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Mother's Day 2023: मां की ममता और प्रेरणा से बना IAS, मदर्स डे पर भावुक हुए व्यास जी

आज मदर्स डे मनाया जा रहा है. मां केवल एक शब्द भर नहीं है, इस एक शब्द में ही पूरी दुनिया समाहित है. वैसे तो मां को याद करने के लिए कोई खास दिन तय नहीं किया जा सकता है. मां की दुआएं हमेशा ही साथ होती है. मां की ही ममता हमें हमेशा सही रास्ता दिखाती है. चाहे हम किसी भी हाल में रहे मां और मां का आंचल हमेशा हमारे साथ रहता है. आगे पढ़ें पूरी खबर...

पूर्व आईएएस व्यास जी
पूर्व आईएएस व्यास जी
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Published : May 14, 2023, 12:39 PM IST

पूर्व आईएएस व्यास जी

पटना: आज दुनियाभर में मदर्स डे मनाया जा रहा है. इस मौके पर बिहार सरकार में वरिष्ठ पदों पर अपनी सेवा दे चुके पूर्व आईएएस व्यास जी कहते हैं मां और मां के त्याग की बदौलत वह आज इस मुकाम तक पहुंच पाए हैं. उनकी इस सफलता में अगर किसी का सबसे बड़ा योगदान है तो वह उनकी मां का ही है. व्यास जी कहते हैं कि वो उत्तर प्रदेश के सबसे पिछड़े माने जाने वाले जिले बलिया से ताल्लुक रखते हैं. उनकी मां पढ़ी-लिखी महिला नहीं थी. उनके जैसे लोगों के लिए यह बहुत कठिन था कि वो उस गांव से निकलकर अपनी पढ़ाई लिखाई को अच्छी जगह से कर सकें. उनके पिता आरपीएफ में नौकरी करने चले गए, जिसके बाद सारा पालन-पोषण उनकी मां ने किया. उनके साथ मां का आशीर्वाद और मोटिवेशन हमेशा होता था, वो कहती थीं कि बेटा तुमको बहुत आगे बढ़ना है जिसका असर पड़ा और उनकी महत्वाकांक्षा जागी.

पढ़ें-पूर्णिया: मदर्स डे के मौके पर लाइव ओपन माइक का आयोजन, जुटाए फंड से की जाएगी लोगों की मदद

दादी करती थी मोटिवेट: व्यास जी कहते हैं मैं जिस परिवेश से आता हूं उस परिवेश से हमें आगे बढ़ना था. मेरी यही सोच थी और मुझे कहीं न कहीं अपने ऊपर भी थोड़ा विश्वास था कि मैं ऐसा कर सकता हूं. ऐसा भी लगता था कि थोड़ी सी समझदारी है. मेरी मां ने उस चीज की पहचान करके आगे बढ़ाया. व्यास जी कहते हैं कि मेरी दादी भी मुझे हमेशा मोटिवेट करती थी. दादी भी मां के बराबर होती है. जब मैं मिडिल क्लास में था तो दादी के पास सोता था. वो रोज सुबह मुझे 4:00 बजे उठाती थी. मेरे घर के गेट पर पलानी हुआ करता था. वहां हम लोग जाड़े के दिनों में कोदो के पुआल पर सोते थे. बिजली नहीं होती थी लेकिन नींद को भगाने के लिए पास में ही पानी रखा जाता था. तब मेरी पढ़ाई मिट्टी के तेल से जलने वाले दीपक की रोशनी में होती थी.

"मुझे पढ़ने का बहुत शौक था आगे बढ़ने का भी शौक था मैं अपनी दादी को मैया बोलता था. दादी भी कहती थी कि तुम्हें आगे बढ़ना है। दादी को ऐसा लगता था कि आने वाले वक्त में मैं बहुत कुछ कर सकता हूं. उन लोगों की ही प्रेरणा और आशीर्वाद रहा. उन लोगों ने अभाव में भी निरंतर मुझे प्रोत्साहित किया, मेरी हिम्मत को टूटने नहीं दिया हिम्मत को बढ़ाते रहें."- व्यास जी, पूर्व आईएएस

मां को नहीं था गुरूर: व्यास जी कहते हैं कि जब मैंने यूपीएससी को क्लियर किया, तब भी मेरे घर वालों को इसके बारे में बहुत ज्यादा नहीं पता था. यह आखिर होता क्या है ? गांव के लोगों को भी ऐसा लगता था कि मैं पढ़ने में ठीक-ठाक हूं तो वह भी मुझे प्रोत्साहित करते थे. असलियत यही है कि गांव के लोग आईएएस में कलेक्टर के आगे नहीं सोच पाते थे और थाने के बारे में भी नहीं जानते थे. अपने सेवाकाल में जहां-जहां मेरी पदस्थापना होती थी मां मेरे साथ रहती थी. मैं भारतीय प्रशासनिक सेवा में चला गया हूं. इस बात का गुरूर मेरी मां को नहीं था. वह पूरी उम्र समान घरेलू महिला ही बनी रही.

पूर्व आईएएस व्यास जी

पटना: आज दुनियाभर में मदर्स डे मनाया जा रहा है. इस मौके पर बिहार सरकार में वरिष्ठ पदों पर अपनी सेवा दे चुके पूर्व आईएएस व्यास जी कहते हैं मां और मां के त्याग की बदौलत वह आज इस मुकाम तक पहुंच पाए हैं. उनकी इस सफलता में अगर किसी का सबसे बड़ा योगदान है तो वह उनकी मां का ही है. व्यास जी कहते हैं कि वो उत्तर प्रदेश के सबसे पिछड़े माने जाने वाले जिले बलिया से ताल्लुक रखते हैं. उनकी मां पढ़ी-लिखी महिला नहीं थी. उनके जैसे लोगों के लिए यह बहुत कठिन था कि वो उस गांव से निकलकर अपनी पढ़ाई लिखाई को अच्छी जगह से कर सकें. उनके पिता आरपीएफ में नौकरी करने चले गए, जिसके बाद सारा पालन-पोषण उनकी मां ने किया. उनके साथ मां का आशीर्वाद और मोटिवेशन हमेशा होता था, वो कहती थीं कि बेटा तुमको बहुत आगे बढ़ना है जिसका असर पड़ा और उनकी महत्वाकांक्षा जागी.

पढ़ें-पूर्णिया: मदर्स डे के मौके पर लाइव ओपन माइक का आयोजन, जुटाए फंड से की जाएगी लोगों की मदद

दादी करती थी मोटिवेट: व्यास जी कहते हैं मैं जिस परिवेश से आता हूं उस परिवेश से हमें आगे बढ़ना था. मेरी यही सोच थी और मुझे कहीं न कहीं अपने ऊपर भी थोड़ा विश्वास था कि मैं ऐसा कर सकता हूं. ऐसा भी लगता था कि थोड़ी सी समझदारी है. मेरी मां ने उस चीज की पहचान करके आगे बढ़ाया. व्यास जी कहते हैं कि मेरी दादी भी मुझे हमेशा मोटिवेट करती थी. दादी भी मां के बराबर होती है. जब मैं मिडिल क्लास में था तो दादी के पास सोता था. वो रोज सुबह मुझे 4:00 बजे उठाती थी. मेरे घर के गेट पर पलानी हुआ करता था. वहां हम लोग जाड़े के दिनों में कोदो के पुआल पर सोते थे. बिजली नहीं होती थी लेकिन नींद को भगाने के लिए पास में ही पानी रखा जाता था. तब मेरी पढ़ाई मिट्टी के तेल से जलने वाले दीपक की रोशनी में होती थी.

"मुझे पढ़ने का बहुत शौक था आगे बढ़ने का भी शौक था मैं अपनी दादी को मैया बोलता था. दादी भी कहती थी कि तुम्हें आगे बढ़ना है। दादी को ऐसा लगता था कि आने वाले वक्त में मैं बहुत कुछ कर सकता हूं. उन लोगों की ही प्रेरणा और आशीर्वाद रहा. उन लोगों ने अभाव में भी निरंतर मुझे प्रोत्साहित किया, मेरी हिम्मत को टूटने नहीं दिया हिम्मत को बढ़ाते रहें."- व्यास जी, पूर्व आईएएस

मां को नहीं था गुरूर: व्यास जी कहते हैं कि जब मैंने यूपीएससी को क्लियर किया, तब भी मेरे घर वालों को इसके बारे में बहुत ज्यादा नहीं पता था. यह आखिर होता क्या है ? गांव के लोगों को भी ऐसा लगता था कि मैं पढ़ने में ठीक-ठाक हूं तो वह भी मुझे प्रोत्साहित करते थे. असलियत यही है कि गांव के लोग आईएएस में कलेक्टर के आगे नहीं सोच पाते थे और थाने के बारे में भी नहीं जानते थे. अपने सेवाकाल में जहां-जहां मेरी पदस्थापना होती थी मां मेरे साथ रहती थी. मैं भारतीय प्रशासनिक सेवा में चला गया हूं. इस बात का गुरूर मेरी मां को नहीं था. वह पूरी उम्र समान घरेलू महिला ही बनी रही.

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