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बच्चों को मुफ्त शिक्षा देते हैं पूर्व DGP अभयानंद, बोले- IPS की नौकरी से ज्यादा मुझे पढ़ाना पसंद - नि:शुल्क शिक्षा दे रहे पूर्व डीजीपी अभयानंद

देशभर में डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन पर शिक्षक दिवस मनाया जाता है. वे सदैव अपने छात्रों को चुनौतियों से लड़ना सिखाते थे और उनको आगे बढ़ने में मदद करते थे. ऐसे ही एक शिक्षक हैं पूर्व डीजीपी अभयानंद, जो निःशुल्क बच्चों को पढ़ाते हैं.

पूर्व DGP अभयानंदw
पूर्व DGP अभयानंद
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Published : Sep 5, 2021, 7:46 PM IST

पटना: पूरा देश पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (Sarvepalli Radhakrishnan) के जन्म दिवस 5 सितंबर को शिक्षक दिवस (Teachers Day) के रूप में मनाता है. शिक्षक (Teachers) ही हमारे जीवन को सजाने और संवारने में बड़ी भूमिका निभाते हैं. वह हमारे जीवन में आने वाली चुनौतियों से लड़कर आगे बढ़ना सिखाते हैं. ऐसे ही बिहार के डीजीपी रह चुके पूर्व आईपीएस अधिकारी अभयानंद हैं.

अभयानंद रिटायरमेंट के बाद से छात्रों को मुफ्त में पढ़ाते हैं और इससे उन्हें काफी आनन्द की अनुभूति होती है. ईटीवी भारत से बात करते हुए उन्होंने बताया कि जब वह सरकारी सेवा में थे, उस दौरान भी समय निकालकर बच्चों को पढ़ाते थे.

देखें वीडियो

ये भी पढ़ें- 'संघ के सामने झुक गए हैं नीतीश कुमार, सिलेबस से महापुरुषों को बाहर करना इसका प्रमाण'

पूर्व डीजीपी ने कहा कि 11वीं और 12वीं के बच्चों को फिजिक्स और मैथ मेटिक्स पढ़ाने में बहुत आनंद आता है. आईपीएस ऑफिसर से ज्यादा उन्हें शिक्षक का कार्य पसंद है. पुलिस प्रशासन में सेवा देना उनका प्रोफेशन था, मगर बच्चों को बतौर शिक्षक शिक्षा देना उनका शुरू से पैशन रहा है.

उन्होंने कहा कि लंबे समय तक आईपीएस ऑफिसर रहे मगर इसके लिए गर्व नहीं है, क्योंकि इसके लिए उन्होंने तनख्वाह लिया. उन्होंने कहा कि बतौर शिक्षक काफी गर्व है, इस दौरान बहुत सारे असमर्थ बच्चों को निशुल्क शिक्षा देकर कामयाबी के रास्ते दिखाए हैं.

पूर्व आईपीएस ने बताया कि रिटायरमेंट के बाद से वह ढ़ाई से 3 घंटे बच्चों को पढ़ाने जाते हैं. हमारी कोशिश रहती है कि ऐसे गरीब बच्चे जो पढ़ना चाहते हैं. ऐसे बच्चों को पढ़ाते हैं. जब बच्चे कुछ सीखते हैं और सवाल करते हैं. इसके बाद खुद से ही उन सवालों का जवाब तैयार करते हैं, तो उन्हें बड़ा आनंद आता है.

ये भी पढ़ें- पानी पर पाठशालाः बाढ़ के कारण गांव में नहीं बची सूखी जमीन तो नाव पर ही लगी क्लास

शिक्षा के बाजार वाद पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि समाज में अभी भी बड़ी संख्या में ऐसे बच्चे हैं जो आर्थिक रूप से काफी कमजोर हैं. आर्थिक कमजोरी पढ़ाई में उनके लिए बाधा बनती है. कुदरत उन्हें बेहतरीन बुद्धि दी है. उन्होंने काफी ज्ञान अर्जित किया है, लेकिन उच्च शिक्षा के लिए उन्हें योग्यता और रूचि के अनुसार किस क्षेत्र में जाना चाहिए, इसके लिए उनके पास शिक्षक नहीं हैं. ऐसे बच्चों को वह निशुल्क पढ़ाते हैं और जब वह बच्चे आईआईटी और एनआईटी या अन्य किसी बड़े कॉलेज के लिए क्वालीफाई करते हैं तो उन्हें आनन्द की अनुभूति होती है और उनके माता-पिता की खुशीउन्हें जीवन जीने का मकसद देती है.

आईपीएस ऑफिसर रहने के बावजूद पूर्व डीजीपी अभयानंद छात्रों को सिविल सेवा की टिप्स नहीं देकर तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में जाने के लिए पढ़ाई कराते हैं. इस पर उन्होंने बताया कि इसका एकमात्र उद्देश्य है कि वह नहीं चाहते कि बच्चे अपना दिमाग कहीं गिरवी रख दें. जो बच्चे टैलेंटेड है उन्हें अपना दिमाग गिरवी नहीं रखना चाहिए और बंधकर गठबंधन में भी नहीं रखना चाहिए.

उन्होंने कहा कि सरकार की जो नौकरी होती है, चाहे वह आईएएस, आईपीएस या अन्य कोई नौकरी हो उसमें एक अनावश्यक गठबंधन होता है. जिसे चाह कर भी नहीं निकला जा सकता. बहुत सारे नियम होते हैं, जिन्हें आप तोड़ नहीं सकते और न ही छोड़कर जा सकते हैं. उन्होंने कहा कि इस दर्द को उन्होंने देखा है, जिया है और महसूस किया है. इसलिए वह नहीं चाहते कि जो टैलेंटेड और गरीब बच्चे हैं वह जॉब सीकर नहीं जॉब गीवर बने. प्राइवेट क्षेत्र में अपने मन मुताबिक कभी जॉब बदल सकते हैं.

ये भी पढ़ें- 20 शिक्षकों को किया सम्मानित, बोले मंत्री- 'समाज निर्माता के साथ हमारे रोल मॉडल भी हैं शिक्षक'

उन्होंने कहा कि वह शिक्षक दिवस के मौके पर छात्रों से अपील करेंगे कि ईश्वर ने आपको बहुत ही खूबसूरत बुद्धि दी है और यह आपकी है. कोई भी कुछ कह दे तो उसे नहीं मान लेना चाहिए और उसके अनुसार नहीं करना चाहिए. सभी तथ्यों पर गौर करना चाहिए और उसके अनुसार अपनी बुद्धि से सोचना चाहिए और फिर आपका दिमाग जो कुछ निर्णय लेने को कहे उस अनुसार कार्य करना चाहिए. जब ईश्वर ने आपको बुद्धि दी है कि आप एक नया कंप्यूटर बना सकते हैं, तो आप कंप्यूटर ऑपरेटर नहीं निर्माता बनिए.

पटना: पूरा देश पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (Sarvepalli Radhakrishnan) के जन्म दिवस 5 सितंबर को शिक्षक दिवस (Teachers Day) के रूप में मनाता है. शिक्षक (Teachers) ही हमारे जीवन को सजाने और संवारने में बड़ी भूमिका निभाते हैं. वह हमारे जीवन में आने वाली चुनौतियों से लड़कर आगे बढ़ना सिखाते हैं. ऐसे ही बिहार के डीजीपी रह चुके पूर्व आईपीएस अधिकारी अभयानंद हैं.

अभयानंद रिटायरमेंट के बाद से छात्रों को मुफ्त में पढ़ाते हैं और इससे उन्हें काफी आनन्द की अनुभूति होती है. ईटीवी भारत से बात करते हुए उन्होंने बताया कि जब वह सरकारी सेवा में थे, उस दौरान भी समय निकालकर बच्चों को पढ़ाते थे.

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पूर्व डीजीपी ने कहा कि 11वीं और 12वीं के बच्चों को फिजिक्स और मैथ मेटिक्स पढ़ाने में बहुत आनंद आता है. आईपीएस ऑफिसर से ज्यादा उन्हें शिक्षक का कार्य पसंद है. पुलिस प्रशासन में सेवा देना उनका प्रोफेशन था, मगर बच्चों को बतौर शिक्षक शिक्षा देना उनका शुरू से पैशन रहा है.

उन्होंने कहा कि लंबे समय तक आईपीएस ऑफिसर रहे मगर इसके लिए गर्व नहीं है, क्योंकि इसके लिए उन्होंने तनख्वाह लिया. उन्होंने कहा कि बतौर शिक्षक काफी गर्व है, इस दौरान बहुत सारे असमर्थ बच्चों को निशुल्क शिक्षा देकर कामयाबी के रास्ते दिखाए हैं.

पूर्व आईपीएस ने बताया कि रिटायरमेंट के बाद से वह ढ़ाई से 3 घंटे बच्चों को पढ़ाने जाते हैं. हमारी कोशिश रहती है कि ऐसे गरीब बच्चे जो पढ़ना चाहते हैं. ऐसे बच्चों को पढ़ाते हैं. जब बच्चे कुछ सीखते हैं और सवाल करते हैं. इसके बाद खुद से ही उन सवालों का जवाब तैयार करते हैं, तो उन्हें बड़ा आनंद आता है.

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शिक्षा के बाजार वाद पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि समाज में अभी भी बड़ी संख्या में ऐसे बच्चे हैं जो आर्थिक रूप से काफी कमजोर हैं. आर्थिक कमजोरी पढ़ाई में उनके लिए बाधा बनती है. कुदरत उन्हें बेहतरीन बुद्धि दी है. उन्होंने काफी ज्ञान अर्जित किया है, लेकिन उच्च शिक्षा के लिए उन्हें योग्यता और रूचि के अनुसार किस क्षेत्र में जाना चाहिए, इसके लिए उनके पास शिक्षक नहीं हैं. ऐसे बच्चों को वह निशुल्क पढ़ाते हैं और जब वह बच्चे आईआईटी और एनआईटी या अन्य किसी बड़े कॉलेज के लिए क्वालीफाई करते हैं तो उन्हें आनन्द की अनुभूति होती है और उनके माता-पिता की खुशीउन्हें जीवन जीने का मकसद देती है.

आईपीएस ऑफिसर रहने के बावजूद पूर्व डीजीपी अभयानंद छात्रों को सिविल सेवा की टिप्स नहीं देकर तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में जाने के लिए पढ़ाई कराते हैं. इस पर उन्होंने बताया कि इसका एकमात्र उद्देश्य है कि वह नहीं चाहते कि बच्चे अपना दिमाग कहीं गिरवी रख दें. जो बच्चे टैलेंटेड है उन्हें अपना दिमाग गिरवी नहीं रखना चाहिए और बंधकर गठबंधन में भी नहीं रखना चाहिए.

उन्होंने कहा कि सरकार की जो नौकरी होती है, चाहे वह आईएएस, आईपीएस या अन्य कोई नौकरी हो उसमें एक अनावश्यक गठबंधन होता है. जिसे चाह कर भी नहीं निकला जा सकता. बहुत सारे नियम होते हैं, जिन्हें आप तोड़ नहीं सकते और न ही छोड़कर जा सकते हैं. उन्होंने कहा कि इस दर्द को उन्होंने देखा है, जिया है और महसूस किया है. इसलिए वह नहीं चाहते कि जो टैलेंटेड और गरीब बच्चे हैं वह जॉब सीकर नहीं जॉब गीवर बने. प्राइवेट क्षेत्र में अपने मन मुताबिक कभी जॉब बदल सकते हैं.

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उन्होंने कहा कि वह शिक्षक दिवस के मौके पर छात्रों से अपील करेंगे कि ईश्वर ने आपको बहुत ही खूबसूरत बुद्धि दी है और यह आपकी है. कोई भी कुछ कह दे तो उसे नहीं मान लेना चाहिए और उसके अनुसार नहीं करना चाहिए. सभी तथ्यों पर गौर करना चाहिए और उसके अनुसार अपनी बुद्धि से सोचना चाहिए और फिर आपका दिमाग जो कुछ निर्णय लेने को कहे उस अनुसार कार्य करना चाहिए. जब ईश्वर ने आपको बुद्धि दी है कि आप एक नया कंप्यूटर बना सकते हैं, तो आप कंप्यूटर ऑपरेटर नहीं निर्माता बनिए.

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