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IIT पटना की मदद से हाईटेक होंगे बिहार के सरकारी स्कूल, वर्षा जल का होगा संचयन

बिहार के माध्यमिक उच्च माध्यमिक स्कूलों में वर्षा जल को संचयन करने और स्कूलों के प्रयोगशालाओं को बेहतर करने की कवायद शिक्षा विभाग ने शुरू कर दिया है. इस काम में शिक्षा विभाग की मदद पटना आईआईटी करेगा. पढ़ें पूरी खबर...

हाईटेक होंगे बिहार के सरकारी स्कूल
हाईटेक होंगे बिहार के सरकारी स्कूल
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Published : Oct 9, 2021, 1:16 PM IST

पटनाः बिहार में जल जीवन हरियाली योजना (Jal Jeewan Hariyali) के तहत 2865 माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग (Rain Water Harvesting) की व्यवस्था होगी. शिक्षा विभाग (Education Depatment) इसके लिए 6.4 करोड़ रुपए खर्च करेगा. वहीं, बिहार के 50 आदर्श प्लस टू स्कूलों में हाइटेक लैब बनाने के लिए शिक्षा विभाग पटना आईआईटी के साथ समझौता करने वाला है.

इसे भी पढ़ें- ध्वस्त होने की कगार पर है बिहार का सबसे बड़ा पायलट प्रोजेक्ट, प्राकृतिक प्रकोप और विभागीय उदासीनता का शिकार

शिक्षा विभाग ने सीएजी को इस बात की जानकारी दी है कि राज्य के सभी 38 जिलों के चिन्हित स्कूलों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए भौतिक संरचना के निर्माण पर 6 करोड़ 40 लाख रुपए खर्च की स्वीकृति दी गई है. इनमें से दो करोड़ 11 लाख 20 हजार रूपये की तत्काल स्वीकृति इस योजना को जमीन पर उतारने के लिए दे दी गई है.

बिहार शिक्षा परियोजना परिषद की ओर से चयनित विद्यालयों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की भौतिक संरचना निर्माण के लिए प्रति विद्यालय 80 हजार खर्च का आकलन हुआ है. इनमें 3000 वर्ग फीट जगह वाले विद्यालयों को प्राथमिकता दी गई है.

इसके अलावा पटना समेत राज्य के विभिन्न जिलों के 50 आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालयों की प्रयोगशालाओं को उच्च तकनीक से लैस करने के लिए शिक्षा विभाग आईआईटी पटना की सहायता ले रहा है. शिक्षा विभाग और आईआइटी पटना के बीच बहुत जल्द इसे लेकर समझौता होगा. इस योजना में सबसे ज्यादा स्कूल पटना के हैं.

पटना के जिन 7 स्कूलों का चयन हाईटेक लैब बनाने के लिए किया गया है उनमें पटना सदर के बांकीपुर स्कूल, टीके घोष एकेडमी, पटना हाई स्कूल, मिलर स्कूल, पाटलिपुत्र स्कूल, आरएसएम हाई स्कूल मोकामा और गणेश उच्च माध्यमिक विद्यालय बख्तियारपुर शामिल हैं. इनके अलावा समस्तीपुर के तीन, पूर्वी चंपारण और नालंदा के दो-दो, जबकि शेष जिलों के एक-एक प्लस टू स्कूल को इस योजना का लाभ मिलेगा.

इसे भी पढ़ें- औरंगाबाद: 18,500 युवाओं को मिल रहा मुख्यमंत्री निश्चय स्वयं सहायता भत्ता योजना का लाभ, सरकार कर रही मदद

जानकारी के मुताबिक जिन 50 आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालयों के लैब को आईआईटी पटना की मदद से विकसित किया जाएगा, उन स्कूलों के संबंधित शिक्षकों की ट्रेनिंग का मॉडल भी आईआईटी पटना ही तय करेगा.

इधर, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत बिहार के प्रारंभिक स्कूलों में पढ़ने वाले करीब एक करोड़ 68 लाख बच्चों को मिड-डे-मील योजना के तहत निर्धारित मात्रा में अनाज और खाना पकाने की राशि उनके खाते में भेजी जाएगी. क्योंकि कोरोना संक्रमण की वजह से स्कूलों में एमडीएम का खाना फिलहाल नहीं बन रहा है.

पहली से पांचवी कक्षा तक के बच्चों को प्रति बच्चा के लिए सौ ग्राम खाद्यान्न और 4.97 रूपये परिवर्तन मूल्य की प्रतिदिन की राशि के मुताबिक ढाई किलो अनाज और 124 रूपये मासिक दिए जाएंगे. वहीं, कक्षा 6 से 8 के बच्चों को प्रति बच्चा प्रतिदिन 150 ग्राम अनाज और 7.45 रूपये खाना पकाने के मुताबिक मध्य विद्यालय के हर बच्चे को होने 4 किलो अनाज और 186 रुपये दिए जाएंगे.

इसे भी पढ़ें- चार महीने से नहीं मिला पैसा, प्रोन्नति और वेतन की मांग को लेकर धरने पर बैठे शिक्षक

पटनाः बिहार में जल जीवन हरियाली योजना (Jal Jeewan Hariyali) के तहत 2865 माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग (Rain Water Harvesting) की व्यवस्था होगी. शिक्षा विभाग (Education Depatment) इसके लिए 6.4 करोड़ रुपए खर्च करेगा. वहीं, बिहार के 50 आदर्श प्लस टू स्कूलों में हाइटेक लैब बनाने के लिए शिक्षा विभाग पटना आईआईटी के साथ समझौता करने वाला है.

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शिक्षा विभाग ने सीएजी को इस बात की जानकारी दी है कि राज्य के सभी 38 जिलों के चिन्हित स्कूलों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए भौतिक संरचना के निर्माण पर 6 करोड़ 40 लाख रुपए खर्च की स्वीकृति दी गई है. इनमें से दो करोड़ 11 लाख 20 हजार रूपये की तत्काल स्वीकृति इस योजना को जमीन पर उतारने के लिए दे दी गई है.

बिहार शिक्षा परियोजना परिषद की ओर से चयनित विद्यालयों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की भौतिक संरचना निर्माण के लिए प्रति विद्यालय 80 हजार खर्च का आकलन हुआ है. इनमें 3000 वर्ग फीट जगह वाले विद्यालयों को प्राथमिकता दी गई है.

इसके अलावा पटना समेत राज्य के विभिन्न जिलों के 50 आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालयों की प्रयोगशालाओं को उच्च तकनीक से लैस करने के लिए शिक्षा विभाग आईआईटी पटना की सहायता ले रहा है. शिक्षा विभाग और आईआइटी पटना के बीच बहुत जल्द इसे लेकर समझौता होगा. इस योजना में सबसे ज्यादा स्कूल पटना के हैं.

पटना के जिन 7 स्कूलों का चयन हाईटेक लैब बनाने के लिए किया गया है उनमें पटना सदर के बांकीपुर स्कूल, टीके घोष एकेडमी, पटना हाई स्कूल, मिलर स्कूल, पाटलिपुत्र स्कूल, आरएसएम हाई स्कूल मोकामा और गणेश उच्च माध्यमिक विद्यालय बख्तियारपुर शामिल हैं. इनके अलावा समस्तीपुर के तीन, पूर्वी चंपारण और नालंदा के दो-दो, जबकि शेष जिलों के एक-एक प्लस टू स्कूल को इस योजना का लाभ मिलेगा.

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जानकारी के मुताबिक जिन 50 आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालयों के लैब को आईआईटी पटना की मदद से विकसित किया जाएगा, उन स्कूलों के संबंधित शिक्षकों की ट्रेनिंग का मॉडल भी आईआईटी पटना ही तय करेगा.

इधर, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत बिहार के प्रारंभिक स्कूलों में पढ़ने वाले करीब एक करोड़ 68 लाख बच्चों को मिड-डे-मील योजना के तहत निर्धारित मात्रा में अनाज और खाना पकाने की राशि उनके खाते में भेजी जाएगी. क्योंकि कोरोना संक्रमण की वजह से स्कूलों में एमडीएम का खाना फिलहाल नहीं बन रहा है.

पहली से पांचवी कक्षा तक के बच्चों को प्रति बच्चा के लिए सौ ग्राम खाद्यान्न और 4.97 रूपये परिवर्तन मूल्य की प्रतिदिन की राशि के मुताबिक ढाई किलो अनाज और 124 रूपये मासिक दिए जाएंगे. वहीं, कक्षा 6 से 8 के बच्चों को प्रति बच्चा प्रतिदिन 150 ग्राम अनाज और 7.45 रूपये खाना पकाने के मुताबिक मध्य विद्यालय के हर बच्चे को होने 4 किलो अनाज और 186 रुपये दिए जाएंगे.

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