पटना: बिहार कांग्रेस प्रभारी बनने के बाद भक्त चरण दास की पहली बैठक काफी हंगामेदार रही. पार्टी मुख्यालय सदाकत आश्रम में बिहार कांग्रेस प्रभारी ने विधायकों, विधान पार्षदों, जिला अध्यक्ष समेत प्रमुख नेताओं की बैठक बुलाई थी. इस बैठक में कांग्रेस नेताओं का असंतोष कई बार तीखी नोक-झोंक के रूप में सामने आया.
दरअसल, पूर्व विधायक संजीव प्रसाद टोनी हो या बिहार महिला कांग्रेस अध्यक्ष अमिता भूषण, सभी लोगों ने नेतृत्व पर कई गंभीर सवाल खड़ा किए.
खरीद-फरोख्त का आरोप
संजीव कुमार टोनी ने बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान नेतृत्व पर ही सवाल खड़े कर दिये. उन्होंने कहा कि बिहार कांग्रेस को 70 सीटें मिली और महज 19 सीटें ही जीत पाई. इसका मुख्य कारण है कि बिना किसी से विचार किए ही टिकट का बंटवारा किया गया. संजीव कुमार सोनी ने टिकट खरीद-फरोख्त का भी आरोप प्रदेश नेतृत्व पर लगाया.
नेतृत्व पर सवाल
बिहार महिला कांग्रेस अध्यक्ष ने नए प्रभारी के सामने ही नेतृत्व पर ही सवाल खड़ा कर दिया. उन्होंने कहा कि पार्टी में महिला कार्यकर्ताओं को जगह नहीं दी गई. इसलिए हमारे साथ आज महिलाएं नहीं है. तो वहीं राष्ट्रीय प्रवक्ता और कांग्रेस के एमएलसी प्रेमचंद मिश्रा ने अपना विरोध मंच पर नहीं बैठ कर जताया. इतना ही नहीं समीक्षा बैठक में विरोध को देखते हुए बैठक के अंदर पुलिस को भी बुलाना पड़ा.
'नहीं हुआ विरोध'
कांग्रेस की बैठक के दौरान हुए हंगामे को लेकर कांग्रेस प्रभारी भक्त चरणदास से ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा कि किसी तरह का कोई विरोध बैठक के दौरान नहीं हुआ है. बैठक के दौरान जब सवाल जवाब ही नहीं होगा, तो बैठक का क्या महत्व है.
क्या कहते हैं मदन मोहन झा
बैठक के दौरान हुए हंगामे पर कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा ने कहा कि बैठक के दौरान जब सवाल-जवाब ही नहीं हो, तो बैठने का क्या महत्व बनता है. सवाल-जवाब को हम विरोध नहीं कह सकते हैं. हालांकि उन्होंने कहा कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ आज बैठक बुलाई गई थी, इसमें कुछ बाहर के लोग आ गए थे, जिस वजह से ऐसी नौबत आई है.