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लॉकडाउन में बिहार के उद्योग भी हुए 'लॉक', सवा लाख लोग हुए बेरोजगार

लॉकडाउन के कारण बिहार सहित देश में उद्योग, कारोबार प्रभावित हो रहे हैं. ऐसे में मजदूरों को भी काम नहीं मिल रहा है. इस कारण उधोग जगत से लेकर मजदूर वर्ग के लोग परेशान है. वहीं बिहार सरकार ने बदली परिस्थितियों में सरकार ने कुछ और उद्योगों को चालू करने का निर्णय लिया है.

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Published : Apr 16, 2020, 7:20 PM IST

पटना: कोरोना संकट को लेकर जारी लॉकडाउन के कारण बिहार के उद्योग, कारोबार बड़े पैमाने पर प्रभावित हो रहे हैं. ज्यादातर उद्योग पिछले 22 दिनों से बंद पड़े हैं और 1.5 लाख से ज्यादा लोग बेरोजगार बैठे हैं. ऐसे में बिहार सरकार ने कुछ उद्योगों को चालू करने का फैसला किया है. उद्योगों को सशक्त करने के लिए सरकार ने एक कमेटी का भी गठन किया है.

अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की तैयारी
बिहार सरकार उद्योगों को चालू कर अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की तैयारी में है. लॉकडाउन की मियाद बढ़ने से बिहार के उद्योग जगत से जुड़े लोग चिंतित हैं. लंबे समय तक बिहार में उद्योगों का बंद रहना सरकार के लिए भी चिंता का सबब है. राज्य सरकार कुछ उद्योगों को लॉकडाउन के दौरान शुरू करवाने की तैयारी कर रही है. राज्य के अंदर कुल 25349 औद्योगिक इकाइयां हैं. इसमें 21919 इकाइयां लॉकडाउन के पहले कार्यरत थी. लॉक डाउन के तहत खाद्य प्रसंस्करण की 193 इकाइयां कोल्ड स्टोरेज की 31 और 2 सीमेंट इकाइयां कार्य कर रही थी, लेकिन बदली परिस्थितियों में सरकार ने कुछ और उद्योगों को चालू करने का निर्णय लिया है.

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लॉकडाउन का असर उधोग पर

'एक लाख 19 हजार कामगारों के समक्ष जीविका का संकट'
बिहार में कुल मिलाकर 21524 उद्योग हैं, जिसमें की एक लाख उन्नीस हजार 548 कामगारों का नियोजन है. बिहार में लॉकडाउन होने के बाद से 21498 उद्योग बंद है, सिर्फ 226 उद्योग ही चालू है. राज्य के अंदर बियाडा के तहत 17 सौ उद्योग कार्यरत हैं. 80% से ज्यादा कामगार इन दिनों बेरोजगार बैठे हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक बिहार में फूड प्रोसेसिंग यूनिट 4631 है. इसके अलावा जनरल मैन्युफैक्चरिंग 10,000 है. जनरल सर्विस इंडस्ट्री की संख्या 5153 है. पाटलिपुत्र औद्योगिक क्षेत्र में 50 से ज्यादा उद्योग कार्यरत हैं, लेकिन लॉकडाउन के चलते हैं, ज्यादातर बंद पड़े हैं. ऐसे में कामगार और मजदूरों के लिए चौतरफा संकट है.

पंकज कुमार सिंह
पंकज कुमार सिंह, निदेशक उद्योग विभाग

उद्योग जगत से जुड़े लोगों की बढ़ी चिंता
औद्योगिक क्षेत्र के गार्ड जोगेंद्र कुमार का कहना है कि स्थिति भयावह है. बेरोजगारी के चलते मजदूर और कामगार दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं. लॉकडाउन की मियाद बढ़ाए जाने के बाद से उद्योग जगत से जुड़े लोगों की चिंताएं भी बढ़ गई हैं. उद्योगपति सत्यजीत का कहना है कि सरकार को पहल करना चाहिए. उन्होंने कहा कि सबसे पहले तो यह कि फिक्स्ड मीटर चार्ज को फिलहाल खत्म कर दिया जाए. साथ ही उन्होंने कहा कि मजदूरों को रिटेन किए जाने के लिए सरकार कोई नीति बनाए.

देखें रिपोर्ट.

बिहार चेंबर ऑफ कॉमर्स से मांगा गया है सुझाव
राज्य के अंदर गरीबी और बेरोजगारी को देखते हुए सरकार ने कुछ उद्योगों को चरणबद्ध तरीके से चालू करने का निर्णय लिया है. उद्योग विभाग के निदेशक पंकज कुमार सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा कि ग्रामीण इलाके के जितने भी उद्योग हैं. वह चालू किए जाएंगे. इसके अलावा बियाड़ा के अंदर 1700 है वह भी चालू होंगे, लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखते हुए मजदूरों की संख्या सुनिश्चित किया जाएग. पहले के मुकाबले मजदूरों की संख्या 50% होनी चाहिए. इसके साथ ही ऑटोमोबाइल सेवा को भी शुरू करने पर सरकार विचार कर रही है. उद्योगों को सशक्त बनाने के लिए बिहार सरकार ने वित्त विभाग के प्रधान सचिव अस सिद्धार्थ की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया गया, जो अध्ययन कर यह रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा कि कहां-कहां किस प्रकार से कौन-कौन से उद्योग किन शर्तों पर खोला जाए. इस बाबत बिहार चेंबर ऑफ कॉमर्स से भी सुझाव मांगा गया है.

पटना: कोरोना संकट को लेकर जारी लॉकडाउन के कारण बिहार के उद्योग, कारोबार बड़े पैमाने पर प्रभावित हो रहे हैं. ज्यादातर उद्योग पिछले 22 दिनों से बंद पड़े हैं और 1.5 लाख से ज्यादा लोग बेरोजगार बैठे हैं. ऐसे में बिहार सरकार ने कुछ उद्योगों को चालू करने का फैसला किया है. उद्योगों को सशक्त करने के लिए सरकार ने एक कमेटी का भी गठन किया है.

अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की तैयारी
बिहार सरकार उद्योगों को चालू कर अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की तैयारी में है. लॉकडाउन की मियाद बढ़ने से बिहार के उद्योग जगत से जुड़े लोग चिंतित हैं. लंबे समय तक बिहार में उद्योगों का बंद रहना सरकार के लिए भी चिंता का सबब है. राज्य सरकार कुछ उद्योगों को लॉकडाउन के दौरान शुरू करवाने की तैयारी कर रही है. राज्य के अंदर कुल 25349 औद्योगिक इकाइयां हैं. इसमें 21919 इकाइयां लॉकडाउन के पहले कार्यरत थी. लॉक डाउन के तहत खाद्य प्रसंस्करण की 193 इकाइयां कोल्ड स्टोरेज की 31 और 2 सीमेंट इकाइयां कार्य कर रही थी, लेकिन बदली परिस्थितियों में सरकार ने कुछ और उद्योगों को चालू करने का निर्णय लिया है.

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लॉकडाउन का असर उधोग पर

'एक लाख 19 हजार कामगारों के समक्ष जीविका का संकट'
बिहार में कुल मिलाकर 21524 उद्योग हैं, जिसमें की एक लाख उन्नीस हजार 548 कामगारों का नियोजन है. बिहार में लॉकडाउन होने के बाद से 21498 उद्योग बंद है, सिर्फ 226 उद्योग ही चालू है. राज्य के अंदर बियाडा के तहत 17 सौ उद्योग कार्यरत हैं. 80% से ज्यादा कामगार इन दिनों बेरोजगार बैठे हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक बिहार में फूड प्रोसेसिंग यूनिट 4631 है. इसके अलावा जनरल मैन्युफैक्चरिंग 10,000 है. जनरल सर्विस इंडस्ट्री की संख्या 5153 है. पाटलिपुत्र औद्योगिक क्षेत्र में 50 से ज्यादा उद्योग कार्यरत हैं, लेकिन लॉकडाउन के चलते हैं, ज्यादातर बंद पड़े हैं. ऐसे में कामगार और मजदूरों के लिए चौतरफा संकट है.

पंकज कुमार सिंह
पंकज कुमार सिंह, निदेशक उद्योग विभाग

उद्योग जगत से जुड़े लोगों की बढ़ी चिंता
औद्योगिक क्षेत्र के गार्ड जोगेंद्र कुमार का कहना है कि स्थिति भयावह है. बेरोजगारी के चलते मजदूर और कामगार दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं. लॉकडाउन की मियाद बढ़ाए जाने के बाद से उद्योग जगत से जुड़े लोगों की चिंताएं भी बढ़ गई हैं. उद्योगपति सत्यजीत का कहना है कि सरकार को पहल करना चाहिए. उन्होंने कहा कि सबसे पहले तो यह कि फिक्स्ड मीटर चार्ज को फिलहाल खत्म कर दिया जाए. साथ ही उन्होंने कहा कि मजदूरों को रिटेन किए जाने के लिए सरकार कोई नीति बनाए.

देखें रिपोर्ट.

बिहार चेंबर ऑफ कॉमर्स से मांगा गया है सुझाव
राज्य के अंदर गरीबी और बेरोजगारी को देखते हुए सरकार ने कुछ उद्योगों को चरणबद्ध तरीके से चालू करने का निर्णय लिया है. उद्योग विभाग के निदेशक पंकज कुमार सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा कि ग्रामीण इलाके के जितने भी उद्योग हैं. वह चालू किए जाएंगे. इसके अलावा बियाड़ा के अंदर 1700 है वह भी चालू होंगे, लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखते हुए मजदूरों की संख्या सुनिश्चित किया जाएग. पहले के मुकाबले मजदूरों की संख्या 50% होनी चाहिए. इसके साथ ही ऑटोमोबाइल सेवा को भी शुरू करने पर सरकार विचार कर रही है. उद्योगों को सशक्त बनाने के लिए बिहार सरकार ने वित्त विभाग के प्रधान सचिव अस सिद्धार्थ की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया गया, जो अध्ययन कर यह रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा कि कहां-कहां किस प्रकार से कौन-कौन से उद्योग किन शर्तों पर खोला जाए. इस बाबत बिहार चेंबर ऑफ कॉमर्स से भी सुझाव मांगा गया है.

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