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किशनगंज: कभी कलकल बहती थी रमजान नदी की धारा, अब अतिक्रमण बन रहा बाढ़ की वजह

डीएम डॉ. आदित्य प्रकाश ने कहा कि रमजान नदी बड़े पैमाने पर अतिक्रमण भी किया गया है. नदी में लगभग 200 लोग डेरा जमाए हुए हैं. एसे लोगों को जिला प्रशासन किसी अन्य स्थान पर जमीन मुहैया कराएगी और रमजान नदी को अतिक्रमण मुक्त करवाया जाएगा.

किशनगंज
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Published : Jun 12, 2020, 6:25 PM IST

किशनगंज: मौसम विभाग ने 20 जून के बाद से बिहार में तेज बारिश होने की संभावना व्यक्त की है. विभाग की चेतावनी के बाद बिहार के बाढ़ ग्रस्त जिले में से एक किशनगंज जिले के लोगों की माथे की शिकन बढ़ गई है. स्थानीय लोगों का कहना है कि 5 नदियों से घिरे रहने की वजह से जिले में हर साल बाढ़ आता है. लेकिन शहर में बाढ़ का प्रमुख कारण रमजान नदी है. यह नदी शहर के बीचों-बीच गुजरती है. नदी शहर को दो भाग में बांटती है. इस नदी में बाढ़ आने का प्रमुख कारण अतिक्रमण है.

'कभी कलकल बहती थी धारा'
नदी की स्थिति पर स्थानीय माधवमनी त्रिपाठी और खालिद सरफराजी बताते हैं कि यह नदी हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसाल है. किशनगंज शहर के बीचों-बीच गुजरनेवाली रमजान नदी और इसकी कलकल बहती धारा कभी शहर के लोगों के लिए जल का बेहतरीन प्राकृतिक स्त्रोत था. लेकिन इसके उदगम स्थल के पास बांध बना दिया गया और दूसरी ओर नदी का अतिक्रमण भी बड़े पैमाने पर हुआ. वर्तमान में नदी की स्थिति पतले नाले की तरह हो गई है. जलधारा नहीं होने के कारण नदी के बीच में भी कई घर बन चुके है. नदी में अतिक्रमण होने के कारण इसकी जलधारा आबाद रूप में नहीं बह पा रही है. तेज बारिश होने के बाद पानी के बहाव ठीक से नहीं हो पाता है. जिस वजह से नदी का पानी शहर में बाढ़ के रूप में आती है.

गंदे पानी में तब्दील हुई नदी
गंदे पानी में तब्दील हुई नदी

'नदी को लेकर बनाई गई है 3 योजनाएं'
इस मामले पर ईटीवी भारत संवाददाता से बात करते हुए डीएम डॉ. आदित्य प्रकाश ने बताया कि रमजान नदी को लेकर जिला प्रशासन ने 3 योजनाएं बनाई है. नदी का सोर्स डॉक नदी से लगभग 20 फीट उपर है. प्राइवेट एजेंसी से हाइड्रोलिक लिफ्ट के माध्यम से पानी लिफ्ट करने का प्रयास किया जा रहा है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'नदी को करवाया जाएगा अतिक्रमण मुक्त'
डीएम डॉ. आदित्य प्रकाश ने कहा कि रमजान नदी में कई सीवर भी ओपन हो जाते है. इसको नगर परिषद के माध्यम से बंद कराया जाएगा. नदी में बड़े पैमाने पर अतिक्रमण भी किया गया है. नदी में लगभग 200 लोग डेरा जमाए हुए हैं. एसे लोगों को जिला प्रशासन किसी अन्य स्थान पर जमीन मुहैया कराएगी और रमजान नदी को अतिक्रमण मुक्त करवाया जाएगा. अतिक्रमण मुफ्त होने के बाद नदी पूरे साल अच्छे से फ्लो कर सकेगा. नदी के सौंदर्यकरण के लिए भी काम कराया जाएगा. नदी में छठ आदी घाटों का भी निर्माण करवाया जाएगा.

नदी में अतिक्रमण
नदी में अतिक्रमण

हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसल रमजान नदी
साल 2017 में जिला मुख्यालय के तीन किमी के इलाके 10 से 15 फीट पानी में जलमग्न हो गए थे. भारी जान-माल की क्षति हुई थी. रमजान नदी जिला मुख्यालय से लगभग 3 किमी तक फैला हुआ है. यह नदी शहर के बीचों-बीच से गुजरती है. नदी को हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल भी कही जाती है. वर्तमान में यह नदी अपने ही अस्तीत्व की लड़ाई लड़ रही है.

रमजान नदी, किशनगंज
रमजान नदी, किशनगंज

नदी को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री का था ड्रीम प्रोजेक्ट
रमजान नदी को अतिक्रमण मुक्त कर इसकी धारा को अविरल बनाने की पहल इससे पहले तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री स्व. मो. तस्लीमउद्दीन ने की थी. उस समय केंद्रीय मंत्री के पहल पर योजना आयोग की टीम किशनगंज भी पहुंची थी. जांच-पड़ताल के बाद नदी पर काम होना था. मंत्री स्व. मो. तस्लीमउद्दीन नदी किनारे पार्क, नदी में मछलीपालन और बोटिंग की सुविधा शुरू करवाना चाहते थे. यह उनका ड्रीम प्रोजेक्ट था. हालांकि, यह उनका यह ड्रीम पूरा नहीं हो सका था. योजना मंत्रालय की फाइलों में गुम होकर रह गई थी.

किशनगंज: मौसम विभाग ने 20 जून के बाद से बिहार में तेज बारिश होने की संभावना व्यक्त की है. विभाग की चेतावनी के बाद बिहार के बाढ़ ग्रस्त जिले में से एक किशनगंज जिले के लोगों की माथे की शिकन बढ़ गई है. स्थानीय लोगों का कहना है कि 5 नदियों से घिरे रहने की वजह से जिले में हर साल बाढ़ आता है. लेकिन शहर में बाढ़ का प्रमुख कारण रमजान नदी है. यह नदी शहर के बीचों-बीच गुजरती है. नदी शहर को दो भाग में बांटती है. इस नदी में बाढ़ आने का प्रमुख कारण अतिक्रमण है.

'कभी कलकल बहती थी धारा'
नदी की स्थिति पर स्थानीय माधवमनी त्रिपाठी और खालिद सरफराजी बताते हैं कि यह नदी हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसाल है. किशनगंज शहर के बीचों-बीच गुजरनेवाली रमजान नदी और इसकी कलकल बहती धारा कभी शहर के लोगों के लिए जल का बेहतरीन प्राकृतिक स्त्रोत था. लेकिन इसके उदगम स्थल के पास बांध बना दिया गया और दूसरी ओर नदी का अतिक्रमण भी बड़े पैमाने पर हुआ. वर्तमान में नदी की स्थिति पतले नाले की तरह हो गई है. जलधारा नहीं होने के कारण नदी के बीच में भी कई घर बन चुके है. नदी में अतिक्रमण होने के कारण इसकी जलधारा आबाद रूप में नहीं बह पा रही है. तेज बारिश होने के बाद पानी के बहाव ठीक से नहीं हो पाता है. जिस वजह से नदी का पानी शहर में बाढ़ के रूप में आती है.

गंदे पानी में तब्दील हुई नदी
गंदे पानी में तब्दील हुई नदी

'नदी को लेकर बनाई गई है 3 योजनाएं'
इस मामले पर ईटीवी भारत संवाददाता से बात करते हुए डीएम डॉ. आदित्य प्रकाश ने बताया कि रमजान नदी को लेकर जिला प्रशासन ने 3 योजनाएं बनाई है. नदी का सोर्स डॉक नदी से लगभग 20 फीट उपर है. प्राइवेट एजेंसी से हाइड्रोलिक लिफ्ट के माध्यम से पानी लिफ्ट करने का प्रयास किया जा रहा है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'नदी को करवाया जाएगा अतिक्रमण मुक्त'
डीएम डॉ. आदित्य प्रकाश ने कहा कि रमजान नदी में कई सीवर भी ओपन हो जाते है. इसको नगर परिषद के माध्यम से बंद कराया जाएगा. नदी में बड़े पैमाने पर अतिक्रमण भी किया गया है. नदी में लगभग 200 लोग डेरा जमाए हुए हैं. एसे लोगों को जिला प्रशासन किसी अन्य स्थान पर जमीन मुहैया कराएगी और रमजान नदी को अतिक्रमण मुक्त करवाया जाएगा. अतिक्रमण मुफ्त होने के बाद नदी पूरे साल अच्छे से फ्लो कर सकेगा. नदी के सौंदर्यकरण के लिए भी काम कराया जाएगा. नदी में छठ आदी घाटों का भी निर्माण करवाया जाएगा.

नदी में अतिक्रमण
नदी में अतिक्रमण

हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसल रमजान नदी
साल 2017 में जिला मुख्यालय के तीन किमी के इलाके 10 से 15 फीट पानी में जलमग्न हो गए थे. भारी जान-माल की क्षति हुई थी. रमजान नदी जिला मुख्यालय से लगभग 3 किमी तक फैला हुआ है. यह नदी शहर के बीचों-बीच से गुजरती है. नदी को हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल भी कही जाती है. वर्तमान में यह नदी अपने ही अस्तीत्व की लड़ाई लड़ रही है.

रमजान नदी, किशनगंज
रमजान नदी, किशनगंज

नदी को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री का था ड्रीम प्रोजेक्ट
रमजान नदी को अतिक्रमण मुक्त कर इसकी धारा को अविरल बनाने की पहल इससे पहले तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री स्व. मो. तस्लीमउद्दीन ने की थी. उस समय केंद्रीय मंत्री के पहल पर योजना आयोग की टीम किशनगंज भी पहुंची थी. जांच-पड़ताल के बाद नदी पर काम होना था. मंत्री स्व. मो. तस्लीमउद्दीन नदी किनारे पार्क, नदी में मछलीपालन और बोटिंग की सुविधा शुरू करवाना चाहते थे. यह उनका ड्रीम प्रोजेक्ट था. हालांकि, यह उनका यह ड्रीम पूरा नहीं हो सका था. योजना मंत्रालय की फाइलों में गुम होकर रह गई थी.

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