पटना: ग्लोबल ऑर्थोपेडिक फोरम का सातवां संस्करण आज से शुरू हो गया है. बिहार ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन के सहयोग से गॉफकॉन सेवंथ कॉन्क्लेव का आयोजन हो रहा है. यह तीन दिवसीय आयोजन है, जिसका उद्देश्य है कि देश के ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य कर रहे हड्डी रोग विशेषज्ञ को हड्डी रोग के क्षेत्र में आई आधुनिक जानकारी से अवगत कराया जा सके. इसके साथ ही विश्वस्तरीय ट्रामा मैनेजमेंट जो कि आधुनिक समय में प्रचलित है. उन तकनीकों को बताना है जिससे कि विश्वस्तरीय चिकित्सीय प्रणाली का लाभ मरीज उठा सकें.
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आज होगा युवक का लाइव ऑपरेशन: इस कार्यक्रम के बारे में बताते हुए ग्लोबल ऑर्थोपेडिक फोरम के ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेट्री और बिहार के जाने-माने ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉक्टर अमूल्य सिंह ने बताया कि मूल रूप से कॉन्क्लेव 2 दिन का है जो 25 और 26 मार्च को होगा. होटल मौर्या में दो दिवसीय कॉन्क्लेव का आयोजन किया गया है, जिसमें 25 मार्च को शाम 6:00 बजे महामहिम राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर कार्यक्रम का उद्घाटन करेंगे.
"इससे पहले आज 24 मार्च को शाम में 22 वर्षीय एक युवक का लाइव हीप ट्रांसप्लांटेशन होगा. ऐसा इसलिए क्योंकि युवक की लंबी जिंदगी बची है और कूल्हों की समस्या के कारण युवक चल फिर पाने में असमर्थ है. ऐसे में उसका लाइव सर्जरी करके चिकित्सकों को भी इससे अवगत कराया जाएगा. यह लाइव ऑपरेशन यारपुर स्थित अक्षत सेवा सदन में आज शाम 5:00 बजे किया जाएगा." -डॉक्टर अमूल्य सिंह,ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेट्री,ग्लोबल ऑर्थोपेडिक फोरम
जुटेंगे 800 से अधिक हड्डी रोग विशेषज्ञ: डॉ अमूल्य सिंह ने बताया कि इसके साथ ही इस कार्यक्रम का उद्देश्य है कि बिहार के ऑर्थोपेडिक चिकित्सकों को विश्व के मानचित्र में स्थापित किया जाए. इस कार्यक्रम में एक अलग से जीएसटी का सेशन होगा जिसमें जीएसटी के चीफ कमिश्नर मिस्टर बीबी महापात्रा सम्मिलित होंगे. वह बताएंगे कि किन चिकित्सकों और अस्पतालों के लिए जीएसटी की आवश्यकता है. कार्यक्रम में देश भर से 800 से अधिक ऑर्थोपेडिक चिकित्सक शिरकत करने जा रहे हैं.
महिलाओं का होगा अलग से सेशन: कार्यक्रम में महिलाओं के लिए एक अलग से सेशन होगा जिसमें ऑर्थोपेडिक चिकित्सा में बेहतर कर रही महिला चिकित्सक अपने अनुभव को साझा करेंगी. एमबीबीएस के बाद जो लड़कियां पीजी में कंफ्यूज्ड रहती हैं कि वह कौन सा फैकेल्टी लें, उन्हें बताएंगे कि ऑर्थोपेडिक्स में भी स्कोप अच्छा है. चिकित्सकों के अनुसार लोगों का अधिक समय ट्रैवलिंग में बीत रहा है. ऐसे में उबड़ खाबड़ सड़कों से गुजरने पर हड्डी की समस्या बढ़ जाती है.