पटना: कोरोना महामारी में चारों तरफ से राज्य की जनता कई तरह की समस्याओं की मार झेल रही है. पिछले दिनों जिस तरह से कोरोना से जुड़ी हुई दवाइयों की कालाबाजारी राज्य और पूरे देश ने देखा. अब खाद्य सामग्रियों के बढ़ते दाम जनता के लिए परेशानी का सबब बन गई है. खाद्य सामग्रियों के बढ़ते दामों को नियंत्रित करने के लिए आज केंद्र सरकार द्वारा राज्यों के साथ महत्वपूर्ण बैठक की गई. बैठक के बाद बिहार खाद्य आपूर्ति विभाग के सचिव विनय कुमार ने बताया कि सभी जिलों को कई तरह के निर्देश दिए गए हैं.
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'राज्य भर में रोजमर्रा और जरूरत वाले खाद्य सामग्रियों की बिक्री करने वाले व्यवसायियों पर विशेष निगरानी रखी जाएगी. उन्होंने कहा कि सभी को निर्देश दिया जा रहा है कि वह अपने गोदाम और दुकान के स्टॉक की जानकारी बोर्ड पर अंकित करें और साथ ही किस रेट में सामानों की बिक्री की जा रही है वह भी अंकित करना अनिवार्य होगा. 23 तरह के खाद्य सामग्रियों को अनिवार्य खाद्य सामग्री सेवा कानून के तहत रखा गया है. इसमें आटा, चावल, तेल, दाल, नमक, आलू, प्याज, दूध और अंडा सहित कई अति आवश्यक वस्तुएं हैं'. -विनय कुमार, बिहार खाद्य आपूर्ति विभाग के सचिव
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आवश्यक खाद्य सामग्रियों के मूल्यों पर निगरानी
विनय कुमार ने बताया कि पिछले कई महीनों से इन आवश्यक खाद्य सामग्रियों के मूल्यों पर निगरानी रखी जा रही है. अगर जरूरत पड़ी तो स्टॉक लिमिट भी लगाया जायेगा. कोई व्यापारी या दुकानदार तय सीमा के भीतर ही इन जरूरत की सामग्रियों का भंडारण कर सकेंगे. उन्होंने बताया कि अगर छापेमारी के दौरान दुकानदार या होलसेल मंडियों में बोर्ड पर अंकित भंडारण और वास्तविक भंडारण में किसी तरह की अनियमितता होगी तो अविलंब उस दुकानदार या व्यवसायी पर एफआईआर किया जाएगा.
खाद्य आपूर्ति विभाग के सचिव ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा कई तरह के दिशा निर्देश दिए गए हैं, जो जिलों को भेजे जा रहे हैं. किसी भी परिस्थिति में आवश्यक खाद्य सामग्रियों की कीमत बहुत अधिक ना हो इसके लिए काम किया जा रहा है.