पटना: आम बजट 2022 (Union Budget 2022) के दौरान केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किसानों के लिए कई अहम घोषणाएं कीं. इस दौरान उन्होंने जैविक खेती को बढ़ावा (Government Encourages Organic Farming) देने की बात कही. उन्होंने कहा कि पहले चरण में गंगा किनारे के किसानों की जमीन 5 किलोमीटर के कोरिडोर को चुना जाएगा. हालांकि बिहार में पहले से ही कई किसान अपने स्तर से ऑर्गेनिक खेती (Organic Farming) करते हैं. पटना के राजापुर दुजरा के रहने वाले रंजीत कुमार भी ऐसे ही सफल किसान हैं, जो जैविक खेती को अपनाकर अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं.
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रंजीत आईटीआई करने के बाद प्राइवेट जॉब करते थे लेकिन बाद में नौकरी छोड़कर खेती-किसानी को अपना लिया. वे पिछले दो सालों से गंगा के तटीय इलाके में 1 बीघा में जैविक खेती कर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं. पहले जहां नौकरी से घर-परिवार को चलाना भी मुश्किल हो रहा था, वहीं अब ऑर्गेनिक खेती के जरिए लाखों की कमाई कर रहे हैं. वे इससे काफी संतुष्ट भी हैं. रंजीत कहते हैं कि जैविक खेती अगर सही तरीके से किया जाए तो इसमें काफी अच्छा स्कोप है. वे खेतों में सालों भर मौसम के अनुसार साग-सब्जी उगाते हैं. अभी उनके खेतों में कद्दू, नेनुआ, मटर और धनिया समेत अन्य सब्जियां लगी हुई है.
ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान रंजीत ने बताया कि उनके पूर्वज भी खेती करते थे. हालांकि उन्होंने पारंपरिक खेती की बजाय जैविक खेती को अपनाया, क्योंकि इससे न केवल आमदनी अच्छी होती है बल्कि यह पर्यावरण के लिहाज से भी बेहतर है. वे कहते हैं कि जैविक खेती में भूमि भी हरी-भरी रहती है और जो सब्जी निकलती है, वह लोगों की सेहत के लिए भी फायदेमंद होती है.
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बता दें कि भारत में 2005 में जैविक कृषि नीति की शुरुआत हुई थी. केंद्र सरकार की ओर से गंगा को प्रदूषण से मुक्ति के लिए 2016 में राष्ट्रीय गंगा परिषद अंतर्गत, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में गंगा तट के दोनों ओर 5 किमी के इलाके में जैविक समूहों को बढ़ावा देने के मकसद से कोशिशें शुरू की थी, जो अब धीरे-धीरे सफल होती दिख रही है. वहीं, बिहार में 2018 में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए जैविक कॉरिडोर का निर्माण कराया गया. जिसमें पटना, भागलपुर, नालंदा और लखीसराय जिले के इलाकों में विकास योजना अंतर्गत कॉरिडोर का निर्माण कराया गया है.
राज्य में 20000 जैविक खेती के गलियारे हैं और लगभग 22000 से अधिक किसान जैविक खेती कर रहे हैं. बिहार में साल 2015 में 247 एकड़ में जैविक खेती की गई. 2016 में 91, 2017 में 679, 2018 में 675, 2019 में 3515, 2020 में 22712 और पिछले वर्ष 2021 में लगभग 22 हजार एकड़ में ऑर्गेनिक खेती हुई. मतलब साफ है कि साल दर साल जैविक खेती का दायरा बढ़ता जा रहा है. बिहार में जैविक खेती के कई सारे गलियारे हैं. जिनमें लगभग 20,000 एकड़ जमीन पर 22,000 से अधिक किसान जैविक खेती में लगे हुए हैं. राजधानी पटना में सड़क पर सब्जियां बेचने वाले विक्रेताओं के पास भी ताजा जैविक उत्पाद उपलब्ध हैं. यह सफल जमीनी अनुभव है.
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वहीं, कृषि विशेषज्ञ पीके द्विवेदी इस बारे में कहते हैं कि गंगा किनारे ऑर्गेनिक खेती के लिए कॉरिडोर बनाने का वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का कदम सराहनीय है. ऑर्गेनिक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना समय की जरूरत है. इससे लोगों को गुणवत्ता वाला भोजन मिलेगा और किसानों की आय में वृद्धि होगी. हालांकि ऑर्गेनिक खेती करने से ऐसा नहीं है कि तुरंत किसानों की आय बढ़ जाएगी लेकिन धीरे-धीरे इसमें बढ़ोतरी जरूर होगी. वे कहते हैं कि केंद्र के इस फैसले से बिहार को खासतौर पर काफी फायदा मिलेगा, क्योंकि बिहार के बहुत सारे ऐसे किसान हैं जो जैविक खेती कर रहे हैं.
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