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नगर निगम चुनाव 2022: पहली बार वोटिंग से हुआ मेयर का चुनाव, पटना मेयर पद पर सबकी नजर

बिहार के 17 नगर निगम में पहली बार मेयर का (Patna Nagar Nigam Election 2022) चुनाव वोटिंग हुआ. लेकिन सबकी नजर पटना के मेयर पद पर है. पहले मेयर के चुनाव में वार्ड पार्षदों का खेल हुआ करता था. पर अब लोग सीधे मेयर का चुनाव करने के लिए वोट डाले. पटना में आज मेयर पद के लिए 32 उम्मीदवार का किस्मत ईवीएम में बंद हो गया है पढ़ें पूरी खबर...

नगर निगम चुनाव 2022: पहली बार वोटिंग से मेयर का चुनाव, पटना मेयर पद पर सबकी नजर
नगर निगम चुनाव 2022: पहली बार वोटिंग से मेयर का चुनाव, पटना मेयर पद पर सबकी नजर
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Published : Dec 28, 2022, 7:52 PM IST

देखें रिपोर्ट

पटना: राजधानी पटना सहित 17 नगर निगम (Patna Nagar Nigam Election) में मेयर पद के लिए आज वोट डाला गया है. वोटिंग का प्रतिशत बहुत ज्यादा नहीं रहा खासकर पटना में मेयर पद के लिए 32 उम्मीदवारों ने अपनी दावेदारी पेश की थी. ऐसे तो रिजल्ट 30 दिसंबर को आएगा तभी पता चल पाएगा कि लोगों ने किस पर भरोसा जताया है. दलीय अधार पर चुनाव नहीं होने के बावजूद सभी दलों की नजर मेयर, उपमेयर और वार्ड पार्षद पड़ रही है. खासकर पटना मेयर की बात करें तो सभी दलों ने अपने पार्टी नेताओं पर अपरोक्ष रूप से ताकत लगाई है. उम्मीदवारों को भरोसा है कि जनता उनके साथ है. ऐसे तो दलीय आधार पर चुनाव नहीं हो रहा है लेकिन सभी दलों की कोशिश है कि उनके नेता ही मेयर पद पर काबिज हो. जहां बीजेपी के तरफ से सीता साहू हैं तो आरजेडी के नेता और पूर्व मेयर अफजल इमाम की पत्नी महजबी भी चुनाव में भाग्य आजमा रही हैं जदयू के तरफ से व्यवसायिक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष कमल नोपानी की पत्नी सरिता नोपानी चुनाव मैदान में हैं.


ये भी पढे़ं- सिवान में वोटिंग से पहले गोलीबारी, बदमाशों ने चेयरमैन प्रत्याशी को मारी गोली

32 उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में हुआ बंद: ऐसे तो प्रत्याशियों ने पूरे दमखम के साथ प्रचार किया और जीत की दावा भी कर रही हैं. पटना में मेयर पद के लिए 32 उम्मीदवार का किस्मत ईवीएम में बंद हो गया है. पटना शहर में बीजेपी का शुरू से दबदबा रहा है. क्योंकि यहां 4 लाख से अधिक का कायस्त वोटर हैं वही 3 लाख अधिक वैश्य मतदाता भी हैं. ढाई लाख से अधिक यादव और सवा लाख से अधिक मुस्लिम वोटर भी हैं. इसके अलावा अनुभव के वोटर भी जीत हार में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.

सभी दलों की अपनी राय: बीजेपी प्रवक्ता अरविंद सिंह का कहना है कि हम लोग चाहते हैं कि अच्छी कैंडिडेट चुनाव जीत कर आएं और सीता साहू सबसे बेस्ट कैंडिडेट हैं. वही जदयू नेताओं का कहना है कि दलीय आधार पर चुनाव नहीं हो रहा है लेकिन हम लोगों की भी नजर है और नीतीश कुमार ने अति पिछड़ा आरक्षण को लेकर जो फैसला लिया है. उसके कारण यह चुनाव पार्टी के लिए महत्वपूर्ण है. जबकि आरजेडी प्रवक्ता एजाज अहमद का कहना है कि दलिये आधार पर चुनाव भले ना हो रहा हो लेकिन हम लोग चाहते हैं कि अच्छे उम्मीदवार चुनाव जीतकर आएं जो जनता के लिए काम करें.

सीता साहू और मजहबी के बीच मुख्य मुकाबला: पटना मेयर का पद आधी आबादी के लिए रिजर्व है और इसलिए इस पर विशेष रूप से नजर है. क्योंकि नगर निकायों में 50% आरक्षण की व्यवस्था नीतीश कुमार ने ही की थी लेकिन प्रमुख दलों के एक से अधिक के नेता के कूदने के कारण दलों के लिए भी किसी एक समर्थन करना आसान नहीं है. बावजूद इस चुनाव में सीता साहू, मजहबी, सरिता नोपानी, पिंकी यादव, विनीता सिंह, रीता रस्तोगी और माला सिन्हा प्रत्याशियों की चर्चा है लेकिन मुख्य मुकाबला सीता साहू और अफजल इमाम की पत्नी मजहबी के बीच ही तय माना जा रहा है. ऐसे प्रत्याशियों को उम्मीद है कि जनता उन्हें ही चुनेगी.

सभी प्रत्याशियों ने झोंकी अपनी ताकत: 30 दिसंबर को मतगणना होगा पटना में बहुत ज्यादा वोटिंग नहीं हुई है और इसका बड़ा कारण जागरूकता की कमी भी रही है लेकिन इसके बावजूद प्रत्याशियों ने चुनाव प्रचार में कोई कोर कसर नहीं छोड़ा है. सब ने अपनी अपनी ताकत लगाई है. पटना मेयर का चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि पटना के 3 विधानसभा क्षेत्र पटना साहिब, कुम्हरार और बांकीपुर पर सीधा असर पड़ना है और पटना नगर निगम का बजट भी इस वित्तीय वर्ष में 1700 करोड़ से अधिक का होगा. इसलिए राजधानी के विकास में मेयर की भूमिका महत्वपूर्ण होने वाली है और यह सब बड़ा कारण है. जिसके कारण राजनीतिक दलों की दिलचस्पी रही है दलों ने अपनी ताकत भी लगाई है और एक तरह से दलों की प्रतिष्ठा भी इससे जुड़ गई है.

देखें रिपोर्ट

पटना: राजधानी पटना सहित 17 नगर निगम (Patna Nagar Nigam Election) में मेयर पद के लिए आज वोट डाला गया है. वोटिंग का प्रतिशत बहुत ज्यादा नहीं रहा खासकर पटना में मेयर पद के लिए 32 उम्मीदवारों ने अपनी दावेदारी पेश की थी. ऐसे तो रिजल्ट 30 दिसंबर को आएगा तभी पता चल पाएगा कि लोगों ने किस पर भरोसा जताया है. दलीय अधार पर चुनाव नहीं होने के बावजूद सभी दलों की नजर मेयर, उपमेयर और वार्ड पार्षद पड़ रही है. खासकर पटना मेयर की बात करें तो सभी दलों ने अपने पार्टी नेताओं पर अपरोक्ष रूप से ताकत लगाई है. उम्मीदवारों को भरोसा है कि जनता उनके साथ है. ऐसे तो दलीय आधार पर चुनाव नहीं हो रहा है लेकिन सभी दलों की कोशिश है कि उनके नेता ही मेयर पद पर काबिज हो. जहां बीजेपी के तरफ से सीता साहू हैं तो आरजेडी के नेता और पूर्व मेयर अफजल इमाम की पत्नी महजबी भी चुनाव में भाग्य आजमा रही हैं जदयू के तरफ से व्यवसायिक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष कमल नोपानी की पत्नी सरिता नोपानी चुनाव मैदान में हैं.


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32 उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में हुआ बंद: ऐसे तो प्रत्याशियों ने पूरे दमखम के साथ प्रचार किया और जीत की दावा भी कर रही हैं. पटना में मेयर पद के लिए 32 उम्मीदवार का किस्मत ईवीएम में बंद हो गया है. पटना शहर में बीजेपी का शुरू से दबदबा रहा है. क्योंकि यहां 4 लाख से अधिक का कायस्त वोटर हैं वही 3 लाख अधिक वैश्य मतदाता भी हैं. ढाई लाख से अधिक यादव और सवा लाख से अधिक मुस्लिम वोटर भी हैं. इसके अलावा अनुभव के वोटर भी जीत हार में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.

सभी दलों की अपनी राय: बीजेपी प्रवक्ता अरविंद सिंह का कहना है कि हम लोग चाहते हैं कि अच्छी कैंडिडेट चुनाव जीत कर आएं और सीता साहू सबसे बेस्ट कैंडिडेट हैं. वही जदयू नेताओं का कहना है कि दलीय आधार पर चुनाव नहीं हो रहा है लेकिन हम लोगों की भी नजर है और नीतीश कुमार ने अति पिछड़ा आरक्षण को लेकर जो फैसला लिया है. उसके कारण यह चुनाव पार्टी के लिए महत्वपूर्ण है. जबकि आरजेडी प्रवक्ता एजाज अहमद का कहना है कि दलिये आधार पर चुनाव भले ना हो रहा हो लेकिन हम लोग चाहते हैं कि अच्छे उम्मीदवार चुनाव जीतकर आएं जो जनता के लिए काम करें.

सीता साहू और मजहबी के बीच मुख्य मुकाबला: पटना मेयर का पद आधी आबादी के लिए रिजर्व है और इसलिए इस पर विशेष रूप से नजर है. क्योंकि नगर निकायों में 50% आरक्षण की व्यवस्था नीतीश कुमार ने ही की थी लेकिन प्रमुख दलों के एक से अधिक के नेता के कूदने के कारण दलों के लिए भी किसी एक समर्थन करना आसान नहीं है. बावजूद इस चुनाव में सीता साहू, मजहबी, सरिता नोपानी, पिंकी यादव, विनीता सिंह, रीता रस्तोगी और माला सिन्हा प्रत्याशियों की चर्चा है लेकिन मुख्य मुकाबला सीता साहू और अफजल इमाम की पत्नी मजहबी के बीच ही तय माना जा रहा है. ऐसे प्रत्याशियों को उम्मीद है कि जनता उन्हें ही चुनेगी.

सभी प्रत्याशियों ने झोंकी अपनी ताकत: 30 दिसंबर को मतगणना होगा पटना में बहुत ज्यादा वोटिंग नहीं हुई है और इसका बड़ा कारण जागरूकता की कमी भी रही है लेकिन इसके बावजूद प्रत्याशियों ने चुनाव प्रचार में कोई कोर कसर नहीं छोड़ा है. सब ने अपनी अपनी ताकत लगाई है. पटना मेयर का चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि पटना के 3 विधानसभा क्षेत्र पटना साहिब, कुम्हरार और बांकीपुर पर सीधा असर पड़ना है और पटना नगर निगम का बजट भी इस वित्तीय वर्ष में 1700 करोड़ से अधिक का होगा. इसलिए राजधानी के विकास में मेयर की भूमिका महत्वपूर्ण होने वाली है और यह सब बड़ा कारण है. जिसके कारण राजनीतिक दलों की दिलचस्पी रही है दलों ने अपनी ताकत भी लगाई है और एक तरह से दलों की प्रतिष्ठा भी इससे जुड़ गई है.

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