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फिल्में हिट कराने के लिए बिहार को किया जा रहा बदनाम, ना बिगाड़े सूबे की छवि : शाहनवाज

फिल्मों में बिहार (Bihar in movies) की छवि को गुंडों वाली और खराब करके दिखाई जाती है. इस बात से नाराज होकर उद्योग मंत्री शाहनवाज हुसैन ने निर्माताओं से अपील की है कि वो बिहार आएं और ज्ञान की धरती से जानकारी लेकर ऐसे परसेप्शन को मिटा दें. अब का बिहार वो बिहार नहीं, ये बिहार उस दौर से काफी आगे बढ़ चुका है. पढ़ें पूरी खबर-

Industries Minister Shahnawaz Hussain
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Published : May 5, 2022, 5:54 PM IST

पटना/नई दिल्ली : पहली बार 12 मई को बिहार सरकार इंवेस्टर मीट का आयोजन दिल्ली में कर रही है. इसी सिलसिले में बिहार के उद्योग मंत्री शाहनावज हुसैन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस (Industries Minister Shahnawaz Hussain ) की. इस दौरान शाहनवाज हुसैन ने फिल्मों में बिहार के प्रति दिखाए जा रहे परसेप्शन को लेकर आपत्ति (Perception of Bihar in Film ) जताई. उन्होंने कहा कि फिल्मों में बिहार की छवि को गुंडों वाली दिखाई जाती है. फिल्मों में बिहार की छवि गलत तरीके से पेश की जाती है. शाहनवाज हुसैन ने फिल्म मेकर्स से अपील करते हुए कहा कि अपनी फिल्म को हिट कराने के लिए बिहार के कंधे का इस्तेमाल बंद होना चाहिए. उन्हें ये नहीं भूलना चाहिए कि ये धरती, बुद्ध, महावीर, गुरू गोविंद साहब की जन्मस्थली है. जिनको बिहार के बारे में जानकारी नहीं है वो बिहार आएं. वो खुद गया के प्रभारी हैं. फिल्म निर्माता गया आएं और जहां बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ वहां जाकर ज्ञान प्राप्त कर लें.

ये भी पढ़ें- देश के पहले ग्रीनफील्ड ग्रेन बेस्ड इथेनॉल प्लांट का CM नीतीश ने किया उद्घाटन, बोले- 'बिहार के विकास को मिलेगी गति'

'बिहार के लोगों को सिर्फ गुंडे के रोल में बदमाश के रोल में दिखाया जाता है. फिल्में जो बन रहीं उसमें अपहरण, गंगाजल लोग समझ रहे हैं कि ये वही दौर है. जबकि हकीकत ये है कि अपहरण नीतीश के शासन काल में बनी. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के रिकॉर्ड में बिहार में ऐसा कुछ नहीं है. तो हमारी उनसे (फिल्म निर्माताओं) भी अपील है कि जरा रहम करें. अपनी फिल्म हिट कराने के लिए बिहारियों के कंधे का इस्तेमाल बंद कीजिए. बिहार में जो है उसे दिखाइए' : शाहनवाज हुसैन, उद्योग मंत्री, बिहार

'फिल्म हिट कराने के लिए बिहार को बदनाम किया जा रहा' : दरअसल, इनवेस्टर्स वहीं निवेश करना चाहते हैं जहां पर शांति हो, लेकिन जिस तरीके से फिल्में बनाई जाती हैं. उसकी पटकथा लिखी जाती है उनमें बिहार की छवि गुंडों के रूप में पेश की जाती है. लोगों को लगता है कि बिहार की असलियत यही है. मंत्री शाहनवाज हुसैन ने गंगाजल, अपहरण आदि का उदाहरण देकर कहा कि जिस दौर को इन फिल्मों में दर्शाया गया है उस दौर से बिहार कहीं आगे जा चुका है. फिल्मों में ज्यादातर बिहार के कैरेक्टर के रूप में गुडों का परसेप्शन बनाया जा रहा है. निर्माताओं को इस तरफ ध्यान देना होगा. शाहनवाज हुसैन ने ऐसे फिल्म मेकर्स से रहम करने की अपील की.

ये भी पढ़ें- तो फिर नरेंद्र मोदी को नहीं मिलता बिहार में वोट, यहां कास्ट की राजनीति नहीं: PK

'बिहार में दिखाना है तो नालंदा दिखाइए, विक्रमशिला दिखाइए. गुरुगोविंद सिंह जी की जन्मभूमि, भगवान महावीर और बुद्ध की जन्मभूमि दिखाइए. गौतम बुद्ध को ज्ञान यहीं मिला. अगर किसी को लगता है कि उसे बिहार के बारे में ज्ञान नहीं है तो वो ज्ञान की धरती गया आए. बिहार के बारे में जो मिस रिपोर्टिंग है उसे खत्म करिए. बिहार में शांति है और इन्वेस्टर्स की पसंदीदा जगह है': शाहनवाज हुसैन, उद्योग मंत्री, बिहार

'फिल्मों में बिहार की छवि गुंडों वाली' : साउथ की फिल्मों में जब एक्टर को विलेन कंट्रोल नहीं कर पाता तो अक्सर उसे मारने के लिए बिहार से गुंडे बुलाए जाते हैं. इस तरह की स्टोरी साउथ की फिल्मों में आम है. गंगाजल में भी फिल्म की स्टोरी बिहार आधारित है. अंखफोड़वा कांड से लकेर कई वाकये बिहार के जंगलराज को बयां करते हैं. अपहरण फिल्म के जरिए ये बताने की कोशिश की गई थी कि बिहार में 'अपहरण' एक उद्योग बन चुका था. लेकिन बतौर शाहनवाज हुसैन, बदलते वक्त में, सुशासनराज में सब कुछ बदल चुका है.

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पटना/नई दिल्ली : पहली बार 12 मई को बिहार सरकार इंवेस्टर मीट का आयोजन दिल्ली में कर रही है. इसी सिलसिले में बिहार के उद्योग मंत्री शाहनावज हुसैन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस (Industries Minister Shahnawaz Hussain ) की. इस दौरान शाहनवाज हुसैन ने फिल्मों में बिहार के प्रति दिखाए जा रहे परसेप्शन को लेकर आपत्ति (Perception of Bihar in Film ) जताई. उन्होंने कहा कि फिल्मों में बिहार की छवि को गुंडों वाली दिखाई जाती है. फिल्मों में बिहार की छवि गलत तरीके से पेश की जाती है. शाहनवाज हुसैन ने फिल्म मेकर्स से अपील करते हुए कहा कि अपनी फिल्म को हिट कराने के लिए बिहार के कंधे का इस्तेमाल बंद होना चाहिए. उन्हें ये नहीं भूलना चाहिए कि ये धरती, बुद्ध, महावीर, गुरू गोविंद साहब की जन्मस्थली है. जिनको बिहार के बारे में जानकारी नहीं है वो बिहार आएं. वो खुद गया के प्रभारी हैं. फिल्म निर्माता गया आएं और जहां बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ वहां जाकर ज्ञान प्राप्त कर लें.

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'बिहार के लोगों को सिर्फ गुंडे के रोल में बदमाश के रोल में दिखाया जाता है. फिल्में जो बन रहीं उसमें अपहरण, गंगाजल लोग समझ रहे हैं कि ये वही दौर है. जबकि हकीकत ये है कि अपहरण नीतीश के शासन काल में बनी. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के रिकॉर्ड में बिहार में ऐसा कुछ नहीं है. तो हमारी उनसे (फिल्म निर्माताओं) भी अपील है कि जरा रहम करें. अपनी फिल्म हिट कराने के लिए बिहारियों के कंधे का इस्तेमाल बंद कीजिए. बिहार में जो है उसे दिखाइए' : शाहनवाज हुसैन, उद्योग मंत्री, बिहार

'फिल्म हिट कराने के लिए बिहार को बदनाम किया जा रहा' : दरअसल, इनवेस्टर्स वहीं निवेश करना चाहते हैं जहां पर शांति हो, लेकिन जिस तरीके से फिल्में बनाई जाती हैं. उसकी पटकथा लिखी जाती है उनमें बिहार की छवि गुंडों के रूप में पेश की जाती है. लोगों को लगता है कि बिहार की असलियत यही है. मंत्री शाहनवाज हुसैन ने गंगाजल, अपहरण आदि का उदाहरण देकर कहा कि जिस दौर को इन फिल्मों में दर्शाया गया है उस दौर से बिहार कहीं आगे जा चुका है. फिल्मों में ज्यादातर बिहार के कैरेक्टर के रूप में गुडों का परसेप्शन बनाया जा रहा है. निर्माताओं को इस तरफ ध्यान देना होगा. शाहनवाज हुसैन ने ऐसे फिल्म मेकर्स से रहम करने की अपील की.

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'बिहार में दिखाना है तो नालंदा दिखाइए, विक्रमशिला दिखाइए. गुरुगोविंद सिंह जी की जन्मभूमि, भगवान महावीर और बुद्ध की जन्मभूमि दिखाइए. गौतम बुद्ध को ज्ञान यहीं मिला. अगर किसी को लगता है कि उसे बिहार के बारे में ज्ञान नहीं है तो वो ज्ञान की धरती गया आए. बिहार के बारे में जो मिस रिपोर्टिंग है उसे खत्म करिए. बिहार में शांति है और इन्वेस्टर्स की पसंदीदा जगह है': शाहनवाज हुसैन, उद्योग मंत्री, बिहार

'फिल्मों में बिहार की छवि गुंडों वाली' : साउथ की फिल्मों में जब एक्टर को विलेन कंट्रोल नहीं कर पाता तो अक्सर उसे मारने के लिए बिहार से गुंडे बुलाए जाते हैं. इस तरह की स्टोरी साउथ की फिल्मों में आम है. गंगाजल में भी फिल्म की स्टोरी बिहार आधारित है. अंखफोड़वा कांड से लकेर कई वाकये बिहार के जंगलराज को बयां करते हैं. अपहरण फिल्म के जरिए ये बताने की कोशिश की गई थी कि बिहार में 'अपहरण' एक उद्योग बन चुका था. लेकिन बतौर शाहनवाज हुसैन, बदलते वक्त में, सुशासनराज में सब कुछ बदल चुका है.

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