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संविधान संशोधन से बिहार की इन जातियों की जगी उम्मीद, OBC की लिस्ट में हो सकती हैं शामिल

127वां संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा से पास हो गया है. इसमें जातियों को पिछड़ा वर्ग (OBC) में शामिल करने का अधिकार राज्यों को दिया गया है. इससे बिहार की चार पिछड़ी जातियों को बड़ी राहत मिल सकती है. इन्हें OBC की लिस्ट में शामिल करने का रास्ता साफ हो जाएगा.

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ओबीसी
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Published : Aug 10, 2021, 11:10 PM IST

Updated : Aug 10, 2021, 11:16 PM IST

पटना: केंद्र सरकार (Central Government) द्वारा लोकसभा में लाया गया अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) से संबंधित 127वां संविधान संशोधन विधेयक पास हो गया है. इससे बिहार की चार पिछड़ी जातियों को बड़ी राहत मिल सकती है. इन्हें OBC की लिस्ट (OBC List) में शामिल करने का रास्ता साफ हो जाएगा.

यह भी पढ़ें- JDU ने संसद में उठाया जातीय जनगणना का मामला, कहा- इसके बिना OBC को नहीं मिलेगा न्याय

बिहार में गिरी, जागा, मल्लिक और सूर्यापुरी जातियां ऐसे हैं, जिन्हें नए प्रावधान के तहत उम्मीद जगी है. गिरी और जागा जाति पिछड़ा वर्ग की कैटेगरी में शामिल हैं, जबकि मल्लिक और सूर्यापुरी जाति को इस कैटेगरी में नहीं रखा गया है. मल्लिक जाति को पिछड़ा वर्ग में शामिल किया गया था, लेकिन बाद में इन्हें सूची से बाहर कर दिया गया था. अदालत ने यह फैसला किया था कि ओबीसी आयोग पिछड़ी जातियों का फैसला करेगी. इससे राज्य सरकार की परेशानी बढ़ गई थी. लंबी प्रक्रिया के कारण समय लग रहा था.

देखें रिपोर्ट

जदयू ने केंद्र के फैसले का स्वागत किया है. जदयू प्रवक्ता अरविंद निषाद ने कहा, 'केंद्र के फैसले का हम स्वागत करते हैं. बिहार सरकार को इसका लंबे समय से इंतजार था. केंद्र के फैसले से सामाजिक विषमता दूर करने में मदद मिलेगी. ओबीसी की लिस्ट में जातियों को शामिल करने का अधिकार राज्यों को पहले से था. इसे फिर से दिया गया है.'

"केंद्र का फैसला सराहनीय है. बिहार में कुछ जातियां ऐसी हैं जो पिछड़ी जाति में शामिल होने की अहर्ता रखती थी. तकनीकी कारणों के चलते उन्हें वाजिब हक नहीं मिल सकता था. अब उनके लिए राहें आसान हो गईं हैं."- प्रेम रंजन पटेल, प्रवक्ता, भाजपा

"केंद्र सरकार ऐसे संशोधन लाने के बजाय जातिगत जनगणना करा ले. सभी समस्या का समाधान हो जाएगा. यह भी पता चल जाएगा कि किसको क्या जरूरत है."- शक्ति यादव, प्रवक्ता, राजद

"केंद्र सरकार की पहल से राज्यों के लिए राहें आसान हो जाएंगी. राज्य जरूरतमंदों के हिसाब से उनके कल्याण के लिए सूची बना पाएगी और उनकी बेहतरी हो सकेगी."- डॉ संजय कुमार, समाजसेवी

बता दें कि जातियों को पिछड़ा वर्ग में शामिल करने का अधिकार पहले भी राज्यों के पास था. सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद यह अधिकार राज्यों से छिन गया था. बिहार में 144 जातियां ओबीसी के तहत आती हैं, इनमें 113 जातियां अति पिछड़ा वर्ग और 31 जातियां पिछड़ा वर्ग के तहत आती हैं.

बिहार में अति पिछड़ा वर्ग आयोग और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए राज्य आयोग वर्तमान में सक्रिय नहीं है. इसका पुनर्गठन नहीं किया गया है. अति पिछड़ा वर्ग आयोग अति पिछड़ी जातियों से जुड़े मामलों पर कार्रवाई करती है, जबकि अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए राज्य आयोग के तहत पिछड़ी जातियों से जुड़े मामलों पर कार्रवाई की जाती है.

यह भी पढ़ें- सहनी को UP में सहन नहीं कर पा रही BJP, बोली- 'कोई भी जाकर लड़ ले, उसे अपनी ताकत का पता चल जाएगा'

पटना: केंद्र सरकार (Central Government) द्वारा लोकसभा में लाया गया अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) से संबंधित 127वां संविधान संशोधन विधेयक पास हो गया है. इससे बिहार की चार पिछड़ी जातियों को बड़ी राहत मिल सकती है. इन्हें OBC की लिस्ट (OBC List) में शामिल करने का रास्ता साफ हो जाएगा.

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बिहार में गिरी, जागा, मल्लिक और सूर्यापुरी जातियां ऐसे हैं, जिन्हें नए प्रावधान के तहत उम्मीद जगी है. गिरी और जागा जाति पिछड़ा वर्ग की कैटेगरी में शामिल हैं, जबकि मल्लिक और सूर्यापुरी जाति को इस कैटेगरी में नहीं रखा गया है. मल्लिक जाति को पिछड़ा वर्ग में शामिल किया गया था, लेकिन बाद में इन्हें सूची से बाहर कर दिया गया था. अदालत ने यह फैसला किया था कि ओबीसी आयोग पिछड़ी जातियों का फैसला करेगी. इससे राज्य सरकार की परेशानी बढ़ गई थी. लंबी प्रक्रिया के कारण समय लग रहा था.

देखें रिपोर्ट

जदयू ने केंद्र के फैसले का स्वागत किया है. जदयू प्रवक्ता अरविंद निषाद ने कहा, 'केंद्र के फैसले का हम स्वागत करते हैं. बिहार सरकार को इसका लंबे समय से इंतजार था. केंद्र के फैसले से सामाजिक विषमता दूर करने में मदद मिलेगी. ओबीसी की लिस्ट में जातियों को शामिल करने का अधिकार राज्यों को पहले से था. इसे फिर से दिया गया है.'

"केंद्र का फैसला सराहनीय है. बिहार में कुछ जातियां ऐसी हैं जो पिछड़ी जाति में शामिल होने की अहर्ता रखती थी. तकनीकी कारणों के चलते उन्हें वाजिब हक नहीं मिल सकता था. अब उनके लिए राहें आसान हो गईं हैं."- प्रेम रंजन पटेल, प्रवक्ता, भाजपा

"केंद्र सरकार ऐसे संशोधन लाने के बजाय जातिगत जनगणना करा ले. सभी समस्या का समाधान हो जाएगा. यह भी पता चल जाएगा कि किसको क्या जरूरत है."- शक्ति यादव, प्रवक्ता, राजद

"केंद्र सरकार की पहल से राज्यों के लिए राहें आसान हो जाएंगी. राज्य जरूरतमंदों के हिसाब से उनके कल्याण के लिए सूची बना पाएगी और उनकी बेहतरी हो सकेगी."- डॉ संजय कुमार, समाजसेवी

बता दें कि जातियों को पिछड़ा वर्ग में शामिल करने का अधिकार पहले भी राज्यों के पास था. सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद यह अधिकार राज्यों से छिन गया था. बिहार में 144 जातियां ओबीसी के तहत आती हैं, इनमें 113 जातियां अति पिछड़ा वर्ग और 31 जातियां पिछड़ा वर्ग के तहत आती हैं.

बिहार में अति पिछड़ा वर्ग आयोग और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए राज्य आयोग वर्तमान में सक्रिय नहीं है. इसका पुनर्गठन नहीं किया गया है. अति पिछड़ा वर्ग आयोग अति पिछड़ी जातियों से जुड़े मामलों पर कार्रवाई करती है, जबकि अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए राज्य आयोग के तहत पिछड़ी जातियों से जुड़े मामलों पर कार्रवाई की जाती है.

यह भी पढ़ें- सहनी को UP में सहन नहीं कर पा रही BJP, बोली- 'कोई भी जाकर लड़ ले, उसे अपनी ताकत का पता चल जाएगा'

Last Updated : Aug 10, 2021, 11:16 PM IST
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