पटना: राजधानी के आर्यभट्ट यूनिवर्सिटी (Aryabhatta University) में कार्य करने वाले चतुर्थवर्गीय कर्मचारी (Fourth Grade Employee) अपनी मांगों को लेकर 3 दिन से धरने पर बैठे हुए हैं. इन लोगों का साफ तौर पर कहना है कि बिना नोटिस के ही इन लोगों का वेतन कम कर दिया गया, जिससे इन लोगों का भरण पोषण नहीं हो पा रहा है. धरने पर बैठे चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों ने आत्मदाह की धमकी दी है.
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बता दें कि आर्यभट्ट यूनिवर्सिटी में कार्य करने वाले चतुर्थवर्गीय कर्मचारी अपनी वेतन विसंगति को लेकर धरना पर बैठे हुए हैं. इन लोगों का कहना है कि नई आउटसोर्सिंग कंपनी बहाल की गई है, जिसके कारण हम लोगों की सैलरी 3000 कम कर दी गई है. जिसकी कोई सूचना भी हमें नहीं दी गई.
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कर्मचारियों का कहना है कि इन लोगों से ड्रेस,आई कार्ड और पंजीकरण के नाम पर चार-चार हजार रुपये भी लिए गए हैं. चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों की सैलरी लगभग 11,500 रुपये हुआ करती थी, जिसे घटाकर 8000 रुपये कर दी गयी है. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सैलरी पहले से ही कम थी, उसे और कम कर देने के कारण परिवार के भरण पोषण में समस्या हो रही है.
धरना पर बैठे चतुर्थवर्गीय कर्मचारी अखिलेश कुमार ने बताया कि हम लोगों की सैलरी अचानक से कम कर दी गई, जिसके कारण हम लोगों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. कई बार साहब से मिलने का प्रयास भी किए, लेकिन वह मिलने से साफ इनकार कर देते हैं.
"हमलोग विगत 10 साल से काम कर रहे हैं. तब 3500 रुपये तनख्वाह हुआ करता था. वहां से बढ़ते बढ़ते सैलरी 15 हजार तक पहुंच गई थी. तीन साल से सैलरी में बढ़ोतरी नहीं की गई है. नए वीसी और रजिस्ट्रार के आने के बाद तीन महीना पहले बिना किसी जानकारी के हमारी सैलरी कम कर दी गई, 8 हजार 99 रुपये देना शुरू कर दिया गया. हमने लिखित में प्रस्ताव दिया था. वीसी हमसे नहीं मिलते हैं. कहा जाता है कि काम कीजिए नहीं तो भगा दिया जाएगा."- अखिलेश कुमार, चतुर्थवर्गीय कर्मचारी
वहीं सुषमा कुमारी ने बताया कि हमारे पति विकलांग हैं और मेरी ही कमाई पर मेरा परिवार चलता है. पहले 11000 वेतन मिलता था तो किसी तरह काम चल जाता था. लेकिन अब 8000 में घर चलाना मुश्किल हो रहा है. जब तक हमारी मांग पूरी नहीं की जाती तब तक धरने पर बैठे रहेंगे.
"हमारी कोई खास मांग नहीं है. हम तो बस इतना चाहते हैं कि जो हमारी पुरानी सैलरी थी वही दिया जाए. आठ हजार में किसी का घर चलने वाला नहीं है. मेरे पति विकलांग हैं, उनके पास जॉब नहीं है. अब 8 हजार में रेंट दें या बच्चे को पढ़ाएं या खाएं, समझ नहीं आ रहा है. हमें बोला गया था कि न तो सैलरी कम होगी, न ही हटाया जाएगा."-सुषमा कुमारी, चतुर्थवर्गीय कर्मचारी
वहीं एक अन्य कर्मचारी संतोष कुमार ने बताया कि अगर हमारी मांग पूरी नहीं की जाती है. सैलरी पहले जितना नहीं किया जाता है,तब तक हमारा धरना जारी रहेगा. अगर हमारी मांग नहीं मानी गई हम लोग आत्मदाह भी करने को मजबूर हो जाएंगे.
"हमलोग यहीं धरने पर बैठे रहेंगे. देखेंगे कि कोई सुनवाई नहीं किया जा रहा है, तो सब मिलकर आत्मदाह कर लेंगे. भूख से मरने से अच्छा है कि यहीं मर जाए. पूरे परिवार के साथ हमलोग यहीं आत्मदाह कर लेंगे."- चतुर्थवर्गीय कर्मचारी