पटना: बिहार के बजट में सबसे बड़ा हिस्सा शिक्षा विभाग का होता है. बिहार में नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति, क्वालिटी एजुकेशन और स्कूल में शिक्षकों की कमी दूर करने के साथ-साथ शिक्षकों की सेवा शर्त और वेतन से जुड़े मामले को लेकर एक बार फिर शिक्षक और अभ्यर्थियों में आस जगी है. बिहार के शिक्षा बजट में इस बार क्या खास होगा और क्या उम्मीदें हैं, यह जानने की कोशिश की ईटीवी भारत ने.
यह भी पढ़ें- पटना पहुंचते ही डैमेज कंट्रोल में जुटे तेजस्वी! जगदानंद सिंह से बंद कमरे में बात
'बिहार में शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधा को आम आदमी के लिए उपलब्ध कराना सबसे महत्वपूर्ण है और सरकार का सारा प्रयास इसी दिशा में होना चाहिए.'- नवल किशोर यादव, भाजपा नेता
2021-22 का बजट
बिहार के बजट में शिक्षा का बजट पिछली बार पैंतीस हजार करोड़ रूपये से ज्यादा (35191 रूपये करोड़) का रहा था. हालांकि शिक्षा के बजट में ज्यादा हिस्सा पेंशन और वेतन के मद में खर्च होता है. बिहार में शिक्षा के मामले में कई बड़ी चुनौतियां सरकार के सामने हैं.
'नए मंत्री के आने से हमारी उम्मीदें बढ़ी हैं. आशा है कि वह तमाम लंबित मामलों का निपटारा करेंगे और शिक्षा और शिक्षकों की परेशानियां दूर करेंगे.'- केदारनाथ पांडे, सीपीआई नेता
क्या है चुनौतियां
- स्कूलों में छात्र और शिक्षकों के बीच के अनुपात को सही करना और उच्च शिक्षा के मामले में कॉलेजों में शिक्षकों की कमी दूर करना बड़ी चुनौती है.
- पिछले साल कोरोनावायरस महामारी की वजह से बिहार समेत पूरे देश में शिक्षा व्यवस्था भी बुरी तरह प्रभावित हुई है.
- पूरे साल स्कूल और कॉलेज बंद रहे जिसका बड़ा असर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ा है.
- शिक्षा के क्षेत्र में आधारभूत संरचना को लेकर जो पिछले साल काम किए जाने थे वह भी अधूरे रह गए हैं.
- ऐसे में इस बार शिक्षा के बजट में इन तमाम बातों पर भी लोगों का ध्यान है.
- सरकार की घोषणा के बाद भी सवा लाख शिक्षकों का छठे चरण का नियोजन अब तक पूरा नहीं हो पाया है.
- स्कूलों में शिक्षकों की कमी बनी हुई है.
'बिहार की शिक्षा व्यवस्था में इस बात की जरूरत ज्यादा है कि जो लोग शिक्षित हों वह बिहार की शिक्षा को बेहतर करने की दिशा में भी अपना योगदान करें.'-रामचंद्र पूर्वे, पूर्व शिक्षा मंत्री, बिहार
बजट से उम्मीदें
- नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मुताबिक स्कूलों में वोकेशनल कोर्स के लिए तकनीकी रूप से दक्ष शिक्षक और संसाधन उपलब्ध कराना.
- स्कूल से लेकर यूनिवर्सिटी तक फैकेल्टी और स्टूडेंट्स और सब्जेक्ट के अनुसार शिक्षकों की संख्या को दुरुस्त करना.
- शिक्षण संस्थानों में चलने वाली सरकार की विभिन्न योजनाओं को किसी एजेंसी के माध्यम से कराना यानी शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों से मुक्त करना.
- शिक्षकों के सेवाकालीन प्रशिक्षण की व्यवस्था करना.
- स्कूल और शिक्षकों को आधुनिक संसाधनों से लैस करना.
- स्कूल-कॉलेजों में शोध के कार्यों को बढ़ावा देना.
- शिक्षकों को उच्चतर शिक्षा और शोध के कार्यों के लिए प्रेरित करना और उन्हें सुविधा और साधन उपलब्ध कराना.
- शिक्षकों के वेतन सुविधाओं और सेवा शर्तों को बेहतर करना.