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कृषि कानून के खिलाफ आज पटना में किसानों का राजभवन मार्च - Farmers Raj Bhavan march

कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन का आज 34वां दिन है. सरकार और किसानों के बीच बुधवार को 7वें दौर की बातचीत होनी है. किसानों ने सरकार को 29 दिसंबर की तारीख दी थी, लेकिन सरकार की तरफ से 30 दिसंबर का न्योता मिला.

कृषि कानूनों के खिलाफ राजभवन मार्च
कृषि कानूनों के खिलाफ राजभवन मार्च
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Published : Dec 29, 2020, 10:46 AM IST

Updated : Dec 29, 2020, 10:54 AM IST

पटना: दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में मंगलवार को अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के बैनर तले बिहार के विभिन्न जिलों से एकत्रित होकर किसान 'राजभवन मार्च' करेंगें और राज्यपाल को ज्ञापन सौंपेंगे.

अखिल भारतीय किसान महासभा के बिहार प्रदेश सचिव रामाधार सिंह ने बताया कि, किसान महासभा के साथ-साथ अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के सभी सदस्य संगठनों ने मंगलवार के राजभवन मार्च में अपनी पूरी शक्ति लगा दी है.

राजभवन मार्च में बटाईदार किसानों का भी बड़ा हिस्सा शामिल होगा. पूर्णिया, अररिया, सीमांचल के अन्य जिलों, चंपारण, सीवान, गोपालगंज सहित कई जिलों के किसान सोमवार को ही पटना की ओर निकल चुके हैं - रामाधार सिंह, बिहार प्रदेश सचिव, अखिल भारतीय किसान महासभा

पटना के गांधी मैदान से मार्च
उन्होंने कहा कि, मार्च में अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के बिहार, झारखंड के प्रभारी और पूर्व विधायक राजाराम सिंह, पंजाब के किसान आंदोलन के नेता जगमोहन सिंह, बिहार राज्य किसान सभा के महासचिव अशोक कुमार सिंह, ललन चौधरी सहित कई नेता भाग लेंगे. पटना के गांधी मैदान के गेट नंबर 10 से दोपहर 12 बजे राजभवन मार्च प्रारंभ होगा.

'भगत सिंह का पंजाब और स्वामी सहजानंद की किसान आंदोलन की धरती बिहार में किसानों की एकता कायम होने लगी है, इससे भाजपाई बेहद डरे हुए हैं. आजादी के बाद भी बिहार मजबूत किसान आंदोलनों की गवाह रहा है.' - किसान नेता

किसान आंदोलन ने इतिहास में एक नई मिसाल कायम
नेताओं ने कहा, "70-80 के दशक में भोजपुर और तत्कालीन मध्य बिहार के किसान आंदोलन ने इतिहास में एक नई मिसाल कायम की है. अब एक बार नए सिरे से बिहार के छोटे-मंझोले-बटाईदार समेत सभी किसान आंदोलित हैं. 29 दिसंबर के राजभवन मार्च से भाजपा के इस झूठ का पूरी तरह पर्दाफाश हो जाएगा कि बिहार के किसानों में इन तीन काले कानूनों में किसी भी प्रकार का गुस्सा है ही नहीं."

पटना: दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में मंगलवार को अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के बैनर तले बिहार के विभिन्न जिलों से एकत्रित होकर किसान 'राजभवन मार्च' करेंगें और राज्यपाल को ज्ञापन सौंपेंगे.

अखिल भारतीय किसान महासभा के बिहार प्रदेश सचिव रामाधार सिंह ने बताया कि, किसान महासभा के साथ-साथ अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के सभी सदस्य संगठनों ने मंगलवार के राजभवन मार्च में अपनी पूरी शक्ति लगा दी है.

राजभवन मार्च में बटाईदार किसानों का भी बड़ा हिस्सा शामिल होगा. पूर्णिया, अररिया, सीमांचल के अन्य जिलों, चंपारण, सीवान, गोपालगंज सहित कई जिलों के किसान सोमवार को ही पटना की ओर निकल चुके हैं - रामाधार सिंह, बिहार प्रदेश सचिव, अखिल भारतीय किसान महासभा

पटना के गांधी मैदान से मार्च
उन्होंने कहा कि, मार्च में अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के बिहार, झारखंड के प्रभारी और पूर्व विधायक राजाराम सिंह, पंजाब के किसान आंदोलन के नेता जगमोहन सिंह, बिहार राज्य किसान सभा के महासचिव अशोक कुमार सिंह, ललन चौधरी सहित कई नेता भाग लेंगे. पटना के गांधी मैदान के गेट नंबर 10 से दोपहर 12 बजे राजभवन मार्च प्रारंभ होगा.

'भगत सिंह का पंजाब और स्वामी सहजानंद की किसान आंदोलन की धरती बिहार में किसानों की एकता कायम होने लगी है, इससे भाजपाई बेहद डरे हुए हैं. आजादी के बाद भी बिहार मजबूत किसान आंदोलनों की गवाह रहा है.' - किसान नेता

किसान आंदोलन ने इतिहास में एक नई मिसाल कायम
नेताओं ने कहा, "70-80 के दशक में भोजपुर और तत्कालीन मध्य बिहार के किसान आंदोलन ने इतिहास में एक नई मिसाल कायम की है. अब एक बार नए सिरे से बिहार के छोटे-मंझोले-बटाईदार समेत सभी किसान आंदोलित हैं. 29 दिसंबर के राजभवन मार्च से भाजपा के इस झूठ का पूरी तरह पर्दाफाश हो जाएगा कि बिहार के किसानों में इन तीन काले कानूनों में किसी भी प्रकार का गुस्सा है ही नहीं."

Last Updated : Dec 29, 2020, 10:54 AM IST
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