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गायघाट बालिका गृह कांड ने बढ़ाई बिहार सरकार की परेशानी, 7 फरवरी को हाईकोर्ट में देना होगा जवाब

चर्चित मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड के बाद अब पटना में गायघाट बालिका गृह (Gaighat Shelter Home) से जुड़े यौन उत्पीड़न के मामले ने बिहार को शर्मसार कर दिया है. पीड़िता ने शेल्टर होम की करतूतों को उजागर कर न केवल व्यवस्था पर बल्कि नीतीश सरकार की भी परेशानी बढ़ा दी है, क्योंकि विपक्ष लगातार सरकार पर हमलावर है. वहीं हाईकोर्ट ने भी मामले में सख्ती दिखाई है.

शेल्टर होम मामले में घिरी सरकार
शेल्टर होम मामले में घिरी सरकार
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Published : Feb 6, 2022, 7:25 PM IST

पटना: गायघाट बालिका गृह (Gaighat Shelter Home) एक बार फिर से सुर्खियों में है. रिमांड होम से भागी एक युवती ने शेल्टर होम संचालिका वंदना गुप्ता (Shelter Home Operator Vandana Gupta) पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. इसके बाद से रिमांड होम की व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़े हो गए हैं. वीडियो में युवती ने अधीक्षिका के ऊपर लड़कियों का शारीरिक और मानसिक शोषण के गंभीर आरोप लगाए हैं. आरोप लगाने वाली युवती ने बताया कि वहां गंदा काम होता है. आरोप के अनुसार लड़कियों को नशे का इंजेक्शन देकर अवैध धंधा करने के लिए विवश किया जाता है.

ये भी पढ़ें: गायघाट बालिका गृह: पीड़िता ने हाईकोर्ट में दाखिल की इंटरवेनर एप्‍लीकेशन, कहा- उसकी बातों को भी सुना जाए

यह मामला अब इतना तूल पकड़ लिया कि पटना हाईकोर्ट को भी इस मामले पर संज्ञान लेना पड़ा. हालांकि, इस मामले में लड़की के बयान के बाद समाज कल्याण विभाग ने आनन-फानन में एक टीम गठित कर इस पूरे मामले की जांच करवाकर लीपापोती कर अधीक्षिका वंदना गुप्ता को क्लीन चिट दे दिया. जांच टीम की रिपोर्ट के मुताबिक आरोप लगाने वाली युवती का व्‍यवहार ठीक नहीं है. उसने पति पर भी गंभीर आरोप लगाए, जिसे बाद में वापस ले लिया. जांच टीम के अनुसार झूठ बोलना, अन्य बालिकाओं को उकसाना, रिमांड होम के कमियों की शिकायत करना, साथ ही गृह कर्मियों को धमकी देना उसके स्वभाव में शामिल पाया गया. जांच रिपोर्ट में लड़की को झगड़ालू बताया गया.

वहीं शेल्टर होम मामले पर बिहार की राजनीति एक बार फिर से गरमा गई है. इस मामले पर अभी राजनीतिक पार्टियां जांच की मांग कर रही हैं तो वहीं बिहार की पूर्व सीएम राबड़ी देवी खुलकर सामने आ गई हैं. राबड़ी ने गायघाट रिमांड होम कांड पर बिहार सरकार को पूरी तरह से जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि इस तरह की घटना पूरी मशीनरी की विफलता का परिणा है. उन्होंने कहा कि यह सब सरकार की निगरानी यानी संरक्षण में हो रहा है. बिहार के लोग देख रहे हैं कि राज्य में सरकार कैसे काम कर रही है. कुल मिलाकर कहां जाए तो गायघाट शेल्टर होम मामले पर महिला संगठन से लेकर राजनीतिक पार्टी निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं.

इससे पहले वीडियो वायरल होने के बाद शेल्टर होम मामले को लेकर बिहार की सबसे बड़ी पार्टी आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव भी इस बड़े मामले में नीतीश सरकार पर निशाना साध चुके हैं. इसके अलावा पूर्व आईपीएस अमिताभ दास ने भी राज्यपाल को पत्र लिखकर जांच की मांग की है. निर्भया केस के वकील ने भी पटना में प्रेस वार्ता कर कहा कि यह मुजफ्फरपुर गृह कांड से भी बड़ा मामला हो सकता है.यानी कि पटना के गायघाट शेल्टर होम के सामने आए वीडियो के बाद पूरे बिहार में बवाल मचा हुआ है. इस मामले में 3 फरवरी गुरुवार को अदालत ने संज्ञान लिया है.

ये भी पढ़ें: गायघाट बालिका गृह मामला: पीड़ित युवती ने संचालिका वंदना गुप्ता पर लगाए ये गंभीर आरोप

पटना हाईकोर्ट ने इस मुद्दे पर समाज कल्याण विभाग के डायरेक्टर को सिर्फ सीसीटीवी कैमरे देखकर ही लड़की के आरोपों को नकारने पर फटकार लगायी थी. साथ ही इस मामले में संबंधित विभागों को नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा है. हाई कोर्ट की फटकार के बाद अब फिर से समाज कल्याण विभाग जांच में तेजी लाई है. समाज कल्याण विभाग निदेशक के द्वारा 4 फरवरी को समाज कल्याण विभाग के डायरेक्टर राजकुमार के ऑफिस में पीड़िता का बयान के लिए बुलाया गया. जहां महिला विकास मंच की टीम मौजूद थी. लगभग 2 से 3 घंटे तक 11 सवाल पीड़िता से पूछा गया, जवाब को नोट भी किया गया. विभाग ने जल्दबाजी में लड़की को झगड़ालू बताकर अधीक्षिका को क्लीन चिट देने का काम किया था. एक बार फिर से कोर्ट की फटकार लगने के बाद विभाग निष्पक्ष जांच करने में जुट गया है और इस मामले पर 7 फरवरी को तलब भी किया है.

ये भी पढ़ें: गायघाट शेल्टर होम केस में राबड़ी देवी का बड़ा आरोप, बोलीं- 'सरकार ही करवाती है लड़कियों की सप्लाई'

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पटना: गायघाट बालिका गृह (Gaighat Shelter Home) एक बार फिर से सुर्खियों में है. रिमांड होम से भागी एक युवती ने शेल्टर होम संचालिका वंदना गुप्ता (Shelter Home Operator Vandana Gupta) पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. इसके बाद से रिमांड होम की व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़े हो गए हैं. वीडियो में युवती ने अधीक्षिका के ऊपर लड़कियों का शारीरिक और मानसिक शोषण के गंभीर आरोप लगाए हैं. आरोप लगाने वाली युवती ने बताया कि वहां गंदा काम होता है. आरोप के अनुसार लड़कियों को नशे का इंजेक्शन देकर अवैध धंधा करने के लिए विवश किया जाता है.

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यह मामला अब इतना तूल पकड़ लिया कि पटना हाईकोर्ट को भी इस मामले पर संज्ञान लेना पड़ा. हालांकि, इस मामले में लड़की के बयान के बाद समाज कल्याण विभाग ने आनन-फानन में एक टीम गठित कर इस पूरे मामले की जांच करवाकर लीपापोती कर अधीक्षिका वंदना गुप्ता को क्लीन चिट दे दिया. जांच टीम की रिपोर्ट के मुताबिक आरोप लगाने वाली युवती का व्‍यवहार ठीक नहीं है. उसने पति पर भी गंभीर आरोप लगाए, जिसे बाद में वापस ले लिया. जांच टीम के अनुसार झूठ बोलना, अन्य बालिकाओं को उकसाना, रिमांड होम के कमियों की शिकायत करना, साथ ही गृह कर्मियों को धमकी देना उसके स्वभाव में शामिल पाया गया. जांच रिपोर्ट में लड़की को झगड़ालू बताया गया.

वहीं शेल्टर होम मामले पर बिहार की राजनीति एक बार फिर से गरमा गई है. इस मामले पर अभी राजनीतिक पार्टियां जांच की मांग कर रही हैं तो वहीं बिहार की पूर्व सीएम राबड़ी देवी खुलकर सामने आ गई हैं. राबड़ी ने गायघाट रिमांड होम कांड पर बिहार सरकार को पूरी तरह से जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि इस तरह की घटना पूरी मशीनरी की विफलता का परिणा है. उन्होंने कहा कि यह सब सरकार की निगरानी यानी संरक्षण में हो रहा है. बिहार के लोग देख रहे हैं कि राज्य में सरकार कैसे काम कर रही है. कुल मिलाकर कहां जाए तो गायघाट शेल्टर होम मामले पर महिला संगठन से लेकर राजनीतिक पार्टी निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं.

इससे पहले वीडियो वायरल होने के बाद शेल्टर होम मामले को लेकर बिहार की सबसे बड़ी पार्टी आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव भी इस बड़े मामले में नीतीश सरकार पर निशाना साध चुके हैं. इसके अलावा पूर्व आईपीएस अमिताभ दास ने भी राज्यपाल को पत्र लिखकर जांच की मांग की है. निर्भया केस के वकील ने भी पटना में प्रेस वार्ता कर कहा कि यह मुजफ्फरपुर गृह कांड से भी बड़ा मामला हो सकता है.यानी कि पटना के गायघाट शेल्टर होम के सामने आए वीडियो के बाद पूरे बिहार में बवाल मचा हुआ है. इस मामले में 3 फरवरी गुरुवार को अदालत ने संज्ञान लिया है.

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पटना हाईकोर्ट ने इस मुद्दे पर समाज कल्याण विभाग के डायरेक्टर को सिर्फ सीसीटीवी कैमरे देखकर ही लड़की के आरोपों को नकारने पर फटकार लगायी थी. साथ ही इस मामले में संबंधित विभागों को नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा है. हाई कोर्ट की फटकार के बाद अब फिर से समाज कल्याण विभाग जांच में तेजी लाई है. समाज कल्याण विभाग निदेशक के द्वारा 4 फरवरी को समाज कल्याण विभाग के डायरेक्टर राजकुमार के ऑफिस में पीड़िता का बयान के लिए बुलाया गया. जहां महिला विकास मंच की टीम मौजूद थी. लगभग 2 से 3 घंटे तक 11 सवाल पीड़िता से पूछा गया, जवाब को नोट भी किया गया. विभाग ने जल्दबाजी में लड़की को झगड़ालू बताकर अधीक्षिका को क्लीन चिट देने का काम किया था. एक बार फिर से कोर्ट की फटकार लगने के बाद विभाग निष्पक्ष जांच करने में जुट गया है और इस मामले पर 7 फरवरी को तलब भी किया है.

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