पटना: एक शिक्षिका अपनी नियुक्ति के लिए दर-दर भटक रही है. कटिहार जिला के आजमनगर प्रखंड के खुरियाल पंचायत के स्कूल में 2009 में ही रीना कुमारी की नियुक्ति होनी थी. लेकिन अभी तक उनकी नियुक्ति नहीं हो पाई है. अपनी नियुक्ति के लिए रीना कुमारी सालों से सचिवालय से लेकर शिक्षा विभाग तक के चक्कर लगा चुकी हैं. वह कई बार शिक्षा मंत्री से भी मिल चुकी हैं. लेकिन फिर भी वह अपनी नियुक्ति से वंचित हैं.
क्या है मामला
2008 में खुरियाल पंचायत में स्कूल के लिए आई मेधा सूची में पिंकी कुमारी को प्रथम वरीयता मिली थी. लेकिन 2009 में उन्होंने त्यागपत्र दे दिया. अब उनकी जगह रीना कुमारी की पोस्टिंग होनी थी. बाद में वहां के स्थानीय मुखिया से रीना की नोकझोंक हो गई. जिसके कारण स्कूल में आज तक उनकी नियुक्ति नहीं हो पाई है. वह अपने दिव्यांग पति के साथ दर-दर भटक रही हैं.
सीट खाली होने के बावजूद नियुक्ति नहीं
रीना कुमारी के पति आसित प्रसाद ने बताया कि 2009 में उन्हें पता चला कि खुरियाल पंचायत में स्कूल में एक पद खाली है. जिस पर रीना कुमारी ने अपनी नियुक्ति की सिफारिश की थी. लेकिन उन लोगों को बताया गया कि विद्यालय में कोई सीट खाली नहीं है. इसके बाद उन लोगों ने जांच कराई तो डिस्ट्रिक्ट एजुकेशन ऑफिसर ने बताया कि स्कूल में सीट तो खाली है और रीना कुमारी के नियुक्ति का आदेश भी जारी किया गया. इसके बावजूद भी स्कूल में उनकी नियुक्ति नहीं हुई.
कर्मचारी पंकज कुमार पर लगाया आरोप
रीना कुमारी के पति ने यह भी कहा कि शिक्षा मंत्री से मिले 2 महीने हो गए हैं. साथ ही शिक्षा विभाग के डायरेक्टर ने उन लोगों को उनके आवेदन पर जल्द कार्रवाई का निर्देश भी दिया था. लेकिन डायरेक्टर के पास उनका कागज नहीं पहुंच पा रहा है, यह बोलते हुए विभाग ने काम को टाल दिया. दंपती ने आरोप लगाया कि शिक्षा विभाग के कर्मचारी पंकज कुमार की टेबल से कागज आगे नहीं बढ़ पा रहा है और बार-बार वहां से उनका कागज गुम हो जा रहा है.
अधिकारियों के मनमाने रवैये की छप चुकीं हैं खबरें
शिक्षिका रीना कुमारी ने बताया कि वह अपने दिव्यांग पति और 5 बच्चों के साथ दर-दर भटकने को मजबूर हैं. उनके बच्चे ठेले पर और दुकानों में काम कर किसी तरह घर चला रहे हैं. कई बार अखबारों में भी अधिकारियों के मनमाने रवैये पर खबरें चल चुकी है लेकिन अभी तक उनकी समस्या का निदान नहीं हुआ है. उन्होंने बताया कि 2009 में मुखिया से मामूली विवाद के बाद मामला कोर्ट में चला गया था. जिसके बाद वह हाई कोर्ट तक गई. वहां से उन्हें आदेश भी प्राप्त है पर नियुक्ति के नाम पर विभाग सुध नहीं ले रहा है.