पटना: बिहार में एनडीए सरकार के गिरने और बीजेपी से जदयू के अलग हो जाने के बाद तात्कालिक रूप से वोट मार्जिन (BJP Will Maintain Vote Margin Gap In 2024) के लिहाज से बीजेपी को बड़ा नुकसान होता हुआ दिख रहा है. जबकि उतना ही उछाल महागठबंधन के वोट परसेंट में दिख रहा है. 2020 के चुनाव ( Bihar Assembly Election 2020) में जब एनडीए में बीजेपी और जदयू के साथ कुछ अन्य दल शामिल थे, तब एनडीए को 37% के करीब वोट शेयर हुआ था. वहीं महागठबंधन का 35% के करीब वोट शेयर था.
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महागठबंधन से बीजेपी को मिल सकती है कड़ी टक्कर: अब बदली परिस्थिति में जदयू महागठबंधन के साथ है. इस लिहाज से महागठबंधन का तात्कालिक वोट शेयर 50% के करीब दिख रहा है. जबकि बीजेपी अकेली है और उसका वर्तमान में वोट शेयर 2020 के चुनाव के अनुसार 20% के ही करीब है. अब बड़ा सवाल यह उठता है कि अगर बीजेपी के साथ 2024 ( Lok Sabha Election 2024) में कोई अन्य दल शामिल नहीं होता है और बीजेपी अकेले ही रहती है तो वोट मार्जिन के इस अंतर को बीजेपी आखिर कैसे मेंटेन करेगी?
वोट शेयरिंग ने बढ़ा दी है चिंता: अगर 2020 के चुनावी आंकड़े पर नजर डालें तो बीजेपी को 19.46% वोट शेयर के साथ 74 सीटें मिली थी. वहीं जदयू को 15.39% वोट शेयर मिला था. जबकि उसके उसको 43 सीटें प्राप्त हुई थी. वहीं अन्य प्रमुख बड़े दलों में राजद को 30.11% सीट के वोट शेयर के साथ 75 सीटें मिली थी, जबकि कांग्रेस का 9.48% और लोजपा का 5.66% वोट शेयर था. अगर इसमें वामदलों के वोट शेयर को जोड़ा जाए तो सीपीआई का .83% व सीपीएम का .65% वोट शेयर था. अन्य जिलों में एआईएमआईएम का 1.25%, बीएसपी का 1.49% आरएलएसपी का 1.7% और एनसीपी का .23% वोट शेयर था.
वर्तमान में बीजेपी अकेली: अब अगर बदले हालात में देखा जाए तो 2020 में जदयू को प्राप्त 15.42% वोट शेयर महागठबंधन में जुड़ चुका है. इसमें राजद, कांग्रेस और लेफ्ट का वोट शेयर पहले से ही है. इस लिहाज से आज की तारीख में महागठबंधन का वोट शेयर कुल मिलाकर 50% के करीब बैठता है. जबकि वर्तमान में बीजेपी अकेली है और 2020 के विधानसभा चुनाव के अनुसार उसके पास महज 19.46 परसेंट का ही वोट शेयर है. ऐसे में एक बड़ा सवाल यह उठता है कि 2024 तक अगर महागठबंधन का स्वरूप यही रहा और बीजेपी के साथ कोई अन्य पार्टियां नहीं जुड़ी तो आखिर बीजेपी वोट मार्जिन के लंबे अंतर को कैसे मेंटेन करेगी?
राजनीतिक विशेषज्ञों की राय : चुनावी आंकड़ों पर विशेष पकड़ रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार मनोज पाठक कहते हैं कि इसमें कहीं कोई शक नहीं है कि बिहार में जो सियासी बदलाव हुए हैं उसका प्रभाव आने वाले चुनाव में पड़ेगा. लेकिन यह भी कहना आसान नहीं है कि चुनाव के पहले परिवर्तन नहीं होगा. देखा जाए तो वह 2020 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी का मत प्रतिशत 19 के करीब था और जदयू का 15% के करीब था.राजद का वोट बैंक ठीक है लेकिन यदि अब हर वक्त नीचे की तरफ आ रहा है. अभी हाल ही में एक सर्वे भी आया था जिसमें नीतीश कुमार को 26% लोगों ने पसंद किया है जबकि उसमें भी बीजेपी की 16% है, जबकि तेजस्वी ऊपर हैं.
"अब जदयू महागठबंधन में वापस है तो इनका मत प्रतिशत 50 के करीब है. अब रही बात कि बीजेपी आगे कैसे बढ़ेगी, तो इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि बीजेपी का कार्यकर्ता सबसे ज्यादा मजबूत माना जाता है. कार्यकर्ता के रूप में बीजेपी सभी दलों को पीछे छोड़ सकती है."- मनोज पाठक, वरिष्ठ पत्रकार
राजद का दावा- 'होगा कड़ा मुकाबला': वोट शेयर के मामले पर महागठबंधन की तरफ से अपनी बातों को रखते हुए राजद के प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव कहते हैं कि बिहार में लड़ाई 50 पार का नहीं है बल्कि 15 बनाम 85 का है. महागठबंधन ए टू जेड है जबकि भारतीय जनता पार्टी के पास कौन है? बीजेपी 27 पार्टियों के गठबंधन को चलाती थी. आज के दिन उनके साथ एक भी नहीं है.
"जिस पार्टी ने बीजेपी का साथ दिया बीजेपी ने उसी को एलिमिनेट कर दिया. बीजेपी अकेली पड़ जाएगी. बिहार के अंदर बीजेपी को मिट्टी भी नसीब नहीं होगी. बीजेपी मार्जिन को कैसे मेंटेन कर पाएगी ? 2014 में झूठे सपने दिखा कर सत्ता में आ गए थे. वह 2024 में दिखाई नहीं पड़ेगा. बिहार में इनका सूपड़ा साफ है. यह मैंडेट की वापसी है."- शक्ति सिंह यादव, राजद प्रवक्ता
बोले बीजेपी प्रवक्ता- 'वोट पर नहीं पड़ेगा फर्क': वहीं वोट मार्जिन के बातों पर बीजेपी के प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल का अलग ही बयान है. वह कहते हैं कि जब विधानसभा का चुनाव हुआ था तो जदयू एनडीए का एक हिस्सा थी. एनडीए को 40% के करीब तब वोट आया था जबकि महागठबंधन को 30- 32% के करीब वोट मिला था. प्रेम रंजन बताते हैं, लोजपा अलग चुनाव लड़ी थी लेकिन लोजपा को जो वोट गए थे जो एनडीए के साथ थे. जदयू के ऊपर बिहार की जनता को भरोसा नहीं था. हमारे प्रधानमंत्री ने जदयू के ऊपर भरोसा दिलाया था. जदयू की सीट पर जो वोट मिला है, वह बीजेपी समर्थित वोट मिला है.
"आज भी बिहार की जनता का भरोसा नरेंद्र मोदी के ऊपर है. उस भरोसे के आधार पर हम अपने वोट बैंक को कायम रखने का काम करेंगे. एनडीए पूरी मजबूती के साथ थी और आगे भी रहेगी."- प्रेम रंजन पटेल, बीजेपी प्रवक्ता
लोजपा (R) के प्रवक्ता का बयान: वोट मार्जिन के मसले पर लोजपा (रामविलास) के मुख्य प्रवक्ता राजेश भट्ट कहते हैं कि राजनीति परसेप्शन की चीज है. अभी जो महागठबंधन बना है हम मानते हैं कि अभी हो सकता है कि मजबूत हो लेकिन जिन जन आकांक्षाओं को लेकर इन्हें जनादेश मिला था, उस हैसियत से अगर देखा जाए तो बिहार की जनता में छटपटाहट है. बिल्कुल अलग जाकर इन्होंने महागठबंधन का एक नया स्वरूप तय किया है.
"यह स्वार्थ का बंधन है, यह कब टूट जाएगा, कहना मुश्किल है. नीतीश कुमार ने 8 वर्ष में 3 बार गठबंधन बदले हैं. क्या गारंटी है कि यह सरकार 2024 तक चलेगी? अभी गठबंधन है. आंकड़ों के खेल में हो सकता है कि महागठबंधन अभी मजबूत हो लेकिन इन आंकड़ों को बहुत दिन तक समेटने के लिए काबिल नेतृत्व नहीं है. लोकसभा का चुनाव एक बड़े एजेंडे पर होता है."- राजेश भट्ट, मुख्य प्रवक्ता, लोजपा (रामविलास)
जब अकेले चुनाव लड़ी थी JDU: 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी और जदयू ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था. बीजेपी ने 30 सीटों पर चुनाव लड़ा था जिनमें 22 सीट पर जीत दर्ज की. वहीं जदयू ने 38 सीटों पर चुनाव लड़कर मात्र दो सीटें ही जीत पाई थी. 6 सीटें जीतकर एलजेपी उससे बड़ी पार्टी बनी. 4 सीट जीतकर आरजेडी तीसरे नंबर पर खिसक गई थी.
BJP के साथ आते ही JDU को मिला था फायदा : 2019 का लोकसभा चुनाव जदयू ने एक बार फिर से बीजेपी के साथ लड़ा. लोकसभा की 40 सीटों में से बीजेपी और जदयू ने 50-50 के फॉर्मूले के हिसाब से 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ा था. बाकी सीटें एलजेपी को दे दी गई थी. उन्हें 6 सीटें मिली थी. बीजेपी और एलजेपी ने अपनी सभी सीटें जीती थीं. वहीं, जेडीयू 17 में से एक सीट हार गई थी.
महागठबंधन के लिए साथ रहना चुनौती: भले ही जदयू और आरजेडी वोट प्रतिशत बीजेपी से ज्यादा हो. महागठबंधन मजबूत दिख रहा है, लेकिन जब लोकसभा चुनाव में सीट बंटवारे की बात आएगी तो क्या महागठबंधन की सभी पार्टियां एक रहेंगी. क्या सीटों के बंटवारे का फॉर्मूला होगा. असली परीक्षा तभी सामने आएगी.