पटना: जिले के मसौढ़ी अनुमंडल के ग्रामीण क्षेत्रों में सभी पशुपालक आदी सुबह से ही गायों को नहला कर उनकी पूजा कर गोवर्धन पूजा मना रहे हैं. गोवर्धन पर्व को लेकर कई पौराणिक कथाएं भी हैं. शास्त्रों में बताया गया है कि गाय को देवी लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है. देवी लक्ष्मी जिस प्रकार सुख समृद्धि प्रदान करती है, उसी प्रकार गाय माता भी अपने दूध से स्वास्थ्य रूपी धन प्रदान करती हैं.
'इसलिए मनाया जाता है गोवर्धन पर्व'
बता दें कि गाय के प्रति भी श्रद्धा प्रकट करने के लिए कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन गोवर्धन पूजा की जाती है. वहीं, आज के दिन अन्नकूट महोत्सव भी मनाया जाता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार, द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों को मूसलाधार बारिश से 7 दिनों तक गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठाकर लोगों की रक्षा की थी. उसी दिन से एक गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर पूजा की जाती है और भगवान को छप्पन भोग लगाते हैं और उसके बाद गाय को खिलाया जाता है.
'क्या करते हैं इस दिन'
गोवर्धन पूजा की सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर शरीर पर तेल मलकर स्नान किया जाता है. साफ कपड़े पहनकर लोग अपने इष्ट का ध्यान करते हैं. इसके बाद अपने घर के मुख्य द्वार के सामने गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर उसे पेड़, शाखा व फूल आदि से सजाकर पूजा की जाती है.
पूजा में इस मंत्र का उच्चारण किया जाता है:
- गोवर्धन धराधार गोकुल त्राणकारक। विष्णुबाहु कृतोच्छ्राय गवां कोटिप्रभो भव:।।