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बिहार को IED धमाकों से दहलाने की चल रही साजिश, IB ने सभी IG और जिलों के SP को भेजा अलर्ट

बिहार के भागलपुर (Bhagalpur Blast) और गोपालगंज ब्लास्ट (Gopalganj Blast) के बाद IB ने सभी रेंज के IG, DIG और सभी जिलों के SSP और SP को अलर्ट (IB Alert In Bihar ) किया है. रिपोर्ट के मुताबिक पटाखा फैक्ट्रियों के पास मौजूद विस्फोटक का इस्तेमाल कर आतंकी बड़ी घटनाओं को अंजाम दे सकते हैं. पढ़िए पूरी खबर..

IB alert in bihar after bhagalpur gopalganj blasts
IB alert in bihar after bhagalpur gopalganj blasts
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Published : Mar 12, 2022, 3:10 PM IST

Updated : Mar 12, 2022, 4:49 PM IST

पटना: बिहार में एक के बाद एक हो रहे धमाकों (Bihar bomb blast) के बाद बिहार पुलिस की खुफिया विंग और आईबी के कान खड़े हो गए हैं. भागलपुरगोपालगंज में अवैध पटाखा फैक्ट्री में धमाके के बाद बिहार पुलिस अलर्ट हो गई है. तो वहीं विशेष शाखा और आईबी ने आशंका जताई है कि अवैध रूप से चल रही पटाखा फैक्ट्रियों का फायदा पाकिस्तानी समर्थक आतंकी संगठन (Terrorist Incident Bihar) को हो सकता है. पटाखा फैक्ट्रियों के पास मौजूद विस्फोटक का इस्तेमाल कर बड़ी आतंकी घटनाओं का अंजाम दिया जा सकता है. जिसके बाद पटाखा फैक्ट्रियों की निगरानी बढ़ाने का निर्देश आईबी ने दिया गया है.

पढ़ें- Darbhanga Parcel Blast: CCTV फुटेज में दिखा एक और संदिग्ध, वीडियो की जांच जारी

IB का अलर्ट: दरअसल आईबी को इनपुट है कि आतंकी टिफिन बम का इस्तेमाल जानमाल को नुकसान पहुंचाने के लिए कर सकते हैं. भागलपुर गोपालगंज में ब्लास्ट के बाद जिस तरह से विस्फोटक पदार्थ और चार से पांच की संख्या में प्रेशर कुकर बरामद किया गया है, इससे कई तरह की आशंकाएं जताई जा रही हैं. आईबी के अलर्ट के पीछे कहीं ना कहीं बड़ा कारण यह भी है कि भागलपुर में पिछले दिनों कचरे के अंबार में बम विस्फोट की घटनाएं सामने आ चुकी हैं. तो वहीं बांका (Banka Blast) के बाद दरभंगा (Darbhanga Blast) में हुए बम ब्लास्ट का भी आतंकी कनेक्शन सामने आ चुका है.

पढ़ें- Blast In Gopalganj: ADG बोले- FSL करेगी मामले की जांच, भागलपुर की घटना से नहीं है संबंध

सभी रेंज के IG, DIG और सभी जिलों के SSP और SP को किया गया अलर्ट: आपको बता दें कि भागलपुर में 3 मार्च को हुए धमाके में 15 लोगों की जान गई थी. साथ ही ब्लास्ट के कारण 4 मकान धराशायी हो गए थे. वहीं गोपालगंज जिले में 9 मार्च को हुए धमाके में एक व्यक्ति की जान जा चुकी है. भागलपुर ब्लास्ट मामले के मुख्य आरोपी मोहम्मद जावेद से पूछताछ के दौरान पुलिस को कई तरह की इनपुट मिले हैं. जो कि पुलिस द्वारा साझा नहीं किया जा रहा है. मोहम्मद जावेद द्वारा बंगाल और झारखंड से विस्फोटक पदार्थ लाए जाने के भी साक्ष्य मिले हैं. ऐसे में देश विरोधी असामाजिक तत्व आतंकवादियों के साथ मिल टिफिन बॉक्स में IED का इस्तेमाल कर आतंकवादी संगठन बिहार के अंदर इसका फायदा उठा सकते हैं. इस संबंध में IB की तरफ से बिहार के सभी रेंज के IG, DIG और सभी जिलों के SSP व SP (रेल जिला सहित) को एक अलर्ट भेजा है. इन सभी से अपने रेंज व जिला में विशेष चौकसी बरतने को कहा है.

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पढ़ें- भागलपुर ब्लास्टः मृतकों की संख्या 16 हुई, ATS ने कलेक्ट किये सैंपल.. गिराई जाएंगी 3 क्षतिग्रस्त इमारतें

पटाखा बनाने के लिए सोडियम नाइट्रेट सल्फर और गन पाउडर (Bhagalpur Gunpowder Blast) आदि का इस्तेमाल होता है. इससे बड़े और घातक बम (Gopalganj gunpowder blast) भी बनाए जा सकते हैं. लिहाजा कहा जा रहा है कि आपराधिक तत्व और आतंकी इसका फायदा उठा सकते हैं. जिसके बाद आईबी ने सभी जिले की पुलिस को अवैध पटाखा फैक्ट्रियों को चिन्हित कर कार्रवाई करने को कहा है. आइबी ने आशंका जताई है कि पाक समर्थित आतंकी संगठन पहले से स्थानीय सप्लाई चैनल को नेटवर्क तैयार करने में लगे हुए हैं. जिससे किसी बड़ी वारदात को अंजाम दिया जा सके.

पढ़ें- भागलपुर ब्लास्ट के बाद पुलिस एक्टिव, छापेमारी के दौरान एक गोदाम में मिले 1800 कार्टन पटाखे

पहले भी हो चुके हैं कई धमाके: राज्य में कहीं ना कहीं आतंकी संगठन के स्लीपर सेल (Bihar Sleeper Cell) और उनकी गतिविधियां बोधगया और पटना गांधी मैदान मामला से संबंध घटनाओं में पहले भी सामने आ चुका है. आपको बता दें कि बिहार में अब तक दो बड़ी आतंकी घटनाएं हो चुकी हैं जिसमें बोधगया और पटना के गांधी मैदान ब्लास्ट के पीछे आतंकी संगठन आईएम का हाथ था. बिहार और झारखंड से जुड़े स्लीपर सेल ने इस घटना को अंजाम देने में अहम भूमिका निभाई थी. जिसके बाद विगत महीने पहले दरभंगा रेलवे स्टेशन पर हुए केमिकल ब्लास्ट में भी आतंकी साजिश का पता चला था.

क्या कहना है रक्षा विशेषज्ञ का: भागलपुर गोपालगंज में हुए पटाखा के विस्फोट मामले में रक्षा विशेषज्ञ ललन सिंह की मानें तो इतनी भारी मात्रा में विस्फोटक पदार्थ का होना कई तरह के शक और शंका की ओर इशारा कर रहा है. मौजूदा वक्त में ना ही बिहार में दिवाली है और ना ही लगन है. ऐसे में भारी मात्रा में विस्फोटक मिलना कहीं ना कहीं किसी बड़ी साजिश की ओर इशारा कर रहा है. इस वजह से यह माना ही नहीं आ सकता है कि किसी पटाखा निर्माण के लिए यह विस्फोटक पदार्थ आया था.

पढें- Darbhanga Blast Case: क्या बिहार में एक्टिव हो गए हैं दरभंगा मॉडल के स्लीपर सेल?

"भारी मात्रा में विस्फोटक के माध्यम से आतंकी स्लीपर सेल के माध्यम से बिहार या दूसरे राज्य में किसी धार्मिक स्थल या होली को लेकर देश की सुरक्षा में सेंध लगाने की कवायद में जुटे थे. क्योंकि जिस तरह से टिफिन बम या कुकर बम के माध्यम से घटना को अंजाम देने की कोशिश की जा रही है,यह बड़ी साजिश की ओर इशारा कर रहा है. एलओसी के रास्ते कोई भी आतंकी किसी भी तरह से घुसपैठ नहीं कर सकते हैं और ना ही किसी तरह का विस्फोटक पदार्थ ला सकते हैं. बिहार से सटा नेपाल बॉर्डर ही खुला हुआ बॉर्डर है. बांग्लादेश के रास्ते बिहार में आसानी से घुसा जा सकता है. आतंकी पहले भी घुस चुके हैं."- ललन सिंह, रक्षा विशेषज्ञ

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बिहार आतंकियों के लिए सेफ जोन!: बिहार का मिथिलांचल और सीमांचल इलाका आतंकियों के लिए सेफ जोन माना जाता रहा है. रक्षा विशेषज्ञ के मुताबिक लखनऊ मीनार मॉडल के माध्यम से पता चला था कि बिहार में आतंकियों के छुपने के लिए मिथिलांचल और सीमांचल सेफ जोन हैं. रक्षा विशेषज्ञ ललन सिंह की मानें तो बिहार से यूपी तक 1000 किलोमीटर से ज्यादा का हिस्सा नेपाल से सटा हुआ है. आतंकी भारत में घुसने के लिए कहीं ना कहीं बांग्लादेश और नेपाल का रास्ता चुन रहे हैं.

पढ़ें- Darbhanga Blast: इंडियन मुजाहिदीन का गढ़ रहा है दरभंगा, ब्लास्ट से उठ रहे कई सवाल

आतंकियों का बिहार कनेक्शन: आपको बता दें कि साल 2018 में इंडियन मुजाहिदीन का मोस्ट वांटेड आतंकी अब्दुल सुभान कुरैशी भी नेपाल के रास्ते भारत आया था. इसे दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने पकड़ा था. विगत कुछ दिन पहले दिल्ली से गिरफ्तार अशरफ जोकि नेपाल के रास्ते भारत आया था और पिछले 15 वर्ष से अधिक समय से भारत के अलग-अलग शहरों में रह रहा था. उसने बिहार से ही फर्जी पासपोर्ट बनाने का भी काम किया था. पहले भी कोलकाता के अमेरिकन सेंटर पर हुए हमले का आरोपी फरहान मलिक का पासपोर्ट भी बिहार के नालंदा से बना था.

बिहार में टेरर फंडिंग का सनसनीखेज खुलासा: बिहार के गोपालगंज में हाल के दिनों में गिरफ्तार हुए जफर अब्बास (Gopalganj Zafar Abbas) के माध्यम से बिहार में टेरर फंडिंग (Terror Funding In Bihar) का सनसनीखेज खुलासा हुआ था. एनआईए ने गोपालगंज से आतंकी को पकड़ा था. सरहद पार से आरोपी युवक ने 6 करोड़ रुपये मंगाए थे. इन पैसे से आतंकियों से कनेक्शन होने का पुख्ता सबूत मिला था और पुलिस सूत्रों के मुताबिक जफरा पास आजादी कश्मीर नाम के संगठन से जुड़ा था.

पढ़ें- टेररिस्ट तक हथियार पहुंचाने वाले 4 युवक गिरफ्तार, जानिए क्या है आतंकियों का बिहार कनेक्शन

आतंकियों को हथियार सप्लाई: आपको बता दें कि जफर अब्बास की गिरफ्तारी से पहले एनआईए ने कुछ वर्ष पहले अबू बेदार वक्त उर्फ़ धनु राजा को गिरफ्तार किया था. जिसके ऊपर कुख्यात आतंकी सोहेल खान को गोपालगंज (Gopalganj Terrorist Sohail Khan) में शरण देने का आरोप लगा था. वहीं हाल के दिनों में सारण जिले के युवक को गिरफ्तार किया गया था. उसके द्वारा बिहार से आतंकियों को हथियार सप्लाई किया जा रहा था. जिसका खुलासा कश्मीर पुलिस और एनआईए ने किया था.

अब तक कई आतंकी हो चुके हैं गिरफ्तार: आतंकियों का बिहार से लगातार कनेक्शन सामने आ रहा है. बिहार का सीमांचल मिथिलांचल इलाका कहीं ना कहीं आतंकियों के छुपने के लिए सेफ जोन माना जाने लगा है. आपको बता दें कि साल 2013 में खुफिया एजेंसी ने इंडियन मुजाहिदीन के मोस्ट वांटेड सरगना यासीन भटकल और असादुल्लाह उर्फ हड्डी को रक्सौल से गिरफ्तार किया था. वहीं लश्कर के बम मशीन अब्दुल करीम टुंडा को भारत-नेपाल सीमा से गिरफ्तार किया गया था.

लश्कर के नेपाल चीफ मोहम्मद मदनी को भी 2009 में गिरफ्तार किया गया था. यही नहीं दरभंगा बम ब्लास्ट मामले में भी जिन चार आतंकियों को गिरफ्तार किया गया है उनका भी कनेक्शन कहीं ना कहीं बिहार से सामने आया है. साल 2006 में बेनीपट्टी से मोहम्मद कमाल की गिरफ्तारी की गई थी. वहीं साल 2008 में सलाउद्दीन को सकरी और मोहम्मद फारुख को माधवपुर और मोहम्मद मुख्तार अली खान को 2019 में मधुबनी से गिरफ्तार किया गया था.

मोहम्मद मदनी बेनीपट्टी का निवासी था, उसकी गिरफ्तारी की गई थी. यही नहीं मोहम्मद फजलुर रहमान दरभंगा के जाले से गिरफ्तार किया गया था. अब्दुल रहमान जो कि दरभंगा का निवासी रहा है उसे चेन्नई से गिरफ्तार किया गया था. इसके अलावा मुंबई सीरियल ब्लास्ट के कथित तौर पर फौजी से संबंध रखने के आरोप में मोहम्मद रियाजुल को भी बिहार से पकड़ा गया था.

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पटना: बिहार में एक के बाद एक हो रहे धमाकों (Bihar bomb blast) के बाद बिहार पुलिस की खुफिया विंग और आईबी के कान खड़े हो गए हैं. भागलपुरगोपालगंज में अवैध पटाखा फैक्ट्री में धमाके के बाद बिहार पुलिस अलर्ट हो गई है. तो वहीं विशेष शाखा और आईबी ने आशंका जताई है कि अवैध रूप से चल रही पटाखा फैक्ट्रियों का फायदा पाकिस्तानी समर्थक आतंकी संगठन (Terrorist Incident Bihar) को हो सकता है. पटाखा फैक्ट्रियों के पास मौजूद विस्फोटक का इस्तेमाल कर बड़ी आतंकी घटनाओं का अंजाम दिया जा सकता है. जिसके बाद पटाखा फैक्ट्रियों की निगरानी बढ़ाने का निर्देश आईबी ने दिया गया है.

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IB का अलर्ट: दरअसल आईबी को इनपुट है कि आतंकी टिफिन बम का इस्तेमाल जानमाल को नुकसान पहुंचाने के लिए कर सकते हैं. भागलपुर गोपालगंज में ब्लास्ट के बाद जिस तरह से विस्फोटक पदार्थ और चार से पांच की संख्या में प्रेशर कुकर बरामद किया गया है, इससे कई तरह की आशंकाएं जताई जा रही हैं. आईबी के अलर्ट के पीछे कहीं ना कहीं बड़ा कारण यह भी है कि भागलपुर में पिछले दिनों कचरे के अंबार में बम विस्फोट की घटनाएं सामने आ चुकी हैं. तो वहीं बांका (Banka Blast) के बाद दरभंगा (Darbhanga Blast) में हुए बम ब्लास्ट का भी आतंकी कनेक्शन सामने आ चुका है.

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सभी रेंज के IG, DIG और सभी जिलों के SSP और SP को किया गया अलर्ट: आपको बता दें कि भागलपुर में 3 मार्च को हुए धमाके में 15 लोगों की जान गई थी. साथ ही ब्लास्ट के कारण 4 मकान धराशायी हो गए थे. वहीं गोपालगंज जिले में 9 मार्च को हुए धमाके में एक व्यक्ति की जान जा चुकी है. भागलपुर ब्लास्ट मामले के मुख्य आरोपी मोहम्मद जावेद से पूछताछ के दौरान पुलिस को कई तरह की इनपुट मिले हैं. जो कि पुलिस द्वारा साझा नहीं किया जा रहा है. मोहम्मद जावेद द्वारा बंगाल और झारखंड से विस्फोटक पदार्थ लाए जाने के भी साक्ष्य मिले हैं. ऐसे में देश विरोधी असामाजिक तत्व आतंकवादियों के साथ मिल टिफिन बॉक्स में IED का इस्तेमाल कर आतंकवादी संगठन बिहार के अंदर इसका फायदा उठा सकते हैं. इस संबंध में IB की तरफ से बिहार के सभी रेंज के IG, DIG और सभी जिलों के SSP व SP (रेल जिला सहित) को एक अलर्ट भेजा है. इन सभी से अपने रेंज व जिला में विशेष चौकसी बरतने को कहा है.

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पटाखा बनाने के लिए सोडियम नाइट्रेट सल्फर और गन पाउडर (Bhagalpur Gunpowder Blast) आदि का इस्तेमाल होता है. इससे बड़े और घातक बम (Gopalganj gunpowder blast) भी बनाए जा सकते हैं. लिहाजा कहा जा रहा है कि आपराधिक तत्व और आतंकी इसका फायदा उठा सकते हैं. जिसके बाद आईबी ने सभी जिले की पुलिस को अवैध पटाखा फैक्ट्रियों को चिन्हित कर कार्रवाई करने को कहा है. आइबी ने आशंका जताई है कि पाक समर्थित आतंकी संगठन पहले से स्थानीय सप्लाई चैनल को नेटवर्क तैयार करने में लगे हुए हैं. जिससे किसी बड़ी वारदात को अंजाम दिया जा सके.

पढ़ें- भागलपुर ब्लास्ट के बाद पुलिस एक्टिव, छापेमारी के दौरान एक गोदाम में मिले 1800 कार्टन पटाखे

पहले भी हो चुके हैं कई धमाके: राज्य में कहीं ना कहीं आतंकी संगठन के स्लीपर सेल (Bihar Sleeper Cell) और उनकी गतिविधियां बोधगया और पटना गांधी मैदान मामला से संबंध घटनाओं में पहले भी सामने आ चुका है. आपको बता दें कि बिहार में अब तक दो बड़ी आतंकी घटनाएं हो चुकी हैं जिसमें बोधगया और पटना के गांधी मैदान ब्लास्ट के पीछे आतंकी संगठन आईएम का हाथ था. बिहार और झारखंड से जुड़े स्लीपर सेल ने इस घटना को अंजाम देने में अहम भूमिका निभाई थी. जिसके बाद विगत महीने पहले दरभंगा रेलवे स्टेशन पर हुए केमिकल ब्लास्ट में भी आतंकी साजिश का पता चला था.

क्या कहना है रक्षा विशेषज्ञ का: भागलपुर गोपालगंज में हुए पटाखा के विस्फोट मामले में रक्षा विशेषज्ञ ललन सिंह की मानें तो इतनी भारी मात्रा में विस्फोटक पदार्थ का होना कई तरह के शक और शंका की ओर इशारा कर रहा है. मौजूदा वक्त में ना ही बिहार में दिवाली है और ना ही लगन है. ऐसे में भारी मात्रा में विस्फोटक मिलना कहीं ना कहीं किसी बड़ी साजिश की ओर इशारा कर रहा है. इस वजह से यह माना ही नहीं आ सकता है कि किसी पटाखा निर्माण के लिए यह विस्फोटक पदार्थ आया था.

पढें- Darbhanga Blast Case: क्या बिहार में एक्टिव हो गए हैं दरभंगा मॉडल के स्लीपर सेल?

"भारी मात्रा में विस्फोटक के माध्यम से आतंकी स्लीपर सेल के माध्यम से बिहार या दूसरे राज्य में किसी धार्मिक स्थल या होली को लेकर देश की सुरक्षा में सेंध लगाने की कवायद में जुटे थे. क्योंकि जिस तरह से टिफिन बम या कुकर बम के माध्यम से घटना को अंजाम देने की कोशिश की जा रही है,यह बड़ी साजिश की ओर इशारा कर रहा है. एलओसी के रास्ते कोई भी आतंकी किसी भी तरह से घुसपैठ नहीं कर सकते हैं और ना ही किसी तरह का विस्फोटक पदार्थ ला सकते हैं. बिहार से सटा नेपाल बॉर्डर ही खुला हुआ बॉर्डर है. बांग्लादेश के रास्ते बिहार में आसानी से घुसा जा सकता है. आतंकी पहले भी घुस चुके हैं."- ललन सिंह, रक्षा विशेषज्ञ

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बिहार आतंकियों के लिए सेफ जोन!: बिहार का मिथिलांचल और सीमांचल इलाका आतंकियों के लिए सेफ जोन माना जाता रहा है. रक्षा विशेषज्ञ के मुताबिक लखनऊ मीनार मॉडल के माध्यम से पता चला था कि बिहार में आतंकियों के छुपने के लिए मिथिलांचल और सीमांचल सेफ जोन हैं. रक्षा विशेषज्ञ ललन सिंह की मानें तो बिहार से यूपी तक 1000 किलोमीटर से ज्यादा का हिस्सा नेपाल से सटा हुआ है. आतंकी भारत में घुसने के लिए कहीं ना कहीं बांग्लादेश और नेपाल का रास्ता चुन रहे हैं.

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आतंकियों का बिहार कनेक्शन: आपको बता दें कि साल 2018 में इंडियन मुजाहिदीन का मोस्ट वांटेड आतंकी अब्दुल सुभान कुरैशी भी नेपाल के रास्ते भारत आया था. इसे दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने पकड़ा था. विगत कुछ दिन पहले दिल्ली से गिरफ्तार अशरफ जोकि नेपाल के रास्ते भारत आया था और पिछले 15 वर्ष से अधिक समय से भारत के अलग-अलग शहरों में रह रहा था. उसने बिहार से ही फर्जी पासपोर्ट बनाने का भी काम किया था. पहले भी कोलकाता के अमेरिकन सेंटर पर हुए हमले का आरोपी फरहान मलिक का पासपोर्ट भी बिहार के नालंदा से बना था.

बिहार में टेरर फंडिंग का सनसनीखेज खुलासा: बिहार के गोपालगंज में हाल के दिनों में गिरफ्तार हुए जफर अब्बास (Gopalganj Zafar Abbas) के माध्यम से बिहार में टेरर फंडिंग (Terror Funding In Bihar) का सनसनीखेज खुलासा हुआ था. एनआईए ने गोपालगंज से आतंकी को पकड़ा था. सरहद पार से आरोपी युवक ने 6 करोड़ रुपये मंगाए थे. इन पैसे से आतंकियों से कनेक्शन होने का पुख्ता सबूत मिला था और पुलिस सूत्रों के मुताबिक जफरा पास आजादी कश्मीर नाम के संगठन से जुड़ा था.

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आतंकियों को हथियार सप्लाई: आपको बता दें कि जफर अब्बास की गिरफ्तारी से पहले एनआईए ने कुछ वर्ष पहले अबू बेदार वक्त उर्फ़ धनु राजा को गिरफ्तार किया था. जिसके ऊपर कुख्यात आतंकी सोहेल खान को गोपालगंज (Gopalganj Terrorist Sohail Khan) में शरण देने का आरोप लगा था. वहीं हाल के दिनों में सारण जिले के युवक को गिरफ्तार किया गया था. उसके द्वारा बिहार से आतंकियों को हथियार सप्लाई किया जा रहा था. जिसका खुलासा कश्मीर पुलिस और एनआईए ने किया था.

अब तक कई आतंकी हो चुके हैं गिरफ्तार: आतंकियों का बिहार से लगातार कनेक्शन सामने आ रहा है. बिहार का सीमांचल मिथिलांचल इलाका कहीं ना कहीं आतंकियों के छुपने के लिए सेफ जोन माना जाने लगा है. आपको बता दें कि साल 2013 में खुफिया एजेंसी ने इंडियन मुजाहिदीन के मोस्ट वांटेड सरगना यासीन भटकल और असादुल्लाह उर्फ हड्डी को रक्सौल से गिरफ्तार किया था. वहीं लश्कर के बम मशीन अब्दुल करीम टुंडा को भारत-नेपाल सीमा से गिरफ्तार किया गया था.

लश्कर के नेपाल चीफ मोहम्मद मदनी को भी 2009 में गिरफ्तार किया गया था. यही नहीं दरभंगा बम ब्लास्ट मामले में भी जिन चार आतंकियों को गिरफ्तार किया गया है उनका भी कनेक्शन कहीं ना कहीं बिहार से सामने आया है. साल 2006 में बेनीपट्टी से मोहम्मद कमाल की गिरफ्तारी की गई थी. वहीं साल 2008 में सलाउद्दीन को सकरी और मोहम्मद फारुख को माधवपुर और मोहम्मद मुख्तार अली खान को 2019 में मधुबनी से गिरफ्तार किया गया था.

मोहम्मद मदनी बेनीपट्टी का निवासी था, उसकी गिरफ्तारी की गई थी. यही नहीं मोहम्मद फजलुर रहमान दरभंगा के जाले से गिरफ्तार किया गया था. अब्दुल रहमान जो कि दरभंगा का निवासी रहा है उसे चेन्नई से गिरफ्तार किया गया था. इसके अलावा मुंबई सीरियल ब्लास्ट के कथित तौर पर फौजी से संबंध रखने के आरोप में मोहम्मद रियाजुल को भी बिहार से पकड़ा गया था.

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Last Updated : Mar 12, 2022, 4:49 PM IST
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