पटना: सचिवालय स्थित स्वास्थ्य विभाग के कार्यालय में शनिवार को दर्जनों की संख्या में लैब टेक्नीशियन प्रधान सचिव से मुलाकात करने पहुंचे थे. लेकिन उनकी मुलाकात प्रधान सचिव से नहीं हो पाई. ये सभी लैब टेक्नीशियन बिहार के अलग-अलग अस्पतालों में वर्ष 2010 से ही कार्यरत हैं. इनकी नौकरी लगातार 10 साल से संविदा के आधार पर चल रही है.
दरअसल, लैब टेक्नीशियनों का कहना है कि 2015 में इनको नियमित करने के लिए एसएससी के द्वारा रिक्तियां निकाली गई थी. लेकिन जब इन लोगों की नियुक्ति और नियमितीकरण होना है, तब जाकर 400 से ज्यादा लैब टेक्नीशियन को एसएससी ने अयोग्य करार दिया है. वहीं लैब टेक्नीशियनों का कहना है कि ये हमलोगों के साथ सरासर गलत है.
संविदा पर कार्यरत लैब टेक्नीशियनों को किया जाए नियमित
भोजपुर अस्पताल में कार्यरत संजय पांडे ने कहा कि लगातार 10 वर्षों से हमलोग स्वास्थ्य विभाग में लैब टेक्नीशियन के पद पर काम कर रहे है. अभी भी कोरोना योद्धा के रूप में हमसब काम कर रहे है. लेकिन जब हमारी नौकरी नियमित करने की बारी आई है, तो एसएससी ने हमलोग को अयोग्य माना है, जो की गलत है. उन्होंने कहा कि हमलोग चाहते है कि जो 400 लोग संविदा के आधार पर कार्यरत है. उन सभी को नियमित किया जाए.
सरकार के पड़ सकता है मंहगा
वहीं विक्रम पटना के पीएचसी में कार्यरत गौतम कुमार ने कहा कि सिर्फ 280 लोगों को ही इंटरव्यू के लिए बुलाया गया है. ये बहुत गलत है. एसएससी इसमे धांधली कर रही है. यही कारण है कि हमलोग आज स्वास्थ्य सचिव से मिलने आये थे. लेकिन उनसे मुलाकात नहीं हो पाई है.
बता दें कि कोरोना काल में स्वास्थ्यकर्मी का काफी महत्व है. इस समय में लैब टेक्नीशियन की मांग को अनदेखा करना सरकार के लिए मंहगा पड़ सकता है. फिलहाल ये 400 लैब टेक्नीशियन बिहार के अलग-अलग अस्पताल में कोरोना जांच में लगे है. अब देखना यह है कि स्वास्थ्य विभाग इनकी मांग को लेकर क्या करती है.