पटनाः बिहार में मानसिक स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधाओं से सम्बंधित मामले पर पटना हाइकोर्ट (Patna High Court) में 14 दिसंबर 2022 को सुनवाई की जाएगी. चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ की ओर से आकांक्षा मालवीय की जनहित याचिका पर सुनवाई (Hearing on mental health facilities in Bihar) की जा रही है. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा की गई कार्रवाई पर गहरा असंतोष जाहिर किया था. कोर्ट ने पूर्व की सुनवाई में राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को अबतक की गई कार्रवाई का ब्यौरा देने का निर्देश दिया था.
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याचिकाकर्ता को पूरी जानकारी देने का मिला था निर्देशः याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता अधिवक्ता आकांक्षा मालवीय ने कोर्ट को बताया कि कोर्ट ने जो भी आदेश दिया, उस पर राज्य सरकार के द्वारा कोई प्रभावी और ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं. कोर्ट ने पिछली सुनवाई में इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को पूरी जानकारी देने को कहा था. कोर्ट ने याचिकाकर्ता को राज्य में मानसिक स्वास्थ्य सेवा में कमियों के सम्बन्ध में ब्यौरा देने को कहा था.
डिस्ट्रिक्ट मेन्टल हेल्थ प्रोग्राम में कर्मियों की कमीः साथ ही कोर्ट ने इसमें सुधारने के उपाय पर सलाह देने को कहा था. याचिकाकर्ता की अधिवक्ता आकांक्षा मालवीय ने बताया कि नेशनल मेन्टल हेल्थ प्रोग्राम के अंतर्गत राज्य के 38 जिलों में डिस्ट्रिक्ट मेन्टल हेल्थ प्रोग्राम चल रहा है, लेकिन इसमें स्टाफ की संख्या नाकाफी ही है. हर जिले में सात-सात स्टाफ होने चाहिए. उन्होंने बताया था कि राज्य सरकार का दायित्व है कि वह मेन्टल हेल्थ केयर एक्ट के तहत कानून बनाए. साथ ही इसके लिए मूलभूत सुविधाएं और फंड उपलब्ध कराए. लेकिन अबतक कोई ठोस और प्रभावी कदम नहीं उठाया गया है.
बिहार में मेंटल हेल्थ के लिए कॉलेज नहींः कोर्ट को ये भी बताया गया था कि सेन्टर ऑफ एक्सलेंस के तहत हर राज्य में मानसिक रोग के अध्ययन और इलाज के लिए कॉलेज है. लेकिन बिहार ही एक ऐसा राज्य हैं, जहां मानसिक रोग के अध्ययन और इलाज के लिए कोई कालेज नहीं है. जबकि प्रावधानों के तहत राज्य सरकार का ये दायित्व है. पिछली सुनवाई में कोर्ट को बताया गया था कि केंद्र सरकार की ओर से दिए जाने वाले फंड में कमी आयी है, क्योंकि फंड का राज्य द्वारा पूरा उपयोग नहीं हो रहा था. पहले की सुनवाई में याचिकाकर्ता की अधिवक्ता आकांक्षा मालवीय ने कोर्ट को बताया कि बिहार की आबादी लगभग बारह करोड़ हैं. उसकी तुलना में राज्य में मानसिक स्वास्थ्य के लिए बुनियादी सुविधाएं नहीं के बराबर है. इस मामलें पर अगली सुनवाई 14 दिसंबर को होगी.
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