पटना: दशरथ मांझी के जिला गया के रहने वाले सत्येंद्र गौतम मांझी ट्रीमैन के नाम से मशहूर हैं. सत्येंद्र मांझी अपने दम पर फल्गु नदी के एक द्वीप की बंजर भूमि पर एक विशाल बगीचा बनाकर ट्रीमैन के नाम से अपनी पहचान बना चुके हैं. पर्यावरण को हरा-भरा करने का संकल्प लिए सत्येंद्र मांझी ने अब तक 15 हजार से अधिक पौधे लगाए हैं.
दशरथ मांझी से प्रेरित हैं सत्येंद्र मांझी: सतेंद्र मांझी ने 15 साल पहले माउंटेन मैन दशरथ मांझी से प्रेरित होकर अपने बगीचे पर काम शुरू किया था. जिसमें अभी 10 हजार पेड़ हैं, जिनमें ज्यादातर अमरूद के वृक्ष हैं. उन्होंने कहा कि दशरथ मांझी ने अकेले ही पहाड़ काटकर रास्ता बना दिया था तो क्या वे बंजर जमीन को उपजाऊ नहीं बना सकते ?
ट्रीमैन ने बंजर जमीन को बनाया बगीचा: सत्येंद्र मांझी ने बताया कि "दशरथ मांझी पर्यावरण से बहुत प्रेम करते थे. एक दिन वो घर आए और उन्होंने मुझे बगीचा लगाने को कहा. उस समय गांव बंजर और वीरान था. हर जगह रेत ही रेत थी. लेकिन दशरथ मांझी के कहे अनुसार पौधा लगाने के लिए बंजर को उपजाऊ बना कर पौधा लगाएं, पौधों के लिए घर से बर्तन में पानी लाकर डालते थे. आज उसी बगीचा से मेरी पहेचान है."
दूसरों को भी करते हैं जागरुक: सत्येंद्र मांझी का यह मानना है कि वो जहां भी जाते हैं, वहां पर पौधे लगाते हैं. सबसे खास बात है कि सत्येंद्र पेड़ लगाने के बाद ही अन्न-जल ग्रहण करते हैं. वहीं लोगों को भी पेड़ पौधा लगाने के लिए जागरुक करते हैं. क्योंकि जिस तरह से पेड़ पौधों की कटाई की जा रही है, वैसे में आने वाले समय में प्रदूषित हवा से जूझना देश के लिए एक बड़ी चुनौती होगी. वन है तो जीवन है.
बाल संरक्षण आयोग के सदस्य बने ट्रीमैन: मगध विश्वविद्यालय से एमए करने वाले सत्येंद्र गौतम मांझी ने बताया कि "बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पर्यावरण संरक्षण में मेरे योगदान के बारे में पता चला तो उन्होंने मुझे बाल संरक्षण आयोग का सदस्य बना दिया. इसके बावजूद मेरा कारवां रुका नहीं. मेरे साथ कई लोग हैं जो मेरी मदद करते हैं."
दशरथ मांझी को भारत रत्न दिलाने के लिए पैदल मार्च: बता दें कि बाबा दशरथ मांझी को भारत रत्न देने की मांग को लेकर सत्येंद्र मांझी ने गया से दिल्ली तक पैदल मार्च किया. उन्होंने राष्ट्रपति तक से गुहार लगाई है. पटना को भी हरा-भरा बनाने के लिए सत्येंद्र पीपल, नीम, बरगद आदि का पेड़ लगा रहे हैं.
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