पटनाः पटना हाइकोर्ट में सासाराम के ऐतिहासिक महत्व के धरोहर शेरशाह के मकबरे के पास बने बड़े तालाब में स्वच्छ और ताजा पानी आने के लिए बना नाला बंद होने की जनहित याचिका मामले पर तीन सप्ताह बाद सुनवाई (Hearing in High Court after three weeks ) होगी. मुख्य न्यायाधीश केवी चन्द्रन की खंडपीठ इस जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है. अधिवक्ता कन्हैया लाल भास्कर ने शेरशाह के मकबरे को लेकर जनहित याचिका दायर की थी. पूर्व में हुई सुनवाई में कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधिकारियों के साथ केंद्र सरकार के अधिवक्ता को विचार विमर्श करने को कहा था.
ये भी पढ़ेंः अपने शंहशाह जैसे सरपरस्त का इंतजार कर रहा शेरशाह का मकबरा
कचरे से भरा है मकबरे का तालाबः कोर्ट ने रोहतास के डीएम, डीसीएलआर और सासाराम नगर निकाय के अधिकारियों समेत केंद्र सरकार के अधिकारी और एएसआई की बैठक कर विस्तृत कार्य योजना बनाने का निर्देश दिया था. प्राची पल्लवी को इस मामले में कोर्ट का सहयोग करने के लिए एमिकस क्यूरी बनाया गया था. कोर्ट ने इस मामले में कहा है कि यह मकबरा ऐतिहासिक धरोहर है और इसकी सुरक्ष व देखभाल जरूरी है. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया था कि शेरशाह के मकबरे का तालाब गंदा और कचरे से भरा हुआ है. इस मकबरे को देखने जो भी पर्यटक आते है, उन्हें ऐसी हालत देख काफी निराशा होती है.
बंद है तालाब में पानी जाने का नालाः याचिकाकर्ता के अधिवक्ता कन्हैया लाल भास्कर ने कोर्ट को बताया था कि सासाराम स्थित शेरशाह का मकबरा राष्ट्रीय धरोहर है. इसके तालाब में साफ पानी जा सके, इसके लिए एक नाला बनवाया गया था.उन्होंने कोर्ट को बताया था कि 2018 से 2020 तक सिर्फ पचास प्रतिशत ही नाले का काम हो पाया. इसे बाद में खराब माना गया. इसमें लगभग आठ करोड़ रुपये खर्च हुए थे. इस काम में काफी अनियमितता बरती गई. इसकी जांच स्वतंत्र एजेंसी से कराए जाने की बात कही थी. उन्होंने बताया था कि ये नाला कचरे से भरा पड़ा है. यही कारण है कि शेरशाह के मकबरे के तालाब में साफ पानी नहीं आ रहा.