पटनाः बिहार में सरकारी स्कूल की छुट्टी को लेकर घमासान मचा है. बिहार सरकार के इस फरमान का खूब विरोध हो रहा है. दूसरी ओर सियासी बयानबाजी भी तेज हो गई है. राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने नीतीश सरकार के धर्मनिरपेक्षता पर सवाल उठाया है.
भाजपा हमलावरः शिक्षा विभाग के प्रमुख के सचिव केके पाठक के फैसले से विवाद खड़ा हो गया है. सरकारी स्कूलों में छुट्टियां को लेकर केके पाठक ने दो तरह के कैलेंडर जारी किए हैं. उर्दू स्कूलों के लिए अलग कैलेंडर जारी किया गया है जबकि हिंदी स्कूलों के लिए अलग कैलेंडर जारी हुआ है. दो तरह के कैलेंडर जारी किए जाने को लेकर भाजपा हमलावर है.
आजादी के बाद यह पहला वाकयाः भारतीय जनता पार्टी ने शिक्षा विभाग के फैसले को मुद्दा बना लिया है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष से लेकर तमाम बड़े नेताओं ने नीतीश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने दोनों तरह के कैलेंडर जारी किए जाने को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है. राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने कहा है कि आजादी के बाद पहली बार बिहार में ऐसा वाकया सामने आया है.
"आजादी के 75 वर्षों के बाद यह पहला मौका है जब बिहार सरकार ने हिंदी स्कूलों के लिए अलग और उर्दू स्कूलों के लिए अलग छुट्टी का कैलेंडर घोषित जारी किया है. क्या हिंदी स्कूल में मुसलमान और मुस्लिम स्कूल में हिंदू नहीं पढ़ते हैं. इसी अलगाव ने देश के अंदर विभाजन की स्थिति पैदा की थी. सरकार को यह बताना चाहिए कि हिंदू त्योहार के दौरान दी जाने वाली छुट्टियों में क्यों कटौती की गई है." -सुशील कुमार मोदी, राज्यसभा सांसद
क्या है मामलाः दरअसल, 28 नवंबर को बिहार शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूलों के लिए छुट्टी का कलेंडर जारी किया है. इसबार उर्दू स्कूल और सामान्य स्कूल के लिए अलग अलग कैलेंडर जारी किया गया है. इसको लेकर बिहार में विरोध हो रहा है. विपक्ष का आरोप है कि हिन्दूओं के त्योहार में छुट्टी में कटौती की गई है. इस तरह का नियम जारी होने के बाद सरकार पर सवाल उठने लगा है.
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