पटना: पटना हाईकोर्ट (Hearing In Patna High Court) ने राजधानी के फ्रेजर रोड स्थित तंदूर हट रेस्टोरेंट को ध्वस्त कर हटाये जाने के मामले में कड़ा रुख अपनाया है. तंदूर हट की रिट याचिका पर जस्टिस राजन गुप्ता (Justice Rajan Gupta) की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए रेस्टोरेंट के परिसर में आगे कोई भी कार्रवाई करने पर फिलहाल रोक लगा दिया है.
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याचिकाकर्ता ने कथित रूप से बीएसएफसी के प्रबंध निदेशक पर इस मामले मे की गई कार्रवाई को चुनौती दी है. इसके तहत छह वर्षों के लिए वर्ष 2027 तक मासिक किराये पर लीज के अभी भी वैध होने के बावजूद तंदूर हट को खाली करने के लिए पुलिस फोर्स तथा मजिस्ट्रेट की तैनाती के लिए 29 अगस्त को पत्र लिखा गया था. इसके बाद उद्योग विभाग के प्रधान सचिव ने पटना के जिलाधिकारी को फौरन पुलिस फोर्स और मजिस्ट्रेट तैनात करने को कहा. फिर जिलाधिकारी ने एक दिन में ही पुलिस फोर्स और मजिस्ट्रेट की तैनाती कर दी।
रविवार के दिन ध्वस्त किया गया दुकान: 1 सितंबर 2022 को बगैर कोर्ट के आदेश के रेस्टोरेंट को सील भी कर दिया गया. याचिकाकर्ता को समान हटाने के लिए मौखिक रूप 15 दिनों का समय दिया गया था. याचिकाकर्ता ने 3 सितंबर, 2022 को पटना हाई कोर्ट में याचिका दायर किया. इसके बाद उद्योग विभाग के प्रधान सचिव ने बियाडा के कर्मियों को जेसीबी के साथ जाकर रेस्टोरेंट को रविवार के दिन ही ध्वस्त करने को कहा. रविवार को आंशिक रूप से ध्वस्त करने की कार्रवाई की गई.
काननू के खिलाफ की गयी कार्रवाई: इस मामले में याचिकाकर्ता के वरीय अधिवक्ताव पूर्व एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एस डी संजय की दलील थी कि इस तरह से रेस्टोरेंट को तोड़ने के लिए सुरक्षा मुहैया करवाना कही से न्यायसंगत नहीं था. उन्होंने आगे यह भी कहा कि कानून के राज में किसी किरायेदार की जगह को खाली कराने के लिए बिना कोर्ट के आदेश के ऐसा सोचा भी नहीं जा सकता है.
उन्होंने कहा कि इस मामले में इन पदाधिकारियों ने कानून को ताक पर रखा. बिना किसी अदालती आदेश के न केवल रेस्टोरेंट को सील कर दिया, बल्कि रविवार छुट्टी के दिन भी बुलडोजर मंगाकर आधा से ज्यादा गिरा भी दिया. ये कानून का सरासर उल्लंघन है. इस प्रकार की कार्रवाई करने के लिये जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई किये जाने की जरूरत है.