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बिहार में बढ़ते अपराध का कारण संस्थागत, ज्यादातर भूमि विवाद का नहीं हो रहा निपटारा

बिहार में बढ़ते क्राइम (Crime In Bihar) की वजह अर्थशास्त्री संस्थागत कारणों को मानते हैं, भूमि विवाद के कारण जो आपराधिक मामले बढ़ें हैं, उसकी सबसे बड़ी वजह राजस्व कर्मचारियों की कमी से काम में देरी है. अमीन की कमी के कारण भूमि से जुड़े ज्यादातर काम अधूरे पड़े हैं, जिससे लोगों के बीच जमीन को लेकर जो विवाद है, उसका निपटारा नहीं हो पाता है. पढ़ें पूरी खबर...

बिहार में क्राइम
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Published : Apr 5, 2022, 8:41 PM IST

पटनाः बिहार के सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) का मानना है कि बिहार में जो क्राइम की घटनाएं होती हैं, उनमें ज्यादातर घटनाएं भूमि विवाद के कारण होती हैं. ये बात उन्होंने कई बार दोहराई है. इसे लेकर कई बार समीक्षा बैठक भी की गई. एक बार फिर बिहार में अपराध चरम पर है. आए दिन हत्या और लूट की घटनाएं सामने आ रही हैं, जिस पर एक बड़ी चर्चा शुरू हो गई है. ईटीवी भारत संवाददाता ने बढ़ते अपराध को लेकर अर्थशास्त्री विद्यार्थी विकास से बात की. अर्थशास्त्री विकास भी ये मानते हैं कि भूमि विवाद भी अपराध का सबसे बड़ा कारण है. उन्होंने कहा कि भूमि विवाद बढ़ने का कारण (Reason Of Crime Increase In Bihar) संस्थागत है, जिसके सही नहीं होने के कारण पूरा सिस्टम गड़बड़ है और अपराध में वृद्धि हो रही है. अर्थशास्त्री विकास ने इसकी कई वजहें बताई हैं.

ये भी पढ़ेंः बिहार में क्राइम 'अनकंट्रोल': पुलिस सिर्फ झाड़ियों में ढूंढ रही खाली बोतल, अपराधी प्रशासन को दिखा रहे ठेंगा

राजस्व कर्मचारियों की कमी से काम में देरीः बिहार में बढ़ रहे अपराध की सबसे बड़ी वजह रंगदारी और भूमि विवाद निकल कर सामने आ रही है. जो अपराध का एक बड़ा कारण माना जा रहा है. ज्यादातर हत्याएं भूमि विवाद के कारण हो रही हैं. अर्थशास्त्री विद्यार्थी विकास (Economist vidyarthi vikas) का कहना है कि कहीं ना कहीं इसमें भूमि एवं राजस्व विभाग की बड़ी कमी है. उन्होंने बताया कि बिहार में कुल 8445 पंचायत हैं, उतना ही हल्का भी है. जिस वजह से प्रत्येक हल्के में एक राजस्व कर्मचारी होना चाहिए लेकिन मौजूदा वक्त में महज 2000 कर्मचारी से पूरा पंचायत चल रहा है. जिस वजह से मौजूदा वक्त में भी चार से छह हल्का पर एक कर्मचारी मौजूद है. यही नहीं बिहार में कम से कम 2000 सरकारी अमीन होना चाहिए लेकिन मौजूदा वक्त में महज 300 सरकारी अमीन हैं. कहीं ना कहीं कर्मचारियों और अमीन की कमी के वजह से काम समय पर नहीं हो पा रहा है और कहीं ना कहीं भ्रष्टाचार को भी बढ़ावा मिल रहा है.


क्या कहते हैं अर्थशास्त्री - राजस्व कर्मचारी की नियुक्ति एसएससी के माध्यम से होती है, जिस वजह से कहीं ना कहीं कई तरह की समस्याएं भी उत्पन्न होती हैं. जरूरत है कि अब बिहार में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के कर्मचारियों की नियुक्ति भी बीपीएससी के माध्यम से कराया जाए. ताकि किसी भी तरह की अनियमितता सामने नहीं आए. इसके साथ-साथ उन्होंने यह भी बताया कि मौजूदा वक्त में राज्य सरकार के पास अमीन को ट्रेनिंग देने का कोई भी प्रॉपर इंस्टिट्यूट नहीं है. ट्रेनिंग भी एक बड़ी समस्या है, जिस वजह से अमीन को ट्रेनिंग नहीं मिल पा रही है. जिस वजह से भूमि और राजस्व विभाग के काम करने का जो परफॉर्मेंस है, बहुत ही खराब है.

पब्लिक प्रॉसिक्यूटर की कमी से केस निपटारे में देरीः इसके अलावा उन्होंने बताया कि बिहार में पुलिस प्रॉसिक्यूटर अचल पूर्ण रूप से प्रभावी नहीं है. बिहार में महज 400 पब्लिक प्रॉसिक्यूटर है. जिस वजह से अपराधियों को कहीं ना कहीं स्पीडी ट्रायल चलाकर सजा दिलवाने में मुश्किलें हो रही है. उन्होंने बताया कि बिहार में कम से कम 1400 पब्लिक प्रॉसिक्यूटर की जरूरत है. इसके अलावा आम पब्लिक का कहीं ना कहीं पुलिस प्रॉसिक्यूटर और ज्यूडिशरी पर से विश्वास उठता जा रहा है. उन्होंने बताया कि बिहार में अपराध बढ़ने का एक और बड़ा कारण यह है कि बिहार में पब्लिक और पुलिस के बीच का रेशियो कम से कम डेढ़ सौ होना चाहिए यानी कि एक लाख पर 150 पुलिस होना अनिवार्य है. लेकिन मौजूदा वक्त में एक लाख की आबादी पर महज 77 पुलिसकर्मी हैं. तो कहीं ना कहीं पुलिस की कमी की वजह से अपराधिक वारदातों में वृद्धि हो रही है.

ये भी पढ़ें- हाल के दिनों में बढ़ा क्राइम ग्राफ, अपराधियों के आगे बेबस दिखी पटना पुलिस

देश में बढ़ती बेरोजगारी भी अपराध का बड़ा कारणः अर्थशास्त्री विद्यार्थी विकास की मानें तो बिहार ही नहीं पूरे देश में बेरोजगारी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. जिस वजह से युवा वर्ग बेरोजगारी के कारण गलत रास्ते को अपना रहे हैं, यही नहीं युवा वर्ग का ड्रग एडिक्शन की ओर झुकाव बढ़ रहा है. जिस वजह से उन्हें नशे की लत के लिए पैसे की जरूरत होती है. यह भी एक बड़ा कारण है कि बिहार में अपराध का ग्राफ बढ़ रहा है. आंकड़ों की मानें तो साल 2020 में कुल आपराधिक वारदात 257506 दर्ज किए गए थे. जिसमें से 3149 हत्या के मामले दर्ज हुए थे, इनमें से ज्यादातर मामले भूमि विवाद और रंगदारी से जुड़े हुए हैं. साल 2021 की बात करें तो कुल 282067 मामले दर्ज हुए थे. जिसमें से 2799 मामले हत्या के दर्ज हुए थे, इनमें से भूमि विवाद के मामले सबसे ज्यादा हैं.


सरकार ने भी माना जमीन विवाद को बड़ा कारणः आपको बता दें कि राज्य सरकार भी मानती है कि बिहार में जमीन विवाद के कारण कहीं ना कहीं आपराधिक वारदातों में वृद्धि हुई है. जिस वजह से राज्य सरकार के निर्देश पर पुलिस मुख्यालय ने एसपी और डीएम लेवल पर महीने में एक बार अनुमंडल स्तर पर 15 दिन पर और थाना स्तर पर हफ्ते में एक बार बैठक कर जगत ज्यादा भूमि विवाद के मामलों को समाधान करने का निर्देश दिया है. आंकड़ों की बात करें तो साल 2000-21 में कुल जिला स्तर पर अनुमंडल स्तर पर और प्रखंड स्तर पर 28875 बैठक की गई थी. वहीं, साल 2022 के जनवरी माह में कुल 4034 बैठक की गई और फरवरी माह में 3318 बैठक की गई.

आंकड़ों में ज्यादातर मामले भूमि विवाद से जुड़ेः पुलिस मुख्यालय की मानें तो साल 2021 में कुल 118266 मामले भूमि विवाद से जुड़े प्राप्त हुए थे, जिसमें से 89317 मामलों का निष्पादन किया गया था. वहीं, साल 2022 में अब तक 111710 मामले भूमि विवाद से जुड़ा प्राप्त हुआ है, जिसमें से 11332 मामलों का निष्पादन किया जा चुका है. भूमि विवाद के बढ़ते मामलों को देखते हुए बिहार सरकार के गृह विभाग के स्तर पर भूमि विभाग के अनुसार वन के लिए भूमि समाधान नामक पोर्टल भी विकसित किया जा रहा है, जल्द ही इसे लांच किया जाएगा.


ये भी पढ़ें- 'सुशासन' में बंदूकों की गर्जना: 'जंगलराज' को छोड़िए नीतीश जी, इन आंकड़ों को देख लीजिए

कमियों को लेकर क्या है मंत्री का कहनाः वहीं, इन कमियों को लेकर ईटीवी भारत ने भूमि सुधार विभाग के मंत्री रामसूरत राय से टेलीफोनिक बातचीत की. मंत्री रामसूरत राय ने बताया कि 8500 राजस्व कर्मचारी का पद है लेकिन महज 1700 कर्मी अभी कार्यरत हैं. उन्होंने बताया कि 4453 राजस्व कर्मचारी की बहाली की प्रक्रिया चल रही है. जो कि जल्द ही पूरी हो जाएगी. उन्होंने बताया कि राजस्व कर्मचारियों का स्टेट का डर बनाया जा रहा है. जिससे राजस्व कर्मचारियों का तबादला भी एक से दूसरे जिले में किया जा सकेगा. इससे भ्रष्टाचार पर भी अंकुश लगेगा.

1767 अमीन की होगी बहालीः मंत्री ने कहा कि मौजूदा वक्त में राजस्व कर्मचारी जिस जिले में बहाल होते हैं, वहीं से रिटायर करते हैं लेकिन कहीं ना कहीं स्टेट कैडर बन जाने के बाद दूसरे जिलों में भी उनका तबादला होगा. सरकारी अमीन की कमी को लेकर उन्होंने कहा कि 1767 अमीन की बहाली भी होनी है लेकिन कुछ अभ्यर्थियों ने कोर्ट में मामला दायर कर दिया है. जिस वजह से कोर्ट के आदेश का इंतजार है. उन्होंने बताया कि एक राजस्वकर्मी को तीन से चार हल्के का चार्ज दिया गया है, जिस वजह से काम में दिक्कत होती है.


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पटनाः बिहार के सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) का मानना है कि बिहार में जो क्राइम की घटनाएं होती हैं, उनमें ज्यादातर घटनाएं भूमि विवाद के कारण होती हैं. ये बात उन्होंने कई बार दोहराई है. इसे लेकर कई बार समीक्षा बैठक भी की गई. एक बार फिर बिहार में अपराध चरम पर है. आए दिन हत्या और लूट की घटनाएं सामने आ रही हैं, जिस पर एक बड़ी चर्चा शुरू हो गई है. ईटीवी भारत संवाददाता ने बढ़ते अपराध को लेकर अर्थशास्त्री विद्यार्थी विकास से बात की. अर्थशास्त्री विकास भी ये मानते हैं कि भूमि विवाद भी अपराध का सबसे बड़ा कारण है. उन्होंने कहा कि भूमि विवाद बढ़ने का कारण (Reason Of Crime Increase In Bihar) संस्थागत है, जिसके सही नहीं होने के कारण पूरा सिस्टम गड़बड़ है और अपराध में वृद्धि हो रही है. अर्थशास्त्री विकास ने इसकी कई वजहें बताई हैं.

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राजस्व कर्मचारियों की कमी से काम में देरीः बिहार में बढ़ रहे अपराध की सबसे बड़ी वजह रंगदारी और भूमि विवाद निकल कर सामने आ रही है. जो अपराध का एक बड़ा कारण माना जा रहा है. ज्यादातर हत्याएं भूमि विवाद के कारण हो रही हैं. अर्थशास्त्री विद्यार्थी विकास (Economist vidyarthi vikas) का कहना है कि कहीं ना कहीं इसमें भूमि एवं राजस्व विभाग की बड़ी कमी है. उन्होंने बताया कि बिहार में कुल 8445 पंचायत हैं, उतना ही हल्का भी है. जिस वजह से प्रत्येक हल्के में एक राजस्व कर्मचारी होना चाहिए लेकिन मौजूदा वक्त में महज 2000 कर्मचारी से पूरा पंचायत चल रहा है. जिस वजह से मौजूदा वक्त में भी चार से छह हल्का पर एक कर्मचारी मौजूद है. यही नहीं बिहार में कम से कम 2000 सरकारी अमीन होना चाहिए लेकिन मौजूदा वक्त में महज 300 सरकारी अमीन हैं. कहीं ना कहीं कर्मचारियों और अमीन की कमी के वजह से काम समय पर नहीं हो पा रहा है और कहीं ना कहीं भ्रष्टाचार को भी बढ़ावा मिल रहा है.


क्या कहते हैं अर्थशास्त्री - राजस्व कर्मचारी की नियुक्ति एसएससी के माध्यम से होती है, जिस वजह से कहीं ना कहीं कई तरह की समस्याएं भी उत्पन्न होती हैं. जरूरत है कि अब बिहार में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के कर्मचारियों की नियुक्ति भी बीपीएससी के माध्यम से कराया जाए. ताकि किसी भी तरह की अनियमितता सामने नहीं आए. इसके साथ-साथ उन्होंने यह भी बताया कि मौजूदा वक्त में राज्य सरकार के पास अमीन को ट्रेनिंग देने का कोई भी प्रॉपर इंस्टिट्यूट नहीं है. ट्रेनिंग भी एक बड़ी समस्या है, जिस वजह से अमीन को ट्रेनिंग नहीं मिल पा रही है. जिस वजह से भूमि और राजस्व विभाग के काम करने का जो परफॉर्मेंस है, बहुत ही खराब है.

पब्लिक प्रॉसिक्यूटर की कमी से केस निपटारे में देरीः इसके अलावा उन्होंने बताया कि बिहार में पुलिस प्रॉसिक्यूटर अचल पूर्ण रूप से प्रभावी नहीं है. बिहार में महज 400 पब्लिक प्रॉसिक्यूटर है. जिस वजह से अपराधियों को कहीं ना कहीं स्पीडी ट्रायल चलाकर सजा दिलवाने में मुश्किलें हो रही है. उन्होंने बताया कि बिहार में कम से कम 1400 पब्लिक प्रॉसिक्यूटर की जरूरत है. इसके अलावा आम पब्लिक का कहीं ना कहीं पुलिस प्रॉसिक्यूटर और ज्यूडिशरी पर से विश्वास उठता जा रहा है. उन्होंने बताया कि बिहार में अपराध बढ़ने का एक और बड़ा कारण यह है कि बिहार में पब्लिक और पुलिस के बीच का रेशियो कम से कम डेढ़ सौ होना चाहिए यानी कि एक लाख पर 150 पुलिस होना अनिवार्य है. लेकिन मौजूदा वक्त में एक लाख की आबादी पर महज 77 पुलिसकर्मी हैं. तो कहीं ना कहीं पुलिस की कमी की वजह से अपराधिक वारदातों में वृद्धि हो रही है.

ये भी पढ़ें- हाल के दिनों में बढ़ा क्राइम ग्राफ, अपराधियों के आगे बेबस दिखी पटना पुलिस

देश में बढ़ती बेरोजगारी भी अपराध का बड़ा कारणः अर्थशास्त्री विद्यार्थी विकास की मानें तो बिहार ही नहीं पूरे देश में बेरोजगारी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. जिस वजह से युवा वर्ग बेरोजगारी के कारण गलत रास्ते को अपना रहे हैं, यही नहीं युवा वर्ग का ड्रग एडिक्शन की ओर झुकाव बढ़ रहा है. जिस वजह से उन्हें नशे की लत के लिए पैसे की जरूरत होती है. यह भी एक बड़ा कारण है कि बिहार में अपराध का ग्राफ बढ़ रहा है. आंकड़ों की मानें तो साल 2020 में कुल आपराधिक वारदात 257506 दर्ज किए गए थे. जिसमें से 3149 हत्या के मामले दर्ज हुए थे, इनमें से ज्यादातर मामले भूमि विवाद और रंगदारी से जुड़े हुए हैं. साल 2021 की बात करें तो कुल 282067 मामले दर्ज हुए थे. जिसमें से 2799 मामले हत्या के दर्ज हुए थे, इनमें से भूमि विवाद के मामले सबसे ज्यादा हैं.


सरकार ने भी माना जमीन विवाद को बड़ा कारणः आपको बता दें कि राज्य सरकार भी मानती है कि बिहार में जमीन विवाद के कारण कहीं ना कहीं आपराधिक वारदातों में वृद्धि हुई है. जिस वजह से राज्य सरकार के निर्देश पर पुलिस मुख्यालय ने एसपी और डीएम लेवल पर महीने में एक बार अनुमंडल स्तर पर 15 दिन पर और थाना स्तर पर हफ्ते में एक बार बैठक कर जगत ज्यादा भूमि विवाद के मामलों को समाधान करने का निर्देश दिया है. आंकड़ों की बात करें तो साल 2000-21 में कुल जिला स्तर पर अनुमंडल स्तर पर और प्रखंड स्तर पर 28875 बैठक की गई थी. वहीं, साल 2022 के जनवरी माह में कुल 4034 बैठक की गई और फरवरी माह में 3318 बैठक की गई.

आंकड़ों में ज्यादातर मामले भूमि विवाद से जुड़ेः पुलिस मुख्यालय की मानें तो साल 2021 में कुल 118266 मामले भूमि विवाद से जुड़े प्राप्त हुए थे, जिसमें से 89317 मामलों का निष्पादन किया गया था. वहीं, साल 2022 में अब तक 111710 मामले भूमि विवाद से जुड़ा प्राप्त हुआ है, जिसमें से 11332 मामलों का निष्पादन किया जा चुका है. भूमि विवाद के बढ़ते मामलों को देखते हुए बिहार सरकार के गृह विभाग के स्तर पर भूमि विभाग के अनुसार वन के लिए भूमि समाधान नामक पोर्टल भी विकसित किया जा रहा है, जल्द ही इसे लांच किया जाएगा.


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कमियों को लेकर क्या है मंत्री का कहनाः वहीं, इन कमियों को लेकर ईटीवी भारत ने भूमि सुधार विभाग के मंत्री रामसूरत राय से टेलीफोनिक बातचीत की. मंत्री रामसूरत राय ने बताया कि 8500 राजस्व कर्मचारी का पद है लेकिन महज 1700 कर्मी अभी कार्यरत हैं. उन्होंने बताया कि 4453 राजस्व कर्मचारी की बहाली की प्रक्रिया चल रही है. जो कि जल्द ही पूरी हो जाएगी. उन्होंने बताया कि राजस्व कर्मचारियों का स्टेट का डर बनाया जा रहा है. जिससे राजस्व कर्मचारियों का तबादला भी एक से दूसरे जिले में किया जा सकेगा. इससे भ्रष्टाचार पर भी अंकुश लगेगा.

1767 अमीन की होगी बहालीः मंत्री ने कहा कि मौजूदा वक्त में राजस्व कर्मचारी जिस जिले में बहाल होते हैं, वहीं से रिटायर करते हैं लेकिन कहीं ना कहीं स्टेट कैडर बन जाने के बाद दूसरे जिलों में भी उनका तबादला होगा. सरकारी अमीन की कमी को लेकर उन्होंने कहा कि 1767 अमीन की बहाली भी होनी है लेकिन कुछ अभ्यर्थियों ने कोर्ट में मामला दायर कर दिया है. जिस वजह से कोर्ट के आदेश का इंतजार है. उन्होंने बताया कि एक राजस्वकर्मी को तीन से चार हल्के का चार्ज दिया गया है, जिस वजह से काम में दिक्कत होती है.


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