पटना: बिहार की पटना हाई कोर्ट में राज्य के जेलों में अपनी मां के साथ बंद एक से छह वर्ष के बच्चों को शिक्षित करने के मामले पर आगामी 23 फरवरी को सुनवाई होगी. पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने कुल 228 नाबालिग बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था करने के लिए कार्रवाई करने का आदेश जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव को दिया था.
राज्य सरकार ने मांगा समय: कोर्ट ने इससे पूर्व की सुनवाई में राज्य सरकार को स्थिति स्पष्ट करते हुए जवाब देने का निर्देश दिया था. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विकास पंकज ने बताया कि 'राज्य सरकार ने पुनः जवाब देने के लिए समय मांगा है'. उन्होंने बताया कि 'कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि अगली सुनवाई में राज्य सरकार ने जवाब दायर नहीं किया, तो संबंधित अधिकारियों को कोर्ट तलब कर सकता है.'
कोर्ट में बंद कैदी मां के बच्चे: पिछली सुनवाईओं में कोर्ट ने शिक्षा विभाग के डीईओ को हर संभव सहयोग करने का निर्देश दिया था. इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस के वी चंद्रन की खंडपीठ द्वारा की जा रही है. कोर्ट ने राज्य के विभिन्न जेलों में अपनी मां के साथ एक से छह वर्ष के बीच बंद 103 बालक और 125 बालिकाओं को शिक्षित करने की कार्रवाई पर जोर दिया था.
जेल में बंद कैदी: इसके पूर्व कोर्ट को बताया गया कि राज्य के जेलों में 50682 पुरूष और 2350 महिला विचाराधीन बंद हैं, जबकि 6995 पुरुष और 212 महिला सजायफ्ता बंद है. कोर्ट को बताया गया कि सबसे ज्यादा भागलपुर महिला मंडल कारा और नवादा मंडल कारा में 16-16 बच्चे हैं.
इन जेलों में बंद कैदियों के बच्चे: वहीं कटिहार मंडल कारा में 14, गया केंद्रीय कारा में 13, बेतिया मंडल कारा में 10, बेऊर आदर्श केंद्रीय कारा में 9, मुज़फ्फरपुरके साथ पूर्णिया केंद्रीय कारा, सिवान, आरा, सीतामढ़ी, जहानाबाद मंडल कारा में 8-8, दरभंगा मंडल कारा में 7 नाबालिग बच्चे अपनी मां के साथ बंद हैं.