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सरकार ने मानी शिक्षकों की मांग, CM नीतीश ने दिया चुनावी तोहफा - cm nitish kumar

बिहार सरकार ने नियोजित शिक्षकों की मांग मान ली है. उन्हे वेतन में वृद्धि के साथ ईपीएफ का भी लाभ मिलेगा. साथ ही गृह जिले में ट्रांसफर भी ले सकेंगे.

पटना
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Published : Aug 19, 2020, 10:38 AM IST

पटना: शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव आरके महाजन और वित्त विभाग के प्रधान सचिव एस सिद्धार्थ ने मंगलवार को बिहार मंत्रिपरिषद की हुई बैठक में शिक्षा विभाग से संबंधित लिए गए महत्वपूर्ण निर्णय के संबंध में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जानकारी दी.

आरके महाजन ने बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर यह घोषणा की गई थी कि राज्य के पंचायती राज संस्थान और नगर निकाय संस्थान के शिक्षकों की सेवा शर्तों में सुधार कर सेवा शर्त नियमावली शीघ्र लागू की जाएगी. शिक्षकों को सामाजिक सुरक्षा के लिए कर्मचारी भविष्य निधि का लाभ दिया जायेगा. मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुरूप शिक्षा विभाग की ओर से सेवा शर्त नियमावली तैयार की गई और मंत्रिपरिषद में इसे स्वीकृति प्रदान की गई.

शिक्षकों की संख्या

उन्होंने बताया कि बिहार में पंचायती राज संस्थान और नगर निकाय संस्थान के शिक्षकों की संख्या करीब 3.5 लाख है. इन सभी शिक्षकों को सामाजिक सुरक्षा के रूप में ईपीएफ का लाभ दिया जाएगा. 15 हजार तक की सैलरी में 13 प्रतिशत सरकार का योगदान रहता है. जिसमे से 12 प्रतिशत राशि शिक्षकों के बैंक खाते जबकि 1 प्रतिशत राशि ईपीएफओ को मैनेजमेंट के रूप में देना पड़ता है. इस प्रकार ईपीएफ में 12 प्रतिशत सरकार को और 12 प्रतिशत योगदान शिक्षकों को करना पड़ेगा. इस पर शिक्षकों को बैंक रेट से ज्यादा इन्ट्रेस्ट मिलेगा. इस राशि पर इनकम टैक्स नहीं लगता है और समय-समय पर संचित राशि से लोन भी लिया जा सकता है. इसमें पेंशन की सुविधा होती है और मृत्यु होने पर 2.5 लाख से 06 लाख तक एक्सग्रेसिया अमाउंट भी इस स्कीम से मिलता है. इस स्कीम को लागू करने पर सरकार का कुल 815 करोड़ रूपये का वार्षिक व्यय आएगा.

वेतन में 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी
आरके महाजन ने बताया कि मुख्यमंत्री की यह इच्छा थी कि शिक्षकों को वेतन वृद्धि का लाभ दिया जाए. लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण राज्य सरकार के संसाधनों में काफी कमी आ गई है. मंत्रिपरिषद की बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि 1 अप्रैल 2021 से इन शिक्षकों के वेतन में 15 प्रतिशत की वृद्धि की जाएगी. उन्होंने बताया कि ईपीएफ का लाभ भी अपने आप में एक प्रकार से वेतन वृद्धि ही है. राज्य सरकार इन शिक्षकों को 13 प्रतिशत ईपीएफ का लाभ और 1 अप्रैल 2021 से 15 प्रतिशत की वेतन वृद्धि करने जा रही है. इस प्रकार ईपीएफ और वेतन वृद्धि को मिलाकर इन शिक्षकों के वेतन में 20 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हो जाएगी. शिक्षा विभाग की ओर से वर्ष 2015 से इन्हें फिक्स सैलरी से पे-स्केल दिया गया था और उस समय 20 प्रतिशत की वेतन वृद्धि भी की गई थी. इन्हें 2017 में सातवें वेतन आयोग का लाभ दिया गया जिसमे 17 प्रतिशत की वेतन वृद्धि की गई थी. आज के निर्णय के आलोक में शिक्षा विभाग की ओर से 1 अप्रैल 2021 से 20 प्रतिशत से अधिक की वेतन वृद्धि का लाभ इन शिक्षकों को प्राप्त होगा. सरकार की ओर से पिछले पांच वर्षों में इन शिक्षकों के वेतन में 60 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि की गई है. इसके अलावा वर्ष 2015 से सरकारी कर्मियों के अनुरूप इन शिक्षकों का महंगाई भत्ता भी बढ़ाने का निर्णय लिया गया. प्रतिवर्ष सरकारी कर्मियों की तरह इन्हें भी 3 प्रतिशत इन्क्रीमेंट का लाभ मिलता है. एरिया के अनुरूप हाउस रेंट अलाउंस का लाभ भी इन्हें दिया जाता है. इन शिक्षकों को प्रतिमाह मेडिकल अलाउंस भी दिया जाता है. वेतन वृद्धि के फलस्वरूप प्रतिवर्ष 1,950 करोड़ रूपये और ईपीएफ का लाभ देने पर 815 करोड़ रुपए का अतिरिक्त व्यय होगा.

महिला और दिव्यांगों का गृह जिले में होगा ट्रांसफर
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने बताया कि पंचायती राज संस्थान और नगर निकाय संस्थान के शिक्षकों की मांग के अनुरूप सेवा शर्तों में भी सुधार किया गया है. एक इम्प्लोयमेंट यूनिट से दूसरे इम्प्लोयमेंट यूनिट में ट्रांसफर किए जाने की सुविधा प्रदान करने की इनकी मांग है. वर्तमान में ट्रांसफर के बारे में यह नियम है कि अगर कोई पंचायत का शिक्षक है तो उसी पंचायत के अंदर उसका ट्रांसफर हो सकता है. अगर वह पंचायत समिति का (मिडिल स्कूल) शिक्षक है तो पंचायत समिति के अंदर ही उसका ट्रांसफर हो सकता है और जिला परिषद का शिक्षक है तो उस जिला परिषद के अंदर ही उसका ट्रांसफर हो सकता है. लेकिन देखा गया है कि कुछ महिला शिक्षक जिनकी शादी दूसरे जिले में हो जाती है तो उन्हें काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. इसलिए यह निर्णय लिया गया है कि दिव्यांग शिक्षक, पुस्तकालय अध्यक्ष और महिला शिक्षकों को अंतर नियोजन और अंतर जिला ट्रांसफर की सुविधा प्रदान की जाएगी ताकि वह इच्छित स्थान पर ट्रांसफर ले सकें. इसके अलावा जो पुरुष शिक्षक और पुस्तकालय अध्यक्ष हैं उन्हें यह लाभ म्युच्युल ट्रांसफर बेसिस पर दिया जाएगा. प्रमोशन को लेकर भी नियमावली में प्रावधान किया गया है.

शिकक्षों को प्रमोशन भी मिलेगा
क्वालिफिकेशन फूलफिल करने वाले प्राइमरी स्कूल के शिक्षकों को प्रमोशन देकर मिडिल स्कूल के 50 प्रतिशत शिक्षकों का पद भरा जाएगा. 30 हजार मिडिल स्कूल के हेडमास्टर के पद भी ऐसे शिक्षकों से भरे जायेंगे. इसके लिए एक अलग से पे स्केल निर्धारित किया जायेगा. सीनियर सेकेंडरी स्कूल के शिक्षकों के 50 प्रतिशत पद हाईस्कूल के निर्धारित योग्यता रखने वाले शिक्षकों से भरा जायेगा. सीनियर सेकेंडरी स्कूल के प्रिंसिपल का पद भी ऐसे शिक्षकों से भरा जायेगा. इसके संबंध में विस्तृत दिशा निर्देश शिक्षा विभाग की ओर से निर्गत किया जायेगा. इनकी प्रोन्नति को लेकर नियमावली में प्रावधान किया गया है. पहले प्राइमरी स्कूल के शिक्षक का अप्वाइंटमेंट अगर मिडिल या हाईस्कूल के शिक्षक के रुप में होने पर उनकी पुरानी सर्विस का बेनिफिट नहीं मिलता था. शिक्षकों की इस मांग को भी मान लिया गया है. किसी शिक्षक का हाई स्केल में अप्वाइंटमेंट पर उन्हें पे प्रोटेक्शन का लाभ मिलेगा लेकिन सीनियरिटी का लाभ नहीं मिलेगा.

मातृत्व अवकाश अब 180 दिन का और 15 दिन का पितृत्व अवकाश
महिलाओं को मिलने वाली मातृत्व अवकाश वर्तमान में 135 दिन देय है. इसको बढ़ाकर 180 दिन किया गया है. पितृत्व अवकाश जो वर्तमान में देय नहीं है. वो अब 15 दिन देय होगा. स्टडी लिव वर्तमान में सेवाकाल के 7 वर्ष के बाद देय होती है. अब 7 वर्ष के स्थान पर 3 वर्ष के बाद स्टडी लिव ले पाएंगे. ये स्टडी लिव अवैतनिक होगी. वर्तमान में अर्जित अवकाश देय नहीं है. अब प्रावधान किया गया है कि प्रतिवर्ष 11 दिन का अर्जित अवकाश इन्हें मिलेगा और 120 दिन तक का अवकाश संचित हो पाएगा.

समय पर वेतन का प्रावधान
आरके महाजन ने बताया कि राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत जिन शिक्षकों की नियुक्ति हुई थी, उनके वेतन के भुगतान के लिए अलग से बजट का प्रावधान किया जाता था. इस वजह से इनको वेतन मिलने में देरी होती थी. हमने ये प्रावधान किया है कि सभी शिक्षकों के लिए एक साथ बजट में प्रावधान हो जिससे सभी शिक्षकों को ससमय वेतन का भुगतान हो सके.

अनुकंपा पर आश्रितों को नौकरी
शिक्षकों की असामयिक मौत होने पर अनुकंपा के आधार पर आश्रितों को शिक्षक के तौर पर नियुक्ति के लिए वर्तमान में ये प्रावधान है कि उनकी न्यूनतम योग्यता इंटर, टी.ई.टी., डिप्लोमा इन ऐलिमेंटरी एजुकेशन हो, लेकिन आश्रित ये सारी योग्यताओं को पूरा नहीं कर पाते थे. जिससे इन्हें अनुकंपा का लाभ नहीं मिल पाता था. शिक्षकों की मांग को मानते हुए सरकार ने यह प्रावधान किया है कि हाई स्कूल में चतुर्थ श्रेणी, लिपिक जिसे सहायक का पद दिया जाएगा और अन्य पदों का सृजन किया जाएगा और उन पदों में से 50 फीसदी पदों पर शिक्षकों के आश्रितों को मौका मिलेगा यानी अनुकंपा के आधार पर क्लास 3 और क्लास 4 के पदों को भरा जाएगा. राज्य के कुछ जिलों में एसबीआई के माध्यम से शिक्षकों के वेतन का भुगतान किया जाता है, जबकि अन्य कई जिलों में दूसरे बैंकों के माध्यम से वेतन का भुगतान किया जाता है. शिक्षकों की मांग को मानते हुए सरकार जहां तक संभव हो दूसरे जिलों में भी शिक्षकों के वेतन का भुगतान एसबीआई से ही करेगी. जिससे वेतन मिलने में विलंब ना हो. 2 वर्षों से तकरीबन 4000 अतिथि शिक्षक काम कर रहे हैं. सरकार ने फैसला किया है कि जिन अतिथि शिक्षकों का कार्यकाल 1 वर्ष पूरा हो गया है उन्हें नियुक्ति में 5 फीसदी का वेटेज मिलेगा. सरकार शिक्षकों को ईपीएफ का लाभ और 1 अप्रैल 2021 से 15 फीसदी वेतन वृद्धि करने जा रही है. सेवाशर्तों को लेकर शिक्षकों की सभी मांगें मान ली गई हैं. संस्कृत स्कूल के वैसे शिक्षक जिन्हें रिवाईजड पे-स्केल का लाभ नहीं मिल पाया था उन्हें अब इसका लाभ मिलेगा, इस संबंध में भी निर्णय लिया गया है.

पटना
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव, गृह विभाग के सचिव और अन्य

कोरोना के कारण टैक्स में 33% की कमी
वित्त विभाग के प्रधान सचिव एस सिद्धार्थ ने बताया कि उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने अपने फर्स्ट सप्लीमेंट्री भाषण में बिहार विधानसभा में यह स्पष्ट किया था कि उस तारीख तक 33 प्रतिशत का शार्ट फॉल स्टेट टैक्सेज में हुआ है. इसका मुख्य कारण कोरोना संक्रमण के चलते इकॉनमी एक्टिविटी में स्लो डाउन हुआ और लॉकडाउन काफी दिनों तक चला. इसके बावजूद सरकार यह सुनिश्चित कर पायी कि राज्य में किसी का वेतन नहीं रुका, किसी के वेतन में कटौती नहीं की गई और कांट्रेक्टर या किसी के पेमेंट में कटौती या स्टॉपेज नही हुआ. स्टेट टैक्सेज में 33 प्रतिशत का शार्ट फॉल होने की स्थिति में एडिशनल लायबिलिटी (नये एक्सपेंडिचर या नये इंक्रीमेंटल एक्सपेंडिचर) लेने का स्कोप नही बचता है. हमलोग उम्मीद करते हैं कि अगले वित्तीय वर्ष में स्थिति में सुधार होगा और राज्य को अधिक राजस्व प्राप्त होगा जिससे इन शिक्षकों के वेतन बढ़ोतरी में करीब 2,900 करोड़ रुपए का जो खर्च आएगा उसे सरकार पूरा करेगी. वित्तीय स्थिति को देखते हुए 1 अप्रैल 2021 से पंचायती राज संस्थान और नगर निकाय संस्थानों के शिक्षकों का 15 प्रतिशत वेतन वृद्धि करने का निर्णय लिया गया है. इन शिक्षकों को 1 सितंबर के प्रभाव से ईपीएफ का लाभ दिया जा रहा है. उन्होंने बताया कि प्रोक्योरमेंट को लेकर भारत सरकार ने जो निर्णय लिया है उसे बिहार सरकार भी लागू करेगी.

पटना: शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव आरके महाजन और वित्त विभाग के प्रधान सचिव एस सिद्धार्थ ने मंगलवार को बिहार मंत्रिपरिषद की हुई बैठक में शिक्षा विभाग से संबंधित लिए गए महत्वपूर्ण निर्णय के संबंध में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जानकारी दी.

आरके महाजन ने बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर यह घोषणा की गई थी कि राज्य के पंचायती राज संस्थान और नगर निकाय संस्थान के शिक्षकों की सेवा शर्तों में सुधार कर सेवा शर्त नियमावली शीघ्र लागू की जाएगी. शिक्षकों को सामाजिक सुरक्षा के लिए कर्मचारी भविष्य निधि का लाभ दिया जायेगा. मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुरूप शिक्षा विभाग की ओर से सेवा शर्त नियमावली तैयार की गई और मंत्रिपरिषद में इसे स्वीकृति प्रदान की गई.

शिक्षकों की संख्या

उन्होंने बताया कि बिहार में पंचायती राज संस्थान और नगर निकाय संस्थान के शिक्षकों की संख्या करीब 3.5 लाख है. इन सभी शिक्षकों को सामाजिक सुरक्षा के रूप में ईपीएफ का लाभ दिया जाएगा. 15 हजार तक की सैलरी में 13 प्रतिशत सरकार का योगदान रहता है. जिसमे से 12 प्रतिशत राशि शिक्षकों के बैंक खाते जबकि 1 प्रतिशत राशि ईपीएफओ को मैनेजमेंट के रूप में देना पड़ता है. इस प्रकार ईपीएफ में 12 प्रतिशत सरकार को और 12 प्रतिशत योगदान शिक्षकों को करना पड़ेगा. इस पर शिक्षकों को बैंक रेट से ज्यादा इन्ट्रेस्ट मिलेगा. इस राशि पर इनकम टैक्स नहीं लगता है और समय-समय पर संचित राशि से लोन भी लिया जा सकता है. इसमें पेंशन की सुविधा होती है और मृत्यु होने पर 2.5 लाख से 06 लाख तक एक्सग्रेसिया अमाउंट भी इस स्कीम से मिलता है. इस स्कीम को लागू करने पर सरकार का कुल 815 करोड़ रूपये का वार्षिक व्यय आएगा.

वेतन में 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी
आरके महाजन ने बताया कि मुख्यमंत्री की यह इच्छा थी कि शिक्षकों को वेतन वृद्धि का लाभ दिया जाए. लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण राज्य सरकार के संसाधनों में काफी कमी आ गई है. मंत्रिपरिषद की बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि 1 अप्रैल 2021 से इन शिक्षकों के वेतन में 15 प्रतिशत की वृद्धि की जाएगी. उन्होंने बताया कि ईपीएफ का लाभ भी अपने आप में एक प्रकार से वेतन वृद्धि ही है. राज्य सरकार इन शिक्षकों को 13 प्रतिशत ईपीएफ का लाभ और 1 अप्रैल 2021 से 15 प्रतिशत की वेतन वृद्धि करने जा रही है. इस प्रकार ईपीएफ और वेतन वृद्धि को मिलाकर इन शिक्षकों के वेतन में 20 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हो जाएगी. शिक्षा विभाग की ओर से वर्ष 2015 से इन्हें फिक्स सैलरी से पे-स्केल दिया गया था और उस समय 20 प्रतिशत की वेतन वृद्धि भी की गई थी. इन्हें 2017 में सातवें वेतन आयोग का लाभ दिया गया जिसमे 17 प्रतिशत की वेतन वृद्धि की गई थी. आज के निर्णय के आलोक में शिक्षा विभाग की ओर से 1 अप्रैल 2021 से 20 प्रतिशत से अधिक की वेतन वृद्धि का लाभ इन शिक्षकों को प्राप्त होगा. सरकार की ओर से पिछले पांच वर्षों में इन शिक्षकों के वेतन में 60 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि की गई है. इसके अलावा वर्ष 2015 से सरकारी कर्मियों के अनुरूप इन शिक्षकों का महंगाई भत्ता भी बढ़ाने का निर्णय लिया गया. प्रतिवर्ष सरकारी कर्मियों की तरह इन्हें भी 3 प्रतिशत इन्क्रीमेंट का लाभ मिलता है. एरिया के अनुरूप हाउस रेंट अलाउंस का लाभ भी इन्हें दिया जाता है. इन शिक्षकों को प्रतिमाह मेडिकल अलाउंस भी दिया जाता है. वेतन वृद्धि के फलस्वरूप प्रतिवर्ष 1,950 करोड़ रूपये और ईपीएफ का लाभ देने पर 815 करोड़ रुपए का अतिरिक्त व्यय होगा.

महिला और दिव्यांगों का गृह जिले में होगा ट्रांसफर
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने बताया कि पंचायती राज संस्थान और नगर निकाय संस्थान के शिक्षकों की मांग के अनुरूप सेवा शर्तों में भी सुधार किया गया है. एक इम्प्लोयमेंट यूनिट से दूसरे इम्प्लोयमेंट यूनिट में ट्रांसफर किए जाने की सुविधा प्रदान करने की इनकी मांग है. वर्तमान में ट्रांसफर के बारे में यह नियम है कि अगर कोई पंचायत का शिक्षक है तो उसी पंचायत के अंदर उसका ट्रांसफर हो सकता है. अगर वह पंचायत समिति का (मिडिल स्कूल) शिक्षक है तो पंचायत समिति के अंदर ही उसका ट्रांसफर हो सकता है और जिला परिषद का शिक्षक है तो उस जिला परिषद के अंदर ही उसका ट्रांसफर हो सकता है. लेकिन देखा गया है कि कुछ महिला शिक्षक जिनकी शादी दूसरे जिले में हो जाती है तो उन्हें काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. इसलिए यह निर्णय लिया गया है कि दिव्यांग शिक्षक, पुस्तकालय अध्यक्ष और महिला शिक्षकों को अंतर नियोजन और अंतर जिला ट्रांसफर की सुविधा प्रदान की जाएगी ताकि वह इच्छित स्थान पर ट्रांसफर ले सकें. इसके अलावा जो पुरुष शिक्षक और पुस्तकालय अध्यक्ष हैं उन्हें यह लाभ म्युच्युल ट्रांसफर बेसिस पर दिया जाएगा. प्रमोशन को लेकर भी नियमावली में प्रावधान किया गया है.

शिकक्षों को प्रमोशन भी मिलेगा
क्वालिफिकेशन फूलफिल करने वाले प्राइमरी स्कूल के शिक्षकों को प्रमोशन देकर मिडिल स्कूल के 50 प्रतिशत शिक्षकों का पद भरा जाएगा. 30 हजार मिडिल स्कूल के हेडमास्टर के पद भी ऐसे शिक्षकों से भरे जायेंगे. इसके लिए एक अलग से पे स्केल निर्धारित किया जायेगा. सीनियर सेकेंडरी स्कूल के शिक्षकों के 50 प्रतिशत पद हाईस्कूल के निर्धारित योग्यता रखने वाले शिक्षकों से भरा जायेगा. सीनियर सेकेंडरी स्कूल के प्रिंसिपल का पद भी ऐसे शिक्षकों से भरा जायेगा. इसके संबंध में विस्तृत दिशा निर्देश शिक्षा विभाग की ओर से निर्गत किया जायेगा. इनकी प्रोन्नति को लेकर नियमावली में प्रावधान किया गया है. पहले प्राइमरी स्कूल के शिक्षक का अप्वाइंटमेंट अगर मिडिल या हाईस्कूल के शिक्षक के रुप में होने पर उनकी पुरानी सर्विस का बेनिफिट नहीं मिलता था. शिक्षकों की इस मांग को भी मान लिया गया है. किसी शिक्षक का हाई स्केल में अप्वाइंटमेंट पर उन्हें पे प्रोटेक्शन का लाभ मिलेगा लेकिन सीनियरिटी का लाभ नहीं मिलेगा.

मातृत्व अवकाश अब 180 दिन का और 15 दिन का पितृत्व अवकाश
महिलाओं को मिलने वाली मातृत्व अवकाश वर्तमान में 135 दिन देय है. इसको बढ़ाकर 180 दिन किया गया है. पितृत्व अवकाश जो वर्तमान में देय नहीं है. वो अब 15 दिन देय होगा. स्टडी लिव वर्तमान में सेवाकाल के 7 वर्ष के बाद देय होती है. अब 7 वर्ष के स्थान पर 3 वर्ष के बाद स्टडी लिव ले पाएंगे. ये स्टडी लिव अवैतनिक होगी. वर्तमान में अर्जित अवकाश देय नहीं है. अब प्रावधान किया गया है कि प्रतिवर्ष 11 दिन का अर्जित अवकाश इन्हें मिलेगा और 120 दिन तक का अवकाश संचित हो पाएगा.

समय पर वेतन का प्रावधान
आरके महाजन ने बताया कि राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत जिन शिक्षकों की नियुक्ति हुई थी, उनके वेतन के भुगतान के लिए अलग से बजट का प्रावधान किया जाता था. इस वजह से इनको वेतन मिलने में देरी होती थी. हमने ये प्रावधान किया है कि सभी शिक्षकों के लिए एक साथ बजट में प्रावधान हो जिससे सभी शिक्षकों को ससमय वेतन का भुगतान हो सके.

अनुकंपा पर आश्रितों को नौकरी
शिक्षकों की असामयिक मौत होने पर अनुकंपा के आधार पर आश्रितों को शिक्षक के तौर पर नियुक्ति के लिए वर्तमान में ये प्रावधान है कि उनकी न्यूनतम योग्यता इंटर, टी.ई.टी., डिप्लोमा इन ऐलिमेंटरी एजुकेशन हो, लेकिन आश्रित ये सारी योग्यताओं को पूरा नहीं कर पाते थे. जिससे इन्हें अनुकंपा का लाभ नहीं मिल पाता था. शिक्षकों की मांग को मानते हुए सरकार ने यह प्रावधान किया है कि हाई स्कूल में चतुर्थ श्रेणी, लिपिक जिसे सहायक का पद दिया जाएगा और अन्य पदों का सृजन किया जाएगा और उन पदों में से 50 फीसदी पदों पर शिक्षकों के आश्रितों को मौका मिलेगा यानी अनुकंपा के आधार पर क्लास 3 और क्लास 4 के पदों को भरा जाएगा. राज्य के कुछ जिलों में एसबीआई के माध्यम से शिक्षकों के वेतन का भुगतान किया जाता है, जबकि अन्य कई जिलों में दूसरे बैंकों के माध्यम से वेतन का भुगतान किया जाता है. शिक्षकों की मांग को मानते हुए सरकार जहां तक संभव हो दूसरे जिलों में भी शिक्षकों के वेतन का भुगतान एसबीआई से ही करेगी. जिससे वेतन मिलने में विलंब ना हो. 2 वर्षों से तकरीबन 4000 अतिथि शिक्षक काम कर रहे हैं. सरकार ने फैसला किया है कि जिन अतिथि शिक्षकों का कार्यकाल 1 वर्ष पूरा हो गया है उन्हें नियुक्ति में 5 फीसदी का वेटेज मिलेगा. सरकार शिक्षकों को ईपीएफ का लाभ और 1 अप्रैल 2021 से 15 फीसदी वेतन वृद्धि करने जा रही है. सेवाशर्तों को लेकर शिक्षकों की सभी मांगें मान ली गई हैं. संस्कृत स्कूल के वैसे शिक्षक जिन्हें रिवाईजड पे-स्केल का लाभ नहीं मिल पाया था उन्हें अब इसका लाभ मिलेगा, इस संबंध में भी निर्णय लिया गया है.

पटना
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव, गृह विभाग के सचिव और अन्य

कोरोना के कारण टैक्स में 33% की कमी
वित्त विभाग के प्रधान सचिव एस सिद्धार्थ ने बताया कि उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने अपने फर्स्ट सप्लीमेंट्री भाषण में बिहार विधानसभा में यह स्पष्ट किया था कि उस तारीख तक 33 प्रतिशत का शार्ट फॉल स्टेट टैक्सेज में हुआ है. इसका मुख्य कारण कोरोना संक्रमण के चलते इकॉनमी एक्टिविटी में स्लो डाउन हुआ और लॉकडाउन काफी दिनों तक चला. इसके बावजूद सरकार यह सुनिश्चित कर पायी कि राज्य में किसी का वेतन नहीं रुका, किसी के वेतन में कटौती नहीं की गई और कांट्रेक्टर या किसी के पेमेंट में कटौती या स्टॉपेज नही हुआ. स्टेट टैक्सेज में 33 प्रतिशत का शार्ट फॉल होने की स्थिति में एडिशनल लायबिलिटी (नये एक्सपेंडिचर या नये इंक्रीमेंटल एक्सपेंडिचर) लेने का स्कोप नही बचता है. हमलोग उम्मीद करते हैं कि अगले वित्तीय वर्ष में स्थिति में सुधार होगा और राज्य को अधिक राजस्व प्राप्त होगा जिससे इन शिक्षकों के वेतन बढ़ोतरी में करीब 2,900 करोड़ रुपए का जो खर्च आएगा उसे सरकार पूरा करेगी. वित्तीय स्थिति को देखते हुए 1 अप्रैल 2021 से पंचायती राज संस्थान और नगर निकाय संस्थानों के शिक्षकों का 15 प्रतिशत वेतन वृद्धि करने का निर्णय लिया गया है. इन शिक्षकों को 1 सितंबर के प्रभाव से ईपीएफ का लाभ दिया जा रहा है. उन्होंने बताया कि प्रोक्योरमेंट को लेकर भारत सरकार ने जो निर्णय लिया है उसे बिहार सरकार भी लागू करेगी.

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