पटना : पटना हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण निर्णय से यह स्पष्ट किया है कि शराबबंदी कानून को तोड़ने वाला अभियुक्त यदि घटना स्थल परिसर का कियायेदार है और उक्त अपराध में मकानमालिक की कोई संलिप्तता नहीं रहती है, तो उस भवन या परिसर को राज्य द्वारा जब्त किया जाना गैरकानूनी है. जस्टिस पी बी बजनथरी और जस्टिस रमेश चंद मालवीय की खंडपीठ ने राकेश कुमार की रिट याचिका को मंजूर करते हुए यह निर्णय सुनाया.
होटल में शराबबंदी कानून का उल्लंघन हुआ था : याचिकाकर्ता मुजफ्फरपुर स्थित चंद्रलोक कॉन्टिनेंटल नामक होटल का मालिक था. उसने रिजवान नाम के व्यक्ति को ये भवन को होटल के रूप में चलाने के लिए 1 जून, 2016 को लीज पर लिया था. लीज की अवधि 30.4.2017 तक की थी. 30 अगस्त, 2016 को पुलिस ने उक्त होटल से 2.25 लीटर शराब की एक बोतल मिलने के कारण शराबबंदी का केस रिजवान पर चलाया. मई 2017 में होटल को जब्त किया गया.
किराए के मकान में चल रहा था होटल : हाई कोर्ट ने इस बात पर हैरानी जताई है कि आबकारी अधिकारियों ने उक्त होटल को सिर्फ इस बात के लिए सील व राज्यसात लिया, क्योंकि उक्त होटल की लीज अनिबंधित थी. कोर्ट ने कहा कि ये अधिकारियों का मनमानापन हैं. जब प्राथमिकी और अनुसंधान में मकान मालिक की संलिप्तता नहीं मिली, तो फिर उसके होटल वाले भवन को सील करना गैर कानूनी है. बता दें कि शराबबंदी कानून के तहत अगर किसी भवन या परिसर से शराब की बरामदगी की जाती है, तो उस घर को सरकार जब्त कर लेगी. यह नियम शराब के सेवन और इसकी खरीद बिक्री पर रोक लगाने के लिए बनाया गया है.