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रोड एक्सीडेंट में खोई आंख की रोशनी, एलोपैथी से हुआ निराश तो आयुर्वेद ने दिखाई 'दुनिया'

पटना के राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय अस्पताल के डॉक्टरों ने एक बड़ी कामयाबी हासिल की है. सड़क हादसे में आंख की रोशनी खोए एक युवक का करीब एक महीने के इलाज में रोशनी वापस लौट आई है. इसके बाद ठीक हुए युवक के साथ महाविद्यालय के डॉक्टरों का हौसला सातवें आसमान पर है.

वापस लौटी रोशनी
वापस लौटी रोशनी
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Published : Aug 3, 2021, 10:58 PM IST

पटनाः पटना के कदमकुंआ स्थित राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय अस्पताल (Government Ayurveda College Hospital) ने एक 19 साल के लड़के को दुनिया दिखलाई है. अस्पताल के लिए आयुर्वेद (Ayurveda) के क्षेत्र में यह बड़ी उपलब्धि है. अस्पताल के डॉक्टरों ने पंचकर्म और क्रियाकल्प विधि से इलाज कर रोहतास निवासी सूरज कुमार की आंख की रोशनी वापस लाई है.

इसे भी पढ़ें- आयुर्वेद पर बढ़ा भरोसा: 5000 साल पुरानी 'धूपन विधि' से फंगस और बैक्टीरिया का खात्मा

एलौपैथी से थक हार चुके सूरज अपनी आंख की रोशनी वापस लौटने से काफी खुश है. अस्पताल के सभी चिकित्सक भी काफी उत्साहित हैं. अस्पताल की इस सफलता के बाद नेत्र की समस्या से जूझ रहे काफी लोगों के फोन कॉल प्रतिदिन आयुर्वेद अस्पताल में आने शुरू हो गए हैं.

सोनू ने बताया कैसे लौटी आंख की रोशनी

"एक्सीडेंट होने के बाद बाई आंख की रोशनी पूरी तरह से चली गई थी. जिसके बाद कई नेत्र चिकित्सकों को दिखाया. देशभर के कई अस्पतालों में इलाज करवाया, लेकिन सभी जगह चिकित्सकों ने यह कहकर नकार दिया कि अब रोशनी वापस नहीं लौट सकती. लेकिन यू-ट्यूब पर देखकर हमे इस कॉलेज के बारे में जानकारी मिली. जिसके बाद यहां के डॉक्टरों ने इनडोर ट्रीटमेंट की बात कही और हमें इलाज के लिए अस्पताल में एडमिट किया. करीब एक महीने के इलाज के बाद आज हमारी आंख की रोशनी वापस लौट गई है. हम काफी खुश हैं."- सूरज कुमार, ठीक हुआ मरीज

"एलोपैथिक चिकित्सकों से काफी दिखलाने और मॉडर्न मेडिसिन के कई केंद्रों पर इलाज करा चुका सूरज निराश हो चुका था. अस्पताल के शर्तों पर जब वह राजी हो गया तो करीब एक महीने तक उसका इलाज चला. 15 दिनों तक पंचकर्म थेरेपी हुआ. पंचकर्म थेरेपी में उसका स्नेहन, स्वेदन और विरेचन कराया गया. इसके बाद उसे शालाक्य विभाग में रेफर कर दिया गया. वहां वरिष्ठ चिकित्सकों ने बच्चे का क्रियाकल्प विधि से ट्रीटमेंट किया, जिसमें तर्पण इत्यादि कई कार्य किए जाते हैं. इसके बाद जो लाभ मिला वह अचंभित करने वाला रहा और बच्चे के आंख की खोई रोशनी पूरी तरह से वापस आ गई. इस ट्रीटमेंट के बाद अस्पताल के सभी चिकित्सक उत्साहित हैं और सभी का आत्मबल काफी बढ़ा हुआ है."- डॉक्टर दिनेश्वर प्रसाद, प्राचार्य आयुर्वेद महाविद्यालय

देखें वीडियो

आयुर्वेद महाविद्यालय को मिली इस सफलता के बाद काफी संख्या में लोगों के फोन कॉल उनके पास आ रहे हैं. लोग अपनी नेत्र की समस्या के बारे में बता रहे हैं. उन्हें केन्द्र पर आकर इलाज कराने की बात कही जा रही है. उन्होंने कहा कि आयुर्वेद महाविद्यालय में पीजी की पढ़ाई शुरू करने के बाद वह स्पेशलाइज चिकित्सा के तरफ आगे बढ़ रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- कोरोना: इलाज के लिए आयुर्वेद बनाम एलोपैथी पर विवाद गलत, जानें कितना प्रभावी है आयुर्वेदिक इलाज

हाल के दिनों में आयुर्वेद अस्पताल द्वारा कई असाध्य और कष्ट साध्य रोगों को ठीक किया गया है. मरीज मॉडर्न मेडिसिन में दिखा कर थक हार गए थे और सबसे अंत में आयुर्वेद में पहुंचे थे, जहां से उन्हें ठीक करके भेजा गया है.

पटनाः पटना के कदमकुंआ स्थित राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय अस्पताल (Government Ayurveda College Hospital) ने एक 19 साल के लड़के को दुनिया दिखलाई है. अस्पताल के लिए आयुर्वेद (Ayurveda) के क्षेत्र में यह बड़ी उपलब्धि है. अस्पताल के डॉक्टरों ने पंचकर्म और क्रियाकल्प विधि से इलाज कर रोहतास निवासी सूरज कुमार की आंख की रोशनी वापस लाई है.

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एलौपैथी से थक हार चुके सूरज अपनी आंख की रोशनी वापस लौटने से काफी खुश है. अस्पताल के सभी चिकित्सक भी काफी उत्साहित हैं. अस्पताल की इस सफलता के बाद नेत्र की समस्या से जूझ रहे काफी लोगों के फोन कॉल प्रतिदिन आयुर्वेद अस्पताल में आने शुरू हो गए हैं.

सोनू ने बताया कैसे लौटी आंख की रोशनी

"एक्सीडेंट होने के बाद बाई आंख की रोशनी पूरी तरह से चली गई थी. जिसके बाद कई नेत्र चिकित्सकों को दिखाया. देशभर के कई अस्पतालों में इलाज करवाया, लेकिन सभी जगह चिकित्सकों ने यह कहकर नकार दिया कि अब रोशनी वापस नहीं लौट सकती. लेकिन यू-ट्यूब पर देखकर हमे इस कॉलेज के बारे में जानकारी मिली. जिसके बाद यहां के डॉक्टरों ने इनडोर ट्रीटमेंट की बात कही और हमें इलाज के लिए अस्पताल में एडमिट किया. करीब एक महीने के इलाज के बाद आज हमारी आंख की रोशनी वापस लौट गई है. हम काफी खुश हैं."- सूरज कुमार, ठीक हुआ मरीज

"एलोपैथिक चिकित्सकों से काफी दिखलाने और मॉडर्न मेडिसिन के कई केंद्रों पर इलाज करा चुका सूरज निराश हो चुका था. अस्पताल के शर्तों पर जब वह राजी हो गया तो करीब एक महीने तक उसका इलाज चला. 15 दिनों तक पंचकर्म थेरेपी हुआ. पंचकर्म थेरेपी में उसका स्नेहन, स्वेदन और विरेचन कराया गया. इसके बाद उसे शालाक्य विभाग में रेफर कर दिया गया. वहां वरिष्ठ चिकित्सकों ने बच्चे का क्रियाकल्प विधि से ट्रीटमेंट किया, जिसमें तर्पण इत्यादि कई कार्य किए जाते हैं. इसके बाद जो लाभ मिला वह अचंभित करने वाला रहा और बच्चे के आंख की खोई रोशनी पूरी तरह से वापस आ गई. इस ट्रीटमेंट के बाद अस्पताल के सभी चिकित्सक उत्साहित हैं और सभी का आत्मबल काफी बढ़ा हुआ है."- डॉक्टर दिनेश्वर प्रसाद, प्राचार्य आयुर्वेद महाविद्यालय

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आयुर्वेद महाविद्यालय को मिली इस सफलता के बाद काफी संख्या में लोगों के फोन कॉल उनके पास आ रहे हैं. लोग अपनी नेत्र की समस्या के बारे में बता रहे हैं. उन्हें केन्द्र पर आकर इलाज कराने की बात कही जा रही है. उन्होंने कहा कि आयुर्वेद महाविद्यालय में पीजी की पढ़ाई शुरू करने के बाद वह स्पेशलाइज चिकित्सा के तरफ आगे बढ़ रहे हैं.

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हाल के दिनों में आयुर्वेद अस्पताल द्वारा कई असाध्य और कष्ट साध्य रोगों को ठीक किया गया है. मरीज मॉडर्न मेडिसिन में दिखा कर थक हार गए थे और सबसे अंत में आयुर्वेद में पहुंचे थे, जहां से उन्हें ठीक करके भेजा गया है.

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