पटना: 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद से ही जेडीयू में गुटबाजी (Groupism in JDU) बढ़ने लगी. जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह (JDU President Lalan Singh), आरसीपी सिंह और और उपेंद्र कुशवाहा के गुट पार्टी में सक्रिय हैं. राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद से ललन सिंह लगातार आरसीपी सिंह के करीबियों को साइड कर रहे हैं. आरसीपी सिंह जैसे कद्दावर नेता को भी पार्टी में हाशिये पर पहुंचा दिया गया. ललन सिंह ने सबसे पहले उन सभी प्रकोष्ठों को भंग कर दिया, जो आरसीपी सिंह ने बनाया था. ऐसे कुल 33 प्रकोष्ठ थे और पार्टी के हजारों कार्यकर्ता और नेता को उस में रखा गया था लेकिन बाद में ललन सिंह ने केवल 12 प्रकोष्ठों का गठन किया. इसके कारण पहले जितने नेता समायोजित थे, उसमें से अधिकांश बाहर रह गए. अब उनके अंदर नाराजगी और बेचैनी भी है. पिछले दिनों आरसीपी सिंह के समर्थन में जिस प्रकार से नारेबाजी हुई वह एक बड़ा कारण माना जा रहा है.
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जेडीयू में गुटबाजी तेज: वैसे तमाम नेताओं को अधिक से अधिक समायोजित करने की बात कही भी जाती रही है. अभी हाल ही में 60 से अधिक लोगों को प्रदेश कमेटी में जगह भी दी गई है. प्रवक्ता पद से हटाए गए सुनील कुमार सिंह को फिर से प्रवक्ता बनाया गया है. वही गोपालगंज से चुनाव लड़ने वाले हैं मंजीत सिंह को भी प्रवक्ता बनाया गया है. जो नेता पार्टी में फिलहाल कहीं नहीं थे, उन्हें मौका भी दिया गया है. यही नहीं राज्य सभा चुनाव में और एमएलसी के चुनाव में भी पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं को तरजीह दी गई है. वहीं युवा जेडीयू को विवाद के कारण भंग भी करना पड़ा है और अब फिर नए सिरे से उसका गठन किया जाएगा.
भरोसा रहेगा तभी जिम्मेदारी मिलेगी: पार्टी में एक खेमे में नाराजगी है. इस बात को जेडी के वरिष्ठ नेता और बिहार सरकार में मंत्री श्रवण कुमार भी मानते हैं. हालांकि वह यह भी कहते हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जिसको संगठन की जिम्मेवारी दी है, उन्हें मौका मिलना चाहिए. पहले आरसीपी सिंह संगठन देखते थे, अब ललन सिंह संगठन देख रहे हैं और अपने अनुसार संगठन को तैयार कर रहे हैं. ऐसे में कुछ समय जरूर मिलना चाहिए. उन्होंने कहा कि पार्टी समीक्षा करेगी, तब पता चलेगा कौन बेहतर काम किए हैं. वहीं, बिना नाम लिए आरसीपी सिंह पर निशाना साधते हुए यह भी कहते हैं नीतीश कुमार में जिसको भरोसा होगा, वह संगठन के लिए काम करेगा. भरोसा नहीं होगा तो दूसरी तरफ ताकझांक करेगा.
"पहले आरसीपी सिंह संगठन देखते थे, अब ललन सिंह संगठन देख रहे हैं और अपने अनुसार संगठन को तैयार कर रहे हैं तो कुछ समय जरूर मिलना चाहिए. बाकी पार्टी समीक्षा करेगी, तब पता चलेगा कौन बेहतर काम किए हैं. हमारे नेता नीतीश कुमार में जिसको भरोसा होगा, वह संगठन के लिए काम करेगा. जिसको भरोसा नहीं होगा, वह दूसरी तरफ ताक झांक करेगा"- श्रवण कुमार, वरिष्ठ नेता, जनता दल यूनाइटेड
कार्यकारिणी की बैठक नहीं होने पर सवाल: जनता दल यूनाइटेड की कई गतिविधियों पर काफी असर पड़ा है. पार्टी में प्रशिक्षण का कार्यक्रम पूरी तरह से फिलहाल ठप है. एक साल से संगठन के गठन का ही काम चल रहा है और वह भी अभी तक पूरा नहीं हुआ है. इसके साथ ही पार्टी के संविधान में हर साल 3 कार्यकारिणी करने का प्रावधान है लेकिन कोरोना काल में असर पड़ा है. एक साल से अधिक हो गया है लेकिन कार्यकारिणी की बैठक नहीं हुई है. इस बारे में जेडीयू प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा का कहना है कि हम लोग जल्द कार्यकारिणी की बैठक बुलाएंगे.
"पार्टी की राज्यकार्यकारिणी की बैठक जल्द बुलाएंगे. जल्दी ही हम लोग तय करेंगे और निश्चित रूप से जल्द ही कार्यकारिणी की बैठक होगी"- उमेश कुशवाहा, प्रदेश अध्यक्ष, जनता दल यूनाइटेड
ललन सिंह और आरसीपी सिंह में मतभेद: वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय भी मानते हैं कि जेडीयू में गुटबाजी है. वे कहते हैं कि जेडीयू में खींचतान तो स्पष्ट दिखती है. अब आरसीपी सिंह जैसे कद्दावर नेता को ही देख लीजिए उनको कहां से उठा कर कहां रख दिया गया है. वह बंद डिब्बे में पड़े हैं, यह गुटबाजी का ही असर है. इन सबका पार्टी कार्यक्रमों पर भी असर पड़ रहा है.
"जेडीयू के अंदर ठीक नहीं चल रहा है. आरसीपी सिंह को देख लीजिए. इतने कद्दावर नेता को कहां से कहां उठाकर फेंक दिया गया है. वह बंद डिब्बे में पड़े हैं. जेडीयू के अंदर खींचतान तो है. इसको हम जिस रूप में भी देखें लेकिन गुटबाजी दिख तो रही है"- रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार
आरसीपी समर्थकों पर गाज: ललन सिंह की ओर से आरसीपी समर्थकों पर भी कार्रवाई हुई है और कई को अलग-थलग भी छोड़ दिया गया है. जिसमें पूर्व विधायक अभय कुशवाहा भी शामिल हैं. हालांकि नीतीश सरकार में कई मंत्री आरसीपी सिंह के समर्थक माने जाते हैं. इन सब के बीच भले ही ललन सिंह ने जो संगठन तैयार किया है, उसमें आरसीपी सिंह के समर्थकों को जगह नहीं दी गई है लेकिन एक मैसेज देने की कोशिश जरूर हो रही है कि इस संगठन के विस्तार में जो छूट गए हैं, उन्हें भी मौका मिलेगा.
नीतीश कुमार को चुनौती देंगे आरसीपी सिंह?: जेडीयू में हर 3 साल पर सदस्यता अभियान और जिला स्तर के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव भी चुनाव आयोग के अनुसार करना पड़ता है. इस साल सदस्यता अभियान और सभी पदों पर चुनाव होना है, लेकिन पार्टी के अंदर जिस प्रकार से गुटबाजी है. उससे कहीं न कहीं सभी कार्यक्रमों पर उसका असर पड़ रहा है. आरसीपी सिंह ने भी नीतीश कुमार के जन्मदिन पर सदस्यता अभियान की चर्चा की थी और उसको लेकर भी काफी विवाद हुआ था. ऐसे में देखना है कि जब सदस्यता अभियान और पार्टी पदाधिकारियों के चुनाव का कार्य शुरू होगा तो उस पर कितना असर पड़ेगा.
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