पटना: बिहार में गंगा (Ganga) के साथ-साथ कई और नदियों के जलस्तर (Water Level of Rivers) में भी लगातार वृद्धि हो रही है. बिहार में वर्तमान में बाढ़ (Flood) से कुल 15 जिले प्रभावित हैं. जिनमें मुजफ्फरपुर, दरभंगा, खगड़िया, सहरसा, पटना, वैशाली, भोजपुर, लखीसराय, भागलपुर, सारण, बक्सर, बेगूसराय, कटिहार, मुंगेर और समस्तीपुर के 82 प्रखंडों के अंतर्गत कुल 484 पंचायत आंशिक और पूर्ण रूप से प्रभावित हैं.
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आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से मिल रही जानकारी के अनुसार कुल 1299 गांवों में लगभग 16.91 लाख लोग प्रभावित हैं, जिनमें से 1,34,063 लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया है. आपदा विभाग की ओर से 36 राहत शिविर चलाए जा रहे हैं. इन राहत शिविरों में आवासित बाढ़ पीड़ितों की संख्या 7608 है. वहीं, बाढ़ पीड़ितों के लिए 178 सामुदायिक रसोई का संचालन किया जा रहा है. इन सामुदायिक रसोई में सुबह और शाम 93,749 लोग भोजन कर रहे हैं.
वहीं, इन 15 जिलों में 1726 नावें चलाई जा रही हैं. इसके माध्यम से लोगों को सुरक्षित स्थलों पर पहुंचाया जा रहा है. बिहार में बाढ़ की वजह से अब तक 5 लोगों की मौत हुई है. बाढ़ प्रभावित जिलों में एनडीआरएफ (NDRF) की 8 और एसडीआरएफ (SDRF) की 9 टीमों को राहत एवं बचाव कार्य हेतु प्रतिनियुक्त किया गया है. इसके अतिरिक्त 4 एनडीआरएफ और 5 एसडीआरएफ की टीमों को अन्य बाढ़ प्रभावित जिलों में प्री-पोजिशन के लिए तैयार रखा गया है.
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आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से मिल रही जानकारी के अनुसार राज्य में आई बाढ़ के कारण विभिन्न जिलों में अब तक 1,22,721 पॉलिथीन शीट और 21,043 ड्राई राशन पैकेट का वितरण किया गया है. बाढ़ में हुई फसल क्षति का आकलन भी कराया जा रहा है. आकलन के बाद फसल क्षति हेतु किसानों को कृषि इनपुट अनुदान की राशि का भुगतान किया जाएगा. गंगा एवं अन्य नदियों के जलस्तर पर जल संसाधन विभाग के अभियंताओं के माध्यम से निगरानी रखी जा रही है.
गंगा में लगातार जलस्तर में हो रही वृद्धि को लेकर दियारा क्षेत्र में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है, जिसके बाद दियारा क्षेत्र के लोग अपने परिवार के साथ राजधानी पटना के विभिन्न घाटों के नजदीक हजारों की संख्या में पहुंच गए हैं. पटना के कलेक्ट्रेट घाट के पास डीएम कार्यालय से महज 100 मीटर की दूरी पर हजारों की संख्या में लोग अपने मवेशियों को लेकर जैसे तैसे रहने को मजबूर हैं.
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बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि राजधानी पटना में उनके लिए ना ही कम्युनिटी किचन की व्यवस्था की गई है और ना ही उनके जानवरों के लिए चारे की व्यवस्था है. ऐसे में सवाल उठता है कि जब पटना डीएम कार्यालय के महज 100 मीटर की दूरी पर ही बाढ़ पीड़ित परिवार भोजन से महरूम हैं तो दूसरी जगहों की बात करना मुनासिब नहीं.
एक तरफ जहां राज्य सरकार आपदा प्रबंधन विभाग और जिला अधिकारी के माध्यम से राहत शिविरों और कम्युनिटी किचन के माध्यम से लोगों को भोजन मुहैया करवा रही है और लोगों को रहने के लिए जगह की व्यवस्था करा रही है. वहीं, राजधानी पटना के सबसे पॉश इलाके से उन बाढ़ पीड़ितों को हटने का निर्देश दिया गया है. ऐसे में बाढ़ पीड़ित अपने परिवार को लेकर कहां जाएं? विपदा की इस घड़ी में बाढ़ पीड़ित परिवार खुद से ही चूड़ा और गुड़ खरीद कर खाने को मजबूर हैं.
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बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) ने सड़क मार्ग से आरा और सारण जिले के बाढ़ प्रभावित इलाकों (Flood Affected Areas) का जायजा लिया था. मुख्यमंत्री ने 11 अगस्त को भी पटना सहित कई स्थानों पर गंगा नदी के जलस्तर को जाकर देखा था. पहले सड़क मार्ग से, उसके बाद हवाई सर्वेक्षण कर परिस्थिति का जायजा लिया था. अधिकारियों के साथ बैठक कर सभी 12 जिलों के डीएम को अलर्ट रहने का निर्देश दिया था. पटना लौटने के बाद मुख्यमंत्री ने विभागीय अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की.