पटना: राज्य स्तरीय होने वाले अनुसूचित जाति, जनजाति और अत्याचार निवारण अनुश्रवण कमेटी (Monitoring Committee Meeting In Patna) के संवाद में गुरुवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समीक्षा करने जा रहे हैं. ऐसे में मसौढ़ी और फुलवारीशरीफ के सीपीआई(एमएल) विधायक ने अनुमंडल स्तरीय अनुश्रवण समिति पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि कमेटी में एक भी दलित और महादलित के लोग शामिल नहीं हैं. ऐसे में इस अनुश्रवण समिति के बनाने का क्या फायदा होगा.
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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के संवाद कार्यक्रम में बिहार के तमाम जिलों के पदाधिकारी और विधायक शामिल होंगे. ऐसे में मसौढ़ी में फुलवारीशरीफ विधायक ने कहा कि अनुमंडल स्तरीय पर जो अनुश्रवण कमेटी बनी है, उसमें एक भी दलित और महादलित के लोगों को जोड़ा नहीं गया है. ऐसे में यह अनुश्रवण कमेटी अनुसूचित जाति, जनजाति और अत्याचार निवारण के लिए है तो जरूर, लेकिन उसमें कैसे बता पायेंगे कि एससी-एसटी के साथ क्या हो रहा है. पटना के ग्रामीण इलाके के विभिन्न प्रखंडों के थानों में अनुसूचित जाति से कई मामले अभी तक पेंडिंग है. इसमें कोई भी रुचि लेते नहीं दिख रहा है. ऐसे में इस अनुश्रवण समिति कमेटी क्या फायदा होने जा रहा है?
मसौढ़ी में बने अनुमंडल स्तरीय अनुसूचित जाति, जनजाति निवारण सतर्कता अनुश्रवण कमेटी में एक भी दलित और महादलित के लोगों को सदस्य के रूप में नहीं रखने पर मसौढ़ी एवं फुलवारी विधायक ने रोष जताया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस मसले पर संवाद करने को लेकर आज होने वाले राज्य स्तरीय अनुश्रवण कमेटी की समीक्षात्मक में अपनी बात रखेंगे. इसके साथ ही लगातार बढ़ रहे अनुसूचित जातियों पर अत्याचार एवं उनके मामले अभी तक कितने पेंडिंग हैं इस पर भी चर्चा की जाएगी.
स्थानीय प्रशासन पर आरोप है कि आज भी थानों में एसी-एसटी के लोग जाते हैं, तो टालमटोल कर दिया जाता है. उनके साथ व्यवहार ठीक से नहीं किया जाता है. अनुसूचित जाति-जनजाति के लिए कानून तो कई बने हैं लेकिन आज भी थानों में एससी-एसटी के लोग केस करने जाते हैं तो टालमटोल कर उन्हें भगा दिया जाता है. वहीं केस जाने पर भी उनके मामलों में रुचि नहीं दिखाते हैं. अभी तक कई मामले पेंडिंग हैं.
'राज्यस्तरीय अत्याचार निवारण कानून के तहत बैठक का आयोजन है. जहां मुख्यमंत्री संबोधित करेंगे. मसौढ़ी, धनरूआ और पुनपुन के जो भी पेंडिग मामले है उसका निवारण किया जाएगा. अनुश्रवण समिति की बैठक में हमलोगों को नहीं बुलाया गया है. रात में 12 बजे मैसेज के माध्यम से पता चला कि अनुश्रवण समिति की बैठक बुलायी गयी है. जिसके बाद रात में ही मैंने अधिकारियों से संपर्क किया. समाज में जिनपर अत्याचार होता है यदि उन्हें ही पद पर नहीं रखा जाएगा, तो ऐसा कानून किस काम का है.' -गोपाल रविदास, विधायक