ETV Bharat / state

'हम चूहा-घोंघा खाते हैं हमको कोरोना नहीं होगा, मर जाएंगे वैक्सीन नहीं लगवाएंगे

कोरोना वैक्सीन लेने के लिए सरकार लगातार लोगों को जागरुक कर रही है. लेकिन पटना के दलित बस्ती में इसका कोई असर नहीं दिख रहा है. बिहार में दलितों की बस्तियों में वैक्सीन (Pana Corona Vaccine) को लेकर कई तरह की अफवाह है. क्या कह रहे हैं दलित देखिए ईटीवी संवाददाता की ये रिपोर्ट...

Pana Corona Vaccine
Pana Corona Vaccine
author img

By

Published : Jun 14, 2021, 10:10 PM IST

Updated : Jun 14, 2021, 10:54 PM IST

पटना: कोरोना(Corona) से लड़ा नहीं जा सकता है, सिर्फ इससे बचा जा सकता है. और बचने का सबसे बड़ा ढाल वैक्सीन है. लोगों को वैक्सीन देने के लिए सरकार युद्धस्तर पर प्रयास कर रही है. लेकिन बिहार में एक वर्ग ऐसा है, जो वैक्सीन लेने को तैयार नहीं है. बेली रोड स्थित जगदेव पथ के पास बसे मुसहर टोला के लोगों ने आज तक वैक्सीन नहीं ली है.

यह भी पढ़ें- Corona Vaccination: पाटलिपुत्र स्पोर्ट्स कॉपलेक्स में 24X7 वैक्सीनेशन का शुभारंभ

अज्ञानता और अफवाह मुख्य कारण
दलितों की स्थिति सबसे कमजोर है. गरीबी और लाचारी ऐसी कि यह अक्सर चूहा, घोंघा सितुआ खाकर ही जिंदगी काटते हैं. पटना में ईटीवी भारत संवाददाता अरविंद राठौर ने जगदेव स्थित उनके घर जाकर उनसे बात की. बातचीत के दौरान इन लोगों ने बताया कि वैक्सीन लेते ही मौत हो जाती है. और व्यक्ति बीमार भी रहता है. इनकी बातों से वैक्सीनेशन को लेकर इनकी अज्ञानता साफ देखने को मिली.

देखें वीडियो

वैक्सीन लेने को नहीं तैयार
कोरोना संक्रमण के प्रकोप को रोकने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार मिलकर युद्धस्तर पर कोरोना वैक्सीनेशन का कार्य कर रही है ,ताकि लोगों को बचाया जा सके. साथ ही लोगों से अपील भी सरकार कर रही है कि लोग कोरोना का टीका लगवाएं. दूसरी तरफ इस संक्रमण काल में इनकी मौत की सूचना अभी तक सामने नहीं आई है. लेकिन चिंता की बात यह है कि यह समाज वैक्सिंग लेने को तैयार ही नहीं है.

Pana Corona Vaccine
टिंकू कुमार, मुसहर टोला निवासी

बेली रोड स्थित जगदेव पथ के पास बसे मुसहरी टोला लालू राबड़ी शासनकाल में विकसित किया गया था. हालांकि इस टोले का इन दिनों जर्जर हाल है. इस मुसहरी टोला में ना तो पानी की व्यवस्था ठीक है और ना ही शौचालय की. लेकिन इस स्लम बस्ती में लोगों के घर टीवी, फ्रिज लगे हैं.

'हम मर जाएंगे, लेकिन कोरोना का टीका नहीं लेंगे. यदि हम टीका लेते हैं और अगर कुछ हो जाता है तो हमारे बच्चों को कौन देखेगा. इसलिए हम टीका किसी भी सूरत में नहीं लेंगे.'- पार्वती देवी

Pana Corona Vaccine
पार्वती देवी, मुसहर टोला निवासी

क्या कहना है महिलाओं का...
वैक्सीनेशन को लेकर बातचीत में महिलाएं कहती हैं कि हमलोग नमक रोटी खा लेंगे. लेकिन वैक्सीन नहीं लेंगे, इन दलित महिलाओं का कहना है कि पूरे भारत में अभी तक हमारे समाज के लोगों को कोरोना की बीमारी नहीं हुई है. और ना ही लोगों की अभी तक मौत हुई है. साथ ही इनका कहना है कि बड़े लोगों को बढ़िया वाला सुई लगाया जा रहा है. वैसी सुई हमलोगों को नहीं लगाई जाएगी.

Pana Corona Vaccine
आशा देवी, मुसहर टोला निवासी

'हम लोग अपने आप में कोरोना है. यह बीमारी हमें नहीं हो सकती. हम लोग चूहा,घोंघा सितुआ खाकर ही ठीक रहते हैं. यह बीमारी हमें कभी नहीं हो सकती या फिर हमारे समाज के लोगों को भी नहीं होगी. हम लोग एसी में नहीं रहते हैं. एसी में रहने वाले लोगों को यह बीमारी होती है.'- आशा देवी

पद्मश्री सुधा वर्गीज भी इस रवैये से हैरान
दलितों के लिए पिछले 35 सालों से बिहार के विभिन्न जिलों में काम कर रही सुधा वर्गीज से ईटीवी भारत के संवाददाता ने फोन से बात की तो वो भी इस रवैया से हैरान हैं. वे कहती हैं कि अभी तक किसी मुसहर को कोरोना संक्रमण होते हुए उन्होंने नहीं देखा है. लेकिन वे यह भी कहती हैं कि कोरोना खतरनाक बीमारी है. फिर भी मुसहर समाज वैक्सीन लेने को तैयार नहीं है.

वर्गीज बताती हैं कि दलितों के लिए अभी तक 200 गांव से अधिक जगहों पर वो एक्टिव हैं. सभी जगह यही स्थिति है. ये समाज वैक्सीन के लिए तैयार ही नहीं हैं. साथ ही ये लोग इस संक्रमण काल में ना मास्क लगाते हैं, और ना ही कोई सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी करते हैं, ना हाथ धोते हैं.

उनका मानना है कि वो चूहा, मेंढक, सितुहा घोंघा जैसे नॉनवेज खाते हैं इसलिए इन्हें यह बीमारी नही हो सकती. वर्गीज बताती है कि इन सभी में इम्यूनिटी बढ़ाने की क्षमता खूब है. यह जाति अंदर से मजबूत है. कई बस्तियों में लोगों को जागरूक करने की कोशिश की गई लेकिन लोग कहते हैं कि छोड़िए दीदी कोई और बात कीजिए टीका नहीं लगाएंगे. पद्मश्री सुधा वर्गीज बताती है कि सरकार को इन समाजों के लोगों के बीच जागरूकता लानी होगी तभी शायद ये लोग टीका लगवाएंं.

बिहार में 21 लाख से अधिक आबादी
बता दें कि बिहार में एसटी की आबादी बिहार महादलित विकास मिशन के आंकड़े के अनुसार कुल 21.25 लाख हैं. इनमें पूर्वी-पश्चिमी चंपारण ,मधुबनी, कटिहार, नवादा ,गया, पटना आदि जिले सहित सिर्फ गया में 5.68 लाख की आबादी है. जिन्हें यहां भुइयां बोलते हैं. वहीं पटना में 3 लाख से अधिक आबादी है. नवादा में करीब 1.20 लाख की आबादी है. इसी तरह हर जगह इसी श्रेणी में महादलितों की आबादी है.

सरकार की ओर से कोरोना वैक्सीन के प्रति लोगों को जागरुक किया जाता है. इसके लिए जागरुगता अभियान भी चलाया जा रहा है. लेकिन इन तमाम चीजों का इस दलित बस्ती पर असर होता नहीं दिख रहा. ऐसे में जरूरत है नुक्कड़ नाटक या अन्य माध्यमों से इन लोगों को जागरुक करने की ताकि कोरोना से जंग की राह आसान हो सके.

पटना: कोरोना(Corona) से लड़ा नहीं जा सकता है, सिर्फ इससे बचा जा सकता है. और बचने का सबसे बड़ा ढाल वैक्सीन है. लोगों को वैक्सीन देने के लिए सरकार युद्धस्तर पर प्रयास कर रही है. लेकिन बिहार में एक वर्ग ऐसा है, जो वैक्सीन लेने को तैयार नहीं है. बेली रोड स्थित जगदेव पथ के पास बसे मुसहर टोला के लोगों ने आज तक वैक्सीन नहीं ली है.

यह भी पढ़ें- Corona Vaccination: पाटलिपुत्र स्पोर्ट्स कॉपलेक्स में 24X7 वैक्सीनेशन का शुभारंभ

अज्ञानता और अफवाह मुख्य कारण
दलितों की स्थिति सबसे कमजोर है. गरीबी और लाचारी ऐसी कि यह अक्सर चूहा, घोंघा सितुआ खाकर ही जिंदगी काटते हैं. पटना में ईटीवी भारत संवाददाता अरविंद राठौर ने जगदेव स्थित उनके घर जाकर उनसे बात की. बातचीत के दौरान इन लोगों ने बताया कि वैक्सीन लेते ही मौत हो जाती है. और व्यक्ति बीमार भी रहता है. इनकी बातों से वैक्सीनेशन को लेकर इनकी अज्ञानता साफ देखने को मिली.

देखें वीडियो

वैक्सीन लेने को नहीं तैयार
कोरोना संक्रमण के प्रकोप को रोकने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार मिलकर युद्धस्तर पर कोरोना वैक्सीनेशन का कार्य कर रही है ,ताकि लोगों को बचाया जा सके. साथ ही लोगों से अपील भी सरकार कर रही है कि लोग कोरोना का टीका लगवाएं. दूसरी तरफ इस संक्रमण काल में इनकी मौत की सूचना अभी तक सामने नहीं आई है. लेकिन चिंता की बात यह है कि यह समाज वैक्सिंग लेने को तैयार ही नहीं है.

Pana Corona Vaccine
टिंकू कुमार, मुसहर टोला निवासी

बेली रोड स्थित जगदेव पथ के पास बसे मुसहरी टोला लालू राबड़ी शासनकाल में विकसित किया गया था. हालांकि इस टोले का इन दिनों जर्जर हाल है. इस मुसहरी टोला में ना तो पानी की व्यवस्था ठीक है और ना ही शौचालय की. लेकिन इस स्लम बस्ती में लोगों के घर टीवी, फ्रिज लगे हैं.

'हम मर जाएंगे, लेकिन कोरोना का टीका नहीं लेंगे. यदि हम टीका लेते हैं और अगर कुछ हो जाता है तो हमारे बच्चों को कौन देखेगा. इसलिए हम टीका किसी भी सूरत में नहीं लेंगे.'- पार्वती देवी

Pana Corona Vaccine
पार्वती देवी, मुसहर टोला निवासी

क्या कहना है महिलाओं का...
वैक्सीनेशन को लेकर बातचीत में महिलाएं कहती हैं कि हमलोग नमक रोटी खा लेंगे. लेकिन वैक्सीन नहीं लेंगे, इन दलित महिलाओं का कहना है कि पूरे भारत में अभी तक हमारे समाज के लोगों को कोरोना की बीमारी नहीं हुई है. और ना ही लोगों की अभी तक मौत हुई है. साथ ही इनका कहना है कि बड़े लोगों को बढ़िया वाला सुई लगाया जा रहा है. वैसी सुई हमलोगों को नहीं लगाई जाएगी.

Pana Corona Vaccine
आशा देवी, मुसहर टोला निवासी

'हम लोग अपने आप में कोरोना है. यह बीमारी हमें नहीं हो सकती. हम लोग चूहा,घोंघा सितुआ खाकर ही ठीक रहते हैं. यह बीमारी हमें कभी नहीं हो सकती या फिर हमारे समाज के लोगों को भी नहीं होगी. हम लोग एसी में नहीं रहते हैं. एसी में रहने वाले लोगों को यह बीमारी होती है.'- आशा देवी

पद्मश्री सुधा वर्गीज भी इस रवैये से हैरान
दलितों के लिए पिछले 35 सालों से बिहार के विभिन्न जिलों में काम कर रही सुधा वर्गीज से ईटीवी भारत के संवाददाता ने फोन से बात की तो वो भी इस रवैया से हैरान हैं. वे कहती हैं कि अभी तक किसी मुसहर को कोरोना संक्रमण होते हुए उन्होंने नहीं देखा है. लेकिन वे यह भी कहती हैं कि कोरोना खतरनाक बीमारी है. फिर भी मुसहर समाज वैक्सीन लेने को तैयार नहीं है.

वर्गीज बताती हैं कि दलितों के लिए अभी तक 200 गांव से अधिक जगहों पर वो एक्टिव हैं. सभी जगह यही स्थिति है. ये समाज वैक्सीन के लिए तैयार ही नहीं हैं. साथ ही ये लोग इस संक्रमण काल में ना मास्क लगाते हैं, और ना ही कोई सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी करते हैं, ना हाथ धोते हैं.

उनका मानना है कि वो चूहा, मेंढक, सितुहा घोंघा जैसे नॉनवेज खाते हैं इसलिए इन्हें यह बीमारी नही हो सकती. वर्गीज बताती है कि इन सभी में इम्यूनिटी बढ़ाने की क्षमता खूब है. यह जाति अंदर से मजबूत है. कई बस्तियों में लोगों को जागरूक करने की कोशिश की गई लेकिन लोग कहते हैं कि छोड़िए दीदी कोई और बात कीजिए टीका नहीं लगाएंगे. पद्मश्री सुधा वर्गीज बताती है कि सरकार को इन समाजों के लोगों के बीच जागरूकता लानी होगी तभी शायद ये लोग टीका लगवाएंं.

बिहार में 21 लाख से अधिक आबादी
बता दें कि बिहार में एसटी की आबादी बिहार महादलित विकास मिशन के आंकड़े के अनुसार कुल 21.25 लाख हैं. इनमें पूर्वी-पश्चिमी चंपारण ,मधुबनी, कटिहार, नवादा ,गया, पटना आदि जिले सहित सिर्फ गया में 5.68 लाख की आबादी है. जिन्हें यहां भुइयां बोलते हैं. वहीं पटना में 3 लाख से अधिक आबादी है. नवादा में करीब 1.20 लाख की आबादी है. इसी तरह हर जगह इसी श्रेणी में महादलितों की आबादी है.

सरकार की ओर से कोरोना वैक्सीन के प्रति लोगों को जागरुक किया जाता है. इसके लिए जागरुगता अभियान भी चलाया जा रहा है. लेकिन इन तमाम चीजों का इस दलित बस्ती पर असर होता नहीं दिख रहा. ऐसे में जरूरत है नुक्कड़ नाटक या अन्य माध्यमों से इन लोगों को जागरुक करने की ताकि कोरोना से जंग की राह आसान हो सके.

Last Updated : Jun 14, 2021, 10:54 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.