पटना: देश में जारी लॉकडाउन के बीच तमाम परेशानियों के बावजूद बिहार के मेहनतकश किसानों ने अपने खेतों में पसीना बहाकर फसलों का रिकॉर्ड उत्पादन किया. सरकार भी बेहतर उपज से खासी उत्साहित दिख रही है. हालांकि उत्पादन के बाद फसलों को बाजार तक पहुंचाना और किसानों को उसकी सही कीमत दिलाना अभी भी बड़ी चुनौती है.
कोरोना वायरस और लॉकडाउन में अन्नदाता परेशान
कोरोना वायरस और लगातार जारी लॉकडाउन के कारण फसलों के अच्छे उत्पादन के बाद भी किसानों की मुश्किलें खत्म होती नहीं दिख रही है. फसल बेचने के लिए न तो उन्हें बाजार मिल रहा है और न ही न्यूनतम समर्थन मूल्य. इन सबसे इतर किसानों ने खेती के लिए पहले से ही बैंकों और साहूकार से लोन ले रखा हैं. मौजूदा हालातों में इसकी अदायगी भी नहीं हो पा रही है. ऐसे में अन्नदाता परेशान हैं.
10 लाख किसानों को मिली 10 हजार करोड़ की केसीसी
हालांकि किसानों की परेशानी को देखते हुए सरकार की ओर से कई तरह की पहल शुरू कर दी गई है. बिहार की करीब 79 फीसदी आबादी कृषि पर निर्भर है. ऐसे में उनकी परेशानी को समझते हुए कृषि विभाग ने वर्तमान वित्तीय वर्ष में 10 लाख किसानों को 10,000 करोड़ की नई किसान क्रेडिट कार्ड यानी केसीसी देने की योजना बनाई है. जिसके लेकर ऑनलाइन काम जारी है. अब तक 166000 किसानों को कर्ज़ मिल भी चुका है. जिसकी पूरी राशि 1600 करोड़ के आसपास है.
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सरकार की दलील
कृषि मंत्री प्रेम कुमार कहते हैं कि हम किसानों की चिंता समझते हैं. यही वजह है कि लगातार ऑनलाइन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उनकी परेशानियों को दूर करने के लिए जरूरी कदम उठा रहे हैं. मंत्री नीरज कुमार के मुताबिक सरकार किसानों को लेकर काफी गंभीर है. इसीलिए आपदा की स्थिति में 5 लाख 61 हजार किसानों को राहत पहुंचाई जा चुकी है. अब तक बिहार के किसानों को 5915 करोड़ रुपए क्षतिपूर्ति राशि के रूप में दी जा चुकी है.
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विपक्ष का आरोप
वहीं, आरजेडी प्रवक्ता भाई वीरेंद्र किसानों की समस्याओं को लेकर केंद्र और बिहार सरकार पर अनदेखी का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि सरकार किसानों के हित के चाहे लाख दावे करे लेकिन हकीकत यही है कि उसे किसानों की जरा भी फिक्र नहीं है.
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विशेषज्ञों की राय
बिहार राज्य किसान सभा के सचिव रविंद्र नाथ राय कहते हैं कि किसानों को कर्ज देने से समस्या का समाधान नहीं होगा. सरकार को फिलहाल अनाज के लिए मंडी खोलने की व्यवस्था करनी चाहिए. कृषि और आर्थिक मामलों के जानकार डीएम दिवाकर भी मानते हैं कि सिर्फ लोन देना किसानों की समस्या का समाधान नहीं हो सकता.
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किसानों को सरकारी मदद की दरकार
जाहिर है सरकारी स्तर पर जो प्रयास हो रहे हैं, उससे आने वाले वक्त में तो किसानों को मदद मिल सकती है. मगर फिलहाल किसानों को राहत तब मिलेगी जब उनकी फसलों की उचित कीमत उन्हें मिलेगी. ऐसे में किसानों को सरकारी मदद की दरकार है.