पटनाः बिहार विधान परिषद के खाली हुए 2 सीटों पर 28 जनवरी को चुनाव होना है. अभी तक इन दोनों सीटों पर किसे भेजा जाएगा इसकी घोषणा बीजेपी ने नहीं की है. बिहार मंत्रिमंडल में दो मंत्री मुकेश सहनी और अशोक चौधरी बिना किसी सदन के सदस्य रहते हुए मंत्री हैं. ऐसे में यह कयास लगाए जा रहे हैं कि दोनों में से किसी को मौका मिल सकता है. लेकिन मुकेश सहनी के मुख्य प्रवक्ता राजीव मिश्रा के अनुसार इस बार मुकेश सहनी खाली हुए एमएलसी की सीटों पर नामांकन नहीं करेंगे. वहीं बीजेपी प्रवक्ता का कहना है कि पार्टी नेतृत्व सहयोगी दलों से बातचीत कर फैसला लेगी.
बीजेपी ने नामों का नहीं किया अब तक खुलासा
बिहार में 17 एमएलसी के सीट खाली पड़े हैं. 12 राज्यपाल कोटे से भरा जाना है. जिस पर लंबे समय से बीजेपी और जदयू के बीच सहमति नहीं बन पा रही है. अब सुशील मोदी के राज्य सभा के लिये चुने जाने के कारण और विनोद नारायण झा के विधायक बनने के कारण 2 सीट खाली हुए हैं. दोनों पर चुनाव होना है और चुनावी प्रक्रिया शुरू है. लेकिन अभी तक नामों का खुलासा नहीं हुआ है. यह कयास लगाए जा रहे थे कि मुकेश सहनी को बीजेपी खाली हुए सीट में से एक पर भेज सकती है. लेकिन मुकेश सहनी के मुख्य प्रवक्ता राजीव मिश्रा ने बातचीत में कहा कि मुकेश सहनी खाली हुई सीटों के माध्यम से नहीं जाएंगे. अब देखना है, दूसरे मंत्री अशोक चौधरी को बीजेपी मौका देती है या नहीं. 18 जनवरी नामांकन दाखिल करने का अंतिम तिथि है. बीजेपी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल का कहना है कि पार्टी की केंद्रीय नेतृत्व नामों पर फैसला लेगी. बिहार में एनडीए में जो सहयोगी दल हैं. उनसे भी पार्टी बातचीत करेगी.
खरमास के बाद फैसला
बीजेपी सूत्रों की मानें तो खरमास के बाद इन 2 सीटों को लेकर पार्टी फैसला करेगी. अब यह भी देखना है कि इन दोनों सीटों में से जदयू को बीजेपी एक सीट देती है या नहीं. क्योंकि 1 सीट का कार्यकाल 2022 में खत्म हो रहा है तो दूसरा का 2024 में. संभवतः इसीलिए मुकेश सहनी ने फिलहाल इन दोनों सीटों के माध्यम से विधान परिषद का सदस्य बनने से मना कर दिया है. सहनी राजपाल कोटे से 6 साल के लिए मनोनीत होना चाहते हैं. लेकिन उस पर अभी तक फैसला नहीं हुआ है. कुल मिलाकर एमएलसी सीटों को लेकर बिहार में चर्चा शुरू है. और सस्पेंस भी बना हुआ है. क्योंकि बीजेपी में ही कई दावेदार हैं. और उन सबकी नजर दोनों सीटों पर हैं.