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मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामला: बृजेश ठाकुर की याचिका पर दिल्ली HC में टली सुनवाई - मुजफ्फरपुर के शेल्टर होम

मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में ट्रायल कोर्ट से मिली सजा के खिलाफ मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर की याचिका पर हाईकोर्ट ने सुनवाई टाल दी है. बता दें कि पिछले 11 फरवरी को साकेत कोर्ट के एडिशनल सेशंस जज सौरभ कुलश्रेष्ठ ने मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में सजा सुनाया था. साकेत कोर्ट ने तीन महिलाओं समेत 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी.

muzaffarpur shelter home case
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Published : Sep 15, 2020, 7:50 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने आज मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में ट्रायल कोर्ट से मिली सजा के खिलाफ मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर की याचिका पर सुनवाई टाल दी है. जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले अगली सुनवाई 1 अक्टूबर को करने का आदेश दिया है.

ट्रायल कोर्ट का फैसला सही
पिछले 25 अगस्त को सीबीआई ने कहा था कि मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर ने नाबालिग लड़कियों का शारीरिक, मानसिक और यौन शोषण किया. सीबीआई ने कहा था कि ब्रजेश ठाकुर ने मुजफ्फरपुर बालिका गृह को मिले सरकारी अनुदान का दुरुपयोग किया. सीबीआई ने कहा था कि ट्रायल कोर्ट ने ब्रजेश ठाकुर को दोषी ठहराते हुए कोई गलती नहीं की है. सीबीआई की ओर से वकील राजेश कुमार ने कहा कि उनका जवाब कल ही दाखिल किया गया है, इसलिए कोर्ट के रिकॉर्ड में नहीं है. ब्रजेश ठाकुर को मौत तक उम्रकैद की सजा मिली है.

पिछले 22 जुलाई को हाईकोर्ट ने मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर को ट्रायल कोर्ट से मिली उम्रकैद की सजा के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सीबीआई को नोटिस जारी किया था. ब्रजेश ठाकुर ने उम्रकैद की सजा के आदेश को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है. ब्रजेश ठाकुर को दिल्ली की साकेत कोर्ट ने मौत तक कैद की सजा का आदेश सुनाया था. साकेत कोर्ट ने ब्रजेश ठाकुर पर 32 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था.

साकेत कोर्ट के आदेश को दी चुनौती
बता दें कि पिछले 11 फरवरी को साकेत कोर्ट के एडिशनल सेशंस जज सौरभ कुलश्रेष्ठ ने मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में सजा सुनाया था. साकेत कोर्ट ने तीन महिलाओं समेत 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. कोर्ट ने चार महिलाओं समेत छह दोषियों को सात साल की कैद की सजा सुनाई थी. एक महिला को छह महीने की कैद की सजा सुनाई गई थी. हालांकि उसने छह महीने से ज्यादा दिनों तक जेल में काट लिए थे, इसलिए कोर्ट ने उसे रिहा करने का आदेश दिया.

मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामला

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बिहार से दिल्ली ट्रांसफर हुआ था केस
पहले इस मामले की सुनवाई बिहार की कोर्ट में चल रही थी. 7 फरवरी 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने इस केस की सुनवाई बिहार से दिल्ली की साकेत कोर्ट में ट्रांसफर किया था. सुप्रीम कोर्ट ने निर्दश दिया था कि इस मामले की सुनवाई 6 महीने में पूरी की जाए. उसके बाद साकेत कोर्ट ने 25 फरवरी 2019 से सुनवाई शुरु की थी.

34 छात्राओं से हुआ था यौन उत्पीड़न
गौरतलब है कि मुजफ्फरनगर के बालिका गृह में 34 छात्राओं के यौन उत्पीड़न का मामला सामने आया था. मेडिकल टेस्ट में तकरीबन 34 बच्चियों के यौन शोषण की पुष्टि हुई थी.

2018 में सामने आया था यह सनसनीखेज मामला
यह मामला टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोसल साइंसेज की ओर से 26 मई, 2018 को बिहार सरकार को सौंपी गई एक रिपोर्ट के बाद सौंपने आया था।इस रिपोर्ट में किसी आश्रय गृह में पहली बार नाबालिग लड़कियों के साथ यौन उत्पीड़न का खुलासा हुआ था

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने आज मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में ट्रायल कोर्ट से मिली सजा के खिलाफ मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर की याचिका पर सुनवाई टाल दी है. जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले अगली सुनवाई 1 अक्टूबर को करने का आदेश दिया है.

ट्रायल कोर्ट का फैसला सही
पिछले 25 अगस्त को सीबीआई ने कहा था कि मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर ने नाबालिग लड़कियों का शारीरिक, मानसिक और यौन शोषण किया. सीबीआई ने कहा था कि ब्रजेश ठाकुर ने मुजफ्फरपुर बालिका गृह को मिले सरकारी अनुदान का दुरुपयोग किया. सीबीआई ने कहा था कि ट्रायल कोर्ट ने ब्रजेश ठाकुर को दोषी ठहराते हुए कोई गलती नहीं की है. सीबीआई की ओर से वकील राजेश कुमार ने कहा कि उनका जवाब कल ही दाखिल किया गया है, इसलिए कोर्ट के रिकॉर्ड में नहीं है. ब्रजेश ठाकुर को मौत तक उम्रकैद की सजा मिली है.

पिछले 22 जुलाई को हाईकोर्ट ने मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर को ट्रायल कोर्ट से मिली उम्रकैद की सजा के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सीबीआई को नोटिस जारी किया था. ब्रजेश ठाकुर ने उम्रकैद की सजा के आदेश को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है. ब्रजेश ठाकुर को दिल्ली की साकेत कोर्ट ने मौत तक कैद की सजा का आदेश सुनाया था. साकेत कोर्ट ने ब्रजेश ठाकुर पर 32 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था.

साकेत कोर्ट के आदेश को दी चुनौती
बता दें कि पिछले 11 फरवरी को साकेत कोर्ट के एडिशनल सेशंस जज सौरभ कुलश्रेष्ठ ने मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में सजा सुनाया था. साकेत कोर्ट ने तीन महिलाओं समेत 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. कोर्ट ने चार महिलाओं समेत छह दोषियों को सात साल की कैद की सजा सुनाई थी. एक महिला को छह महीने की कैद की सजा सुनाई गई थी. हालांकि उसने छह महीने से ज्यादा दिनों तक जेल में काट लिए थे, इसलिए कोर्ट ने उसे रिहा करने का आदेश दिया.

मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामला

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बिहार से दिल्ली ट्रांसफर हुआ था केस
पहले इस मामले की सुनवाई बिहार की कोर्ट में चल रही थी. 7 फरवरी 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने इस केस की सुनवाई बिहार से दिल्ली की साकेत कोर्ट में ट्रांसफर किया था. सुप्रीम कोर्ट ने निर्दश दिया था कि इस मामले की सुनवाई 6 महीने में पूरी की जाए. उसके बाद साकेत कोर्ट ने 25 फरवरी 2019 से सुनवाई शुरु की थी.

34 छात्राओं से हुआ था यौन उत्पीड़न
गौरतलब है कि मुजफ्फरनगर के बालिका गृह में 34 छात्राओं के यौन उत्पीड़न का मामला सामने आया था. मेडिकल टेस्ट में तकरीबन 34 बच्चियों के यौन शोषण की पुष्टि हुई थी.

2018 में सामने आया था यह सनसनीखेज मामला
यह मामला टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोसल साइंसेज की ओर से 26 मई, 2018 को बिहार सरकार को सौंपी गई एक रिपोर्ट के बाद सौंपने आया था।इस रिपोर्ट में किसी आश्रय गृह में पहली बार नाबालिग लड़कियों के साथ यौन उत्पीड़न का खुलासा हुआ था

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