैक्षणिक कार्यों में लगे शिक्षकों को उस कार्य से हटाते हुए उन्हें शैक्षणिक कार्य में लगाया जाए. ऐसे में अब शिक्षक संघ सवाल उठा रहे हैं कि आखिर जातीय गणना भी गैर शैक्षणिक कार्य है तो किसके दबाव के कारण अपर मुख्य सचिव केके पाठक को अपना आदेश बदलना पड़ा है.
बीपीएससी परीक्षा की तैयारी का नहीं मिलेगा समय : इसके अलावा संघ यह भी आरोप लगा रहा है कि बीपीएससी परीक्षा के लिए आवेदन किए हुए नियोजित शिक्षकों को जबरन फेल कराने की शिक्षा विभाग की यह साजिश है. बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष मनोज कुमार ने कहा कि एक तरफ जहां लगातार निरीक्षण करके विद्यालयी व्यवस्था को सुदृढ़ करने का प्रयास किया गया है, लेकिन जातीय गणना कार्य में शिक्षकों को लगाने से ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है कि कई विद्यालयों में लंच के बाद शिक्षक नहीं बच रहे हैं और विद्यालय की छुट्टी हो जा रही है.
"शिक्षकों को जातिगत गणना कार्य जैसे कार्यों में लगाना शिक्षा का अधिकार अधिनियम के विपरीत है. इसके अलावा जो नियोजित शिक्षक बीपीएससी परीक्षा की तैयारी में लगे हुए हैं उनकी तैयारी प्रभावित हो रही है. इसके साथ ही कई जगहों पर जिला शिक्षा पदाधिकारी नहीं यह निर्देशित कर दिया है कि 7 अगस्त तक अपने यहां जातिगत गणना कार्य को पूरा करके विद्यालय ज्वाइन कर लें. अन्यथा उनकी सैलरी रोक दी जाएगी यह सरासर अनुचित है. इस प्रकार के फैसलों और शिक्षकों को गणना कार्य में लगाए जाने का संघ विरोध करता है."- मनोज कुमार, प्रदेश अध्यक्ष, प्राथमिक शिक्षक संघ
अपर मुख्य सचिव का निर्देश हास्यास्पद : इधर बिहार टीईटी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमित विक्रम ने बताया कि शिक्षक अपने हक की आवाज उठाते हैं तो उन्हें निलंबित कर दिया जाता है और फिर जब गणना और अन्य गैर शैक्षणिक कार्य कराने होते हैं तो शिक्षकों का ही उपयोग किया जाता है. जातिगत गणना में शिक्षकों को लगाने का विभाग का निर्देश विभागीय लापरवाही है. 31 जुलाई को अपर मुख्य सचिव पत्र जारी कर शिक्षकों को कोई गैर शैक्षणिक कार्य नहीं करने का निर्देश देते हैं और 1 अगस्त को निर्देश जारी होता है कि शिक्षक जाति गणना कार्य करेंगे. यह हास्यास्पद है.
कब पढ़ाएंगे शिक्षक : अमित विक्रम ने बताया कि सरकार ने पूर्व में भी शिक्षकों से काफी सारे गैर शैक्षणिक कार्य कराए हैं. जैसे कि पशु गणना, शौचालय गणना, कोरोना के समय मरीजों की गणना. इस साल के जनवरी महीने में शिक्षक मकानों की गणना कर रहे थे. फरवरी में मैट्रिक और इंटरमीडिएट परीक्षा करा रहे थे, मार्च में मूल्यांकन कार्य कर रहे थे, अप्रैल में जातिगत गणना कार्य कर रहे थे, मई-जून गर्मी छुट्टी रही, जुलाई में चुनाव के लिए मास्टर ट्रेनर का काम किए और अगस्त में फिर से जातिगत गणना कार्य में लगा दिया गया. ऐसे में अब शिक्षक विद्यालय में कब पढ़ाए.
"जो नए नियोजित शिक्षक हैं अथवा जो पुराने नियोजित शिक्षक हैं और चाहते हैं कि अपने गृह जिला के आसपास विद्यालयों में योगदान करें, इसके लिए उन्होंने बीपीएससी परीक्षा का फॉर्म भरा है और अब इन शिक्षकों पर अस्तित्व का संकट आ गया है. 24 अगस्त से इन शिक्षकों की परीक्षाएं हैं और जब तैयारी करने का पिक समय है उन्हें जातिगत गणना जैसे कार्य में लगाया जा रहा है. ऐसे में शिक्षक विद्यालयों में शैक्षणिक कार्य करने के बाद दिनभर जातिगत गणना करेंगे तो थक जाने के बाद कैसे बीपीएससी परीक्षा की तैयारी कर पाएंगे." - अमित विक्रम, प्रदेश अध्यक्ष, टीईटी शिक्षक संघ
शिक्षकों के सम्मान के खिलाफ है आदेश : अमित का कहना है कि ऐसे में अगर शिक्षक बीपीएससी की परीक्षा में फेल हो जाते हैं तो इनके ऊपर बीपीएससी फेल शिक्षक होने का ठप्पा लग जाएगा. यह निर्णय पूरी तरह से शिक्षक समाज के सम्मान के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि एक शिक्षक से यह उम्मीद करना कि विद्यालय में पढ़ाने जाने से पहले लर्निंग लेशन तैयार कर ले और फिर सुबह जाकर विद्यालय में पढ़ाए है और 12:00 बजे के बाद देर रात तक जातिगत गणना कार्य करें और वह शिक्षक बीपीएससी परीक्षा भी पास कर जाए, यह सरासर नाइंसाफी है.