पटना: 9 दिनों तक चलने वाली नवरात्रि शांतिपूर्ण तरीके से मनायी गयी. दशमी के दिन माता रानी की विदाई दी जाती है. देश के साथ बिहार में भी नवरात्रि की धूम देखने को मिली. दशमी के दिन मंगलवार होने के कारण कई लोगों ने माता की विदाई नहीं की थी. ऐसे में आज बुधवार को बहुत ही धूमधाम से गाजे बाजे के साथ माता की विदाई दी गई.
अस्थाई कृत्रिम तालाब का निर्माण: भक्ति भाव से भक्तों ने माता रानी को विदाई दी. राजधानी में गंगा किनारे मूर्ति विसर्जन के लिए जगह बनायी गयी है, जहां पर अलग अलग जगह पर पूजा समिति की तरफ से मूर्ति विसर्जन किया जा रहा है. नगर निगम की तरफ से इस बार खास पहल की गयी है. गंदगी की परेशानी ना झेलनी पड़ी इसलिए अस्थाई कृत्रिम तालाब बनाया गया है.
गंगा को दूषित होने से बचाने के लिए कारगर कदम: दुर्गा पूजा में मूर्ति विसर्जन के दौरान घाट गंदे हो जाते थे, जिसके बाद छठ महापर्व के लिए घाटों की सफाई में काफी परेशानी होती थी. इसलिए गंगा किनारे जगह चयनित कर बांस बल्ले से घेर कर खुदाई कर अस्थाई कृत्रिम तालाब बनाया गया है. इन्हीं तालाबों में तमाम मूर्तियों को विसर्जित किया जा रहा है. नगर निगम के सफाई कर्मियों की भी टीम मौजूद है, जो मूर्ति विसर्जन के बाद बचने वाले सामानों को निकाल कर इसका विशेष प्रबंधन कर रही है ताकि गंगा नदी का जल दूषित ना हो.
पटना नगर निगम सतर्क: नगर निगम प्रशासन का कहना है कि मूर्ति बनाने में कई तरह के सामानों का प्रयोग किया जाता है, जिससे गंगा का पानी दूषित होता है. इसी को ध्यान में रखते हुए पहल किया गया है. क्योंकि छठ महापर्व में छठव्रती गंगा में स्नान करती हैं और गंगा के पानी से ही छठी मैया का प्रसाद तैयार करती हैं. इन तमाम चीजों को ध्यान में रखते हुए जगह चयनित करके मूर्ति विसर्जन कराया गया है.
अलग-अलग तरीके से माता को दी गई विदाई: बता दें कि अलग-अलग पूजा पंडाल में अलग-अलग तरीके से दुर्गा पूजा मनाया गया. विदाई भी अलग-अलग तरीके से की गयी है. कहीं पर माता रानी की विदाई में गाजे बाजे देखने को मिले तो कई जगह पर हाथी घोड़ा के साथ माता रानी को विदाई दी गयी. माता की विदाई भक्तों ने नाम आंखों से दी और माता से आशीर्वाद प्राप्त करते हुए कहा कि माता हर साल सुख शांति समृद्धि लेकर आए और हम इसी तरह से हर साल माता रानी का उत्सव मनाते रहे.