ETV Bharat / state

चुनावी साल में शिक्षकों के प्रदर्शन का क्या होगा असर?

मई 2019 में बिहार के करीब 3.5 लाख नियोजित शिक्षकों को झटका देते हुये सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के उस फैसले को निरस्त कर दिया था, जिसमें नियोजित शिक्षकों को समान काम के लिए समान वेतन देने का आदेश दिया गया था.

चुनावी गपशप
चुनावी गपशप
author img

By

Published : Feb 19, 2020, 8:04 PM IST

पटनाः समान काम, समान वेतन की मांग को लेकर राज्य भर के लाखों नियोजित शिक्षक 17 फरवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. राज्य सरकार इन प्रदर्शनों से सख्ती से निपट रही है. प्रदर्शन कर रहे कुछ शिक्षकों को बर्खास्त भी किया गया है जबकि कुछ प्रदर्शनकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया है. इस पर शिक्षा मंत्री कृष्ण नंदन वर्मा ने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट ने समान काम समान वेतन के लिए ना कर दिया है तो फिर इस हड़ताल का मतलब क्या है?

बता दें कि सभी हड़ताली शिक्षक पुराने शिक्षकों की तरह वेतनमान, सेवा शर्त और पुरानी पेंशन योजना के साथ नियोजित शिक्षक राज्यकर्मी का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं. राज्य के अलग-अलग जिलों में शिक्षकों का प्रदर्शन जारी है. इन सब के बीच 17 फरवरी से ही बिहार बोर्ड के मैट्रिक की परीक्षा भी शुरू हो गई है. हालांकि परीक्षा का संचालन सुचारू रूप से हो रहा है. लेकिन सरकार और प्रशासन की तरफ से इन हड़ताली शिक्षकों को चेतावनी भी दी गई है कि परीक्षा में व्यवधान उत्पन्न करने और ड्यूटी करने वालों को परेशान करने वाले शिक्षकों पर कार्रवाई होगी.

चुनावी गपशप

सरकार को किया मजबूर'
हड़ताली शिक्षकों की बर्खास्तगी और प्राथमिकी दर्ज किए जाने की बात को लेकर शिक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार को कार्रवाई के लिए शिक्षक ही बाध्य कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि मैट्रिक की परीक्षा भी बिहार में 17 फरवरी से शुरू हुई है. यह जानते हुए भी शिक्षक उसी दिन से हड़ताल कर रहे हैं.

कांग्रेस ने शिक्षकों का किया समर्थन
कृष्ण नंदन वर्मा ने कहा कि हमारी सरकार हमेशा नियोजित शिक्षकों का भला चाहती है, लेकिन जब सुप्रीम कोर्ट ने यह कह दिया कि समान काम के लिए समान वेतन नहीं मिल सकता तो फिर इस हड़ताल का कोई मतलब ही नहीं है. वहीं, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मदन मोहन झा ने हड़ताल पर जा रहे शिक्षकों का समर्थन किया और राज्य सरकार से इनकी मांग को स्वीकार करने की मांग की.

बर्खास्तगी रद्द करने को लेकर अल्टीमेटम
इधर नियोजित शिक्षकों ने पटना के जिला शिक्षा पदाधिकारी को 2 शिक्षकों की बर्खास्तगी का आदेश वापस लेने के लिए 24 घंटे का समय दिया है, जो 20 फरवरी को समाप्त हो रहा है. इस बारे में बिहार शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति के मीडिया प्रभारी मनोज कुमार ने बताया कि हमने 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया है. अगर इस दौरान बर्खास्तगी का आदेश निरस्त नहीं किया गया तो अनिश्चितकाल के लिए डीईओ ऑफिस का घेराव करेंगे.

देखें रिपोर्ट.

क्या है पूरा मामला
दरअसल, मई 2019 में बिहार के करीब 3.5 लाख नियोजित शिक्षकों को झटका देते हुये सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के उस फैसले को निरस्त कर दिया था, जिसमें नियोजित शिक्षकों को समान काम के लिए समान वेतन देने का आदेश दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बिहार सरकार की अपील मंजूर कर ली थी.

समान काम के लिये समान वेतन नहीं
समान कार्य के लिए समान वेतन देने के पटना हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ बिहार सरकार ने 11 याचिकाएं दायर की थी. इस मामले में केंद्र सरकार समर्थन भी मिला था. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद साफ हो गया था कि नियोजित शिक्षकों को समान काम के आधार पर समान वेतन नहीं मिलेगा.

बिहार सरकार को मिला केंद्र का साथ
केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर 36 पन्नों के हलफनामे में कहा गया था कि इन नियोजित शिक्षकों को समान कार्य के लिए समान वेतन नहीं दिया जा सकता है, क्योंकि समान कार्य के लिए समान वेतन के कैटेगरी में ये नियोजित शिक्षक नहीं आते. ऐसे में इन नियोजित शिक्षकों को नियमित शिक्षकों की तर्ज पर समान कार्य के लिए समान वेतन अगर दिया भी जाता है तो सरकार पर प्रति वर्ष करीब 36998 करोड़ का अतिरिक्त भार आएगा.

पटनाः समान काम, समान वेतन की मांग को लेकर राज्य भर के लाखों नियोजित शिक्षक 17 फरवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. राज्य सरकार इन प्रदर्शनों से सख्ती से निपट रही है. प्रदर्शन कर रहे कुछ शिक्षकों को बर्खास्त भी किया गया है जबकि कुछ प्रदर्शनकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया है. इस पर शिक्षा मंत्री कृष्ण नंदन वर्मा ने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट ने समान काम समान वेतन के लिए ना कर दिया है तो फिर इस हड़ताल का मतलब क्या है?

बता दें कि सभी हड़ताली शिक्षक पुराने शिक्षकों की तरह वेतनमान, सेवा शर्त और पुरानी पेंशन योजना के साथ नियोजित शिक्षक राज्यकर्मी का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं. राज्य के अलग-अलग जिलों में शिक्षकों का प्रदर्शन जारी है. इन सब के बीच 17 फरवरी से ही बिहार बोर्ड के मैट्रिक की परीक्षा भी शुरू हो गई है. हालांकि परीक्षा का संचालन सुचारू रूप से हो रहा है. लेकिन सरकार और प्रशासन की तरफ से इन हड़ताली शिक्षकों को चेतावनी भी दी गई है कि परीक्षा में व्यवधान उत्पन्न करने और ड्यूटी करने वालों को परेशान करने वाले शिक्षकों पर कार्रवाई होगी.

चुनावी गपशप

सरकार को किया मजबूर'
हड़ताली शिक्षकों की बर्खास्तगी और प्राथमिकी दर्ज किए जाने की बात को लेकर शिक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार को कार्रवाई के लिए शिक्षक ही बाध्य कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि मैट्रिक की परीक्षा भी बिहार में 17 फरवरी से शुरू हुई है. यह जानते हुए भी शिक्षक उसी दिन से हड़ताल कर रहे हैं.

कांग्रेस ने शिक्षकों का किया समर्थन
कृष्ण नंदन वर्मा ने कहा कि हमारी सरकार हमेशा नियोजित शिक्षकों का भला चाहती है, लेकिन जब सुप्रीम कोर्ट ने यह कह दिया कि समान काम के लिए समान वेतन नहीं मिल सकता तो फिर इस हड़ताल का कोई मतलब ही नहीं है. वहीं, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मदन मोहन झा ने हड़ताल पर जा रहे शिक्षकों का समर्थन किया और राज्य सरकार से इनकी मांग को स्वीकार करने की मांग की.

बर्खास्तगी रद्द करने को लेकर अल्टीमेटम
इधर नियोजित शिक्षकों ने पटना के जिला शिक्षा पदाधिकारी को 2 शिक्षकों की बर्खास्तगी का आदेश वापस लेने के लिए 24 घंटे का समय दिया है, जो 20 फरवरी को समाप्त हो रहा है. इस बारे में बिहार शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति के मीडिया प्रभारी मनोज कुमार ने बताया कि हमने 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया है. अगर इस दौरान बर्खास्तगी का आदेश निरस्त नहीं किया गया तो अनिश्चितकाल के लिए डीईओ ऑफिस का घेराव करेंगे.

देखें रिपोर्ट.

क्या है पूरा मामला
दरअसल, मई 2019 में बिहार के करीब 3.5 लाख नियोजित शिक्षकों को झटका देते हुये सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के उस फैसले को निरस्त कर दिया था, जिसमें नियोजित शिक्षकों को समान काम के लिए समान वेतन देने का आदेश दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बिहार सरकार की अपील मंजूर कर ली थी.

समान काम के लिये समान वेतन नहीं
समान कार्य के लिए समान वेतन देने के पटना हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ बिहार सरकार ने 11 याचिकाएं दायर की थी. इस मामले में केंद्र सरकार समर्थन भी मिला था. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद साफ हो गया था कि नियोजित शिक्षकों को समान काम के आधार पर समान वेतन नहीं मिलेगा.

बिहार सरकार को मिला केंद्र का साथ
केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर 36 पन्नों के हलफनामे में कहा गया था कि इन नियोजित शिक्षकों को समान कार्य के लिए समान वेतन नहीं दिया जा सकता है, क्योंकि समान कार्य के लिए समान वेतन के कैटेगरी में ये नियोजित शिक्षक नहीं आते. ऐसे में इन नियोजित शिक्षकों को नियमित शिक्षकों की तर्ज पर समान कार्य के लिए समान वेतन अगर दिया भी जाता है तो सरकार पर प्रति वर्ष करीब 36998 करोड़ का अतिरिक्त भार आएगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.