पटना: केंद्रीय गंगा बाढ़ आयोग के पूर्व निदेशक लीलाधर सिंह इन दिनों अपने ही विभाग में पेंशन के लिए चक्कर काट रहे हैं. लीलाधर का आरोप है कि उन्हें साल 2017 में जबरन रिटायरमेंट लेने को मजबूर किया गया. अब पेंशन के लिए उन्हें हर दिन सरकारी दफ्तरों की दूरी मापना पड़ रहा है. लेकिन मामला अब तक पेंडिंग है.
लीलाधर सिंह ने पेंशन की मांग को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय में भी अपील की है. लेकिन जानकारी के मुताबिक यह मामला पीएमओ कार्यालय में भी लटका है. इसको लेकर उन्होंने ईटीवी भारत से मदद की गुहार लगाई है.
'दोस्तों से कर्ज लेकर चला रहे काम'
दिल्ली आईआईटी से इंजीनियरिंग करने वाले लीलाधर सिंह ने बताया कि ऐसे तो उनकी नौकरी 2024 तक थी. लेकिन, विभाग के ही कुछ लोगों की साजिश के कारण उन्हें 2017 में जबरन रिटायर करवा दिया गया. उन्होंने कहा कि उस वक्त से ही मामले की सुनवाई चल रही है. लीलाधर सिंह बताते हैं कि उन्होंने अपनी समस्या को पीएमओ से भी अवगत कराया. लेकिन वहां भी कुछ साफ नहीं हो सका.
कर्ज लेकर चला रहे काम- पूर्व निदेशक
लीलाधर सिंह का कहना है कि सचिवालय आने से पहले उन्हें परमिशन लेनी पड़ती है और विभाग के लोग लंबे समय से परेशान कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि ना तो उन्हें बकाया वेतन दिया जा रहा है और ना ही पेंशन मिल रहा है. पूर्व निदेशक ने कहा कि साथियों से दो साल तक कर्ज लेकर काम चलाया, लेकिन अब कर्ज भी मिलना मुश्किल हो गया है.
'कोसी त्रासदी के बाद से हुई साजिश'
लीलाधर सिंह का कहना है कि 2008 में बिहार में कोसी त्रासदी हुई थी. जिसको लेकर उन्होंने एक प्रोजेक्ट सरकार को दिया था. उन्होंने बताया कि इस मामले में नेपाल सरकार से अनुमति भी मिल गई थी. तभी से एक लॉबी उनके पीछे पड़ गई और जबरन रिटायर करवा दिया. जिसके बाद से ही परेशानी झेल रहे हैं. बता दें कि लीलाधर सिंह के मामले में बिहार स्थित गंगा बाढ़ नियंत्रण आयोग के कोई भी अधिकारी कुछ भी बोलने से परहेज कर रहे हैं. सभी का कहना है कि ये मामला दिल्ली का है.
बिहार के वाटर रिसोर्स को लेकर भी तैयार किया रोड मैप
लीलाधर सिंह का कहना है कि उन्होंने कई प्रोजेक्ट पर काम किया है. स्पेशल टास्क फोर्स का जब वे डायरेक्टर थे, तब बिहार के वाटर रिसोर्स को लेकर एक रोडमैप तैयार किया था, जिसे 2009 में प्रधानमंत्री को सौंपा था. उसके बाद भी काफी लोग मेरे पीछे पड़ गए. लीलाधर सिंह बताया कि उन्हें बैक डेट से रिटायरमेंट का आर्डर दिया गया और उसके बाद लंबे समय तक बायोमैट्रिक अटेंडेंस मेरा बनता रहा. साथ ही सचिवालय पुलिस को निर्देश दिया कि उन्हें सचिवालय आने से रोका जाए. उन्होंने कहा कि उसके बाद से ही सचिवालय आने के लिए अनुमति लेनी पड़ती है.