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छठी मईया को क्यों चढ़ाये जाते हैं ये फल, जानें महत्व

इस बार छठ महापर्व 18 नवंबर से नहाय-खाय के साथ शुरू हो रहा है. छठ महापर्व को लेकर बाजारों में रौनक देखने को मिल रही है. डाला, फल और पकवान बनाने की सभी सामग्रियों से दुकानें सजी हैं. छठ में फलों का क्या महत्व है. पढ़ें पूरी खबर...

छठ पूजा 2020
छठ पूजा 2020
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Published : Nov 17, 2020, 8:13 PM IST

पटना: बिहार, झारखंड, यूपी समेत उत्तर भारत में छठ महापर्व धूमधाम से मनाया जाता है. चार दिवसीय छठ पूजा हर साल का​र्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को होती है. दिवाली के बाद छठ पूजा, हिंदूओं का छठ सबसे बड़े त्योहार है. इस व्रत को छठ पूजा, सूर्य षष्‍ठी पूजा और डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है.

लोकआस्था के महापर्व छठ की पूजा 36 घंटे के निर्जला व्रत के साथ शुरू होती है. इस बार छठ पूजा 18 नवंबर से नहाय-खाय के साथ शुरू होगा. नहाय-खाय के अगले दिन 19 नवंबर को खरना, 20 नवंबर को सूर्य देव को संध्या अर्घ्य, फिर 21 नवंबर को सुबह के समय उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही इस पर्व की समाप्ति होती है.

छठ पूजा (फाइल)
छठ पूजा (फाइल)

स्वच्छता का पर्व छठ
छठ महापर्व पूरे विधि विधान से मनाया जाता है. छठी माई को प्रसन्न करने के लिए ठेकुआ, पुआ और मीठे पकवान को बेहद ही स्वच्छता के साथ बनाया जाता है. बिहार में इसकी तैयारी दिवाली के त्योहार के साथ ही हो जाती है. आस्था के अनुसार छठ महापर्व में फल खास महत्व रखते हैं. घाट पर ले जाने वाले डाले को इन्हीं फलों से सजाया जाता है, जिनका भोग व्रतियां छठ मईया को लगाती हैं. यही फल प्रसाद स्वरूप सभी को बांटे जाते हैं. छठ महापर्व में कौन-कौन से फल चढ़ाने चाहिए और इनका महत्व क्या है. आइए पढ़ते हैं...

नारियल का महत्व
नारियल का महत्व

01.नारियल
नारियल को मां लक्ष्मी स्वरूप और बड़ा ही पवित्र फल माना जाता है. इसके पीछे का कारण ये है कि इसे कोई भी जीव जूठा नहीं कर सकता. वहीं, मनोकामना पूर्ति के लिए नारियल चढ़ाने का विधान है.

गन्ने का विशेष महत्व
गन्ने का विशेष महत्व

02. गन्ना
छठ पूजा में गन्ना अपना विशेष महत्व रखता है. महापर्व के दौरान शाम के समय घर के आंगन में गन्ने का घर बनाया कर उसके नीचे हाथी रखा जाता है. फिर छठी माई की पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि छठी मईया का प्रिय फल गन्ना है. यही वजह है कि गन्ने से बने गुड़ से प्रसाद भी बनाया जाता है. मान्यता है कि गन्ना चढ़ाने से छठी मईया आनंद और समृद्धि प्रदान करती हैं.

केले का विशेष महत्व
केले का विशेष महत्व

03. केला
जैसा कि मान्यता है कि केले के पौधे में भगवान विष्णु का वास होता है. लोकआस्था है कि केला सबसे पवित्र फल है. ऐसे में छठी मईया से मनोकामना पूर्ति के लिए केले का घौद भेट करने का प्रण लिया जाता है. यही कारण है कि छठ महापर्व पर केला अपना महत्व रखता है.

देव फल सुपारी
देव फल सुपारी

04. सुपारी
देव फल सुपारी सभी शुभ कामों में प्रयोग में लाई जाती है. पान-सुपारी को लेकर ही पूजा का संकल्प किया जाता है. संस्कृत में पुगीफलम् कहे जाने वाले इस फल में मां लक्ष्मी का प्रभाव माना गया है. इसे कोई जीव जूठा नहीं कर सकता. यही कारण है कि छठी मईया को सुपारी चढ़ाई जाती है.

सिंघाड़े का महत्व
सिंघाड़े का महत्व

05. सिंघाड़ा
तालाब में फलने वाला सिंघाड़ा मां लक्ष्मी का प्रिय फल है. यह रोगनाशक और शक्तिवर्धक फल माना गया है. इसका आवरण मोटा होता है और इसमें कांटे होने के कारण छोटे से लेकर बड़े जीव इसे जूठा नहीं कर पाते. इन्हीं विशेषताओं के चलते ये फल छठी मईया को चढ़ाया जाता है.

डाभ नींबू
डाभ नींबू

06. डाभ नींबू
खाने में खट्टा मीठा लगने वाले बड़े आकार के नींबू को डाभ नींबू कहते हैं. इसका आवरण बेहद मोटा होता है. पशु-पक्षी इसे जूठा नहीं कर पाते. यही वजह है कि छठी मईया को डाभ नींबू बहुत पसंद है और व्रतियां उन्हें प्रसाद स्वरूप डाभ नींबू अर्पित करती हैं.

अनानास
अनानास

07. अनानास
अनानास भी उन्हीं फलों की श्रेणी में आता है, जिनका ऊपरी आवरण बेहद कठोर होता है. लिहाजा, कोई भी जीव इसे जूठा नहीं कर पाता. स्वच्छता से छठी मईया खुश होती है. यही वजह है कि अनानास का भी मईया को भोग लगाया जाता है.

पटना: बिहार, झारखंड, यूपी समेत उत्तर भारत में छठ महापर्व धूमधाम से मनाया जाता है. चार दिवसीय छठ पूजा हर साल का​र्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को होती है. दिवाली के बाद छठ पूजा, हिंदूओं का छठ सबसे बड़े त्योहार है. इस व्रत को छठ पूजा, सूर्य षष्‍ठी पूजा और डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है.

लोकआस्था के महापर्व छठ की पूजा 36 घंटे के निर्जला व्रत के साथ शुरू होती है. इस बार छठ पूजा 18 नवंबर से नहाय-खाय के साथ शुरू होगा. नहाय-खाय के अगले दिन 19 नवंबर को खरना, 20 नवंबर को सूर्य देव को संध्या अर्घ्य, फिर 21 नवंबर को सुबह के समय उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही इस पर्व की समाप्ति होती है.

छठ पूजा (फाइल)
छठ पूजा (फाइल)

स्वच्छता का पर्व छठ
छठ महापर्व पूरे विधि विधान से मनाया जाता है. छठी माई को प्रसन्न करने के लिए ठेकुआ, पुआ और मीठे पकवान को बेहद ही स्वच्छता के साथ बनाया जाता है. बिहार में इसकी तैयारी दिवाली के त्योहार के साथ ही हो जाती है. आस्था के अनुसार छठ महापर्व में फल खास महत्व रखते हैं. घाट पर ले जाने वाले डाले को इन्हीं फलों से सजाया जाता है, जिनका भोग व्रतियां छठ मईया को लगाती हैं. यही फल प्रसाद स्वरूप सभी को बांटे जाते हैं. छठ महापर्व में कौन-कौन से फल चढ़ाने चाहिए और इनका महत्व क्या है. आइए पढ़ते हैं...

नारियल का महत्व
नारियल का महत्व

01.नारियल
नारियल को मां लक्ष्मी स्वरूप और बड़ा ही पवित्र फल माना जाता है. इसके पीछे का कारण ये है कि इसे कोई भी जीव जूठा नहीं कर सकता. वहीं, मनोकामना पूर्ति के लिए नारियल चढ़ाने का विधान है.

गन्ने का विशेष महत्व
गन्ने का विशेष महत्व

02. गन्ना
छठ पूजा में गन्ना अपना विशेष महत्व रखता है. महापर्व के दौरान शाम के समय घर के आंगन में गन्ने का घर बनाया कर उसके नीचे हाथी रखा जाता है. फिर छठी माई की पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि छठी मईया का प्रिय फल गन्ना है. यही वजह है कि गन्ने से बने गुड़ से प्रसाद भी बनाया जाता है. मान्यता है कि गन्ना चढ़ाने से छठी मईया आनंद और समृद्धि प्रदान करती हैं.

केले का विशेष महत्व
केले का विशेष महत्व

03. केला
जैसा कि मान्यता है कि केले के पौधे में भगवान विष्णु का वास होता है. लोकआस्था है कि केला सबसे पवित्र फल है. ऐसे में छठी मईया से मनोकामना पूर्ति के लिए केले का घौद भेट करने का प्रण लिया जाता है. यही कारण है कि छठ महापर्व पर केला अपना महत्व रखता है.

देव फल सुपारी
देव फल सुपारी

04. सुपारी
देव फल सुपारी सभी शुभ कामों में प्रयोग में लाई जाती है. पान-सुपारी को लेकर ही पूजा का संकल्प किया जाता है. संस्कृत में पुगीफलम् कहे जाने वाले इस फल में मां लक्ष्मी का प्रभाव माना गया है. इसे कोई जीव जूठा नहीं कर सकता. यही कारण है कि छठी मईया को सुपारी चढ़ाई जाती है.

सिंघाड़े का महत्व
सिंघाड़े का महत्व

05. सिंघाड़ा
तालाब में फलने वाला सिंघाड़ा मां लक्ष्मी का प्रिय फल है. यह रोगनाशक और शक्तिवर्धक फल माना गया है. इसका आवरण मोटा होता है और इसमें कांटे होने के कारण छोटे से लेकर बड़े जीव इसे जूठा नहीं कर पाते. इन्हीं विशेषताओं के चलते ये फल छठी मईया को चढ़ाया जाता है.

डाभ नींबू
डाभ नींबू

06. डाभ नींबू
खाने में खट्टा मीठा लगने वाले बड़े आकार के नींबू को डाभ नींबू कहते हैं. इसका आवरण बेहद मोटा होता है. पशु-पक्षी इसे जूठा नहीं कर पाते. यही वजह है कि छठी मईया को डाभ नींबू बहुत पसंद है और व्रतियां उन्हें प्रसाद स्वरूप डाभ नींबू अर्पित करती हैं.

अनानास
अनानास

07. अनानास
अनानास भी उन्हीं फलों की श्रेणी में आता है, जिनका ऊपरी आवरण बेहद कठोर होता है. लिहाजा, कोई भी जीव इसे जूठा नहीं कर पाता. स्वच्छता से छठी मईया खुश होती है. यही वजह है कि अनानास का भी मईया को भोग लगाया जाता है.

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