पटना: बिहार में दुर्गावती जलाशय योजना (Durgawati Reservoir Project) पिछले पांच दशक में भी पूरी तरह से तैयार नहीं हो सकी. 1961 में दुर्गावती जलाशय योजना बनाई गई थी. उस समय केवल 25 करोड़ रुपये के आसपास ही खर्च होने का अनुमान लगाया गया था. लेटलतीफी के कारण अब तक 1000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च हो चुके हैं.
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योजना की आधारशिला 1976 में तत्कालीन उप प्रधानमंत्री जगजीवन राम (Jagjivan Ram) ने रखी थी. इसके 30 साल बाद तक इस पर ग्रहण लगता रहा. 2005 में नीतीश कुमार की पहल पर इसकी बाधाओं को दूर करने की कोशिश शुरू हुई और 2012 में फिर से काम शुरू हुआ. पांच दशक के बाद भी अभी भी योजना पूरी नहीं हुई है. दुर्गावती जलाशय योजना केंद्र सरकार और राज्य सरकार की उपेक्षा का शिकार रहा है.
दुर्गावती जलाशय योजना का लाभ कैमूर और रोहतास जिले के किसानों को मिलना है. अभी भी यहां के किसान डैम और उससे जो नहर निकली है उसका लाभ ले रहे हैं, लेकिन इस योजना में जितनी नहरें बनाई जानी है वे नहीं बनी हैं. इसके कारण बड़े हिस्से में सिंचाई की सुविधा अभी भी उपलब्ध नहीं हो पाई है. सही ढंग से खेतों तक पानी नहीं पहुंच रहा है.
पूरी योजना तैयार होने पर 33 हजार हेक्टेयर जमीन की सिंचाई की सुविधा मिलेगी, लेकिन अभी 20 हजार हेक्टेयर जमीन की ही सिंचाई हो पा रही है. विलंब होने के कारण जमीन अधिग्रहण की समस्या भी जटिल होती गई और इसके कारण अब दुर्गावती जलाशय योजना से निकलने वाले कई नहरों को पूरा करना आसान नहीं है.
दुर्गावती जलाशय योजना की महत्वपूर्ण बातें
1- 1961 में बनी दुर्गावती जलाशय परियोजना.
2- 1976 में इस पर शुरू हुआ काम. उप प्रधानमंत्री जगजीवन राम ने परियोजना की आधारशिला रखी थी.
3. इसके बाद 30 साल तक काम नहीं हो सका. 2005 में नीतीश कुमार के आने के बाद इसकी बाधाएं दूर करने की कोशिश हुई.
4. 2011 में वन विभाग ने एनओसी दिया. 2012 में फिर से इस पर काम शुरू हुआ.
5. 2014 में तत्कालीन मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने योजना के डैम भाग का उद्घाटन किया.
6. दुर्गावती दाएं और बाएं नहर से 16 हजार हेक्टेयर और कुदरा बीयर योजना से लगभग 17 हजार हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होगी.
10. इस साल काम पूरा होने का लक्ष्य जल संसाधन विभाग ने रखा है.
ट्रैक पर है काम
लेटलतीफी के मामले में दुर्गावती जलाशय का कोई जोर नहीं है. योजना कांग्रेस शासन के साथ 15 साल लालू, राबड़ी और फिर 16 साल नीतीश कुमार के शासन में भी पूरा नहीं हुआ. जल संसाधन विभाग के मंत्री संजय झा ने कहा, 'इस योजना का काम ट्रैक पर है. कुछ समय जरूर लगेगा, लेकिन यह योजना पूरी हो जाएगी.'
"हम लोग तो हर खेत तक सिंचाई की योजना पर काम कर रहे हैं. विभाग ने लगभग 100% सर्वे कर लिया है. आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह लंबे समय तक जल संसाधन विभाग के मंत्री रहे. दुर्गावती उनके क्षेत्र की योजना थी, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया."- संजय झा, मंत्री, जल संसाधन विभाग
"बिहार में 16 साल से डबल इंजन की सरकार है. इसके बावजूद योजना पूरी नहीं हुई. जिस गति से इस पर काम होना चाहिए था वह हुआ नहीं. ऐसे में इसे पूरा होने में अभी और समय लगना तय है."-रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार
बता दें कि नदी जोड़ योजना और सिंचाई योजना को लेकर लगातार बिहार में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप लगाया जाता है, लेकिन सच्चाई यह है बिहार की चाहे दुर्गावती जलाशय योजना हो या फिर कोसी मेची नदी जोड़ योजना या फिर अन्य सिंचाई योजना. केंद्र और राज्य सरकार के उपेक्षा पूर्ण रवैया का शिकार होती रही है.
हर बार चुनाव के समय दुर्गावती जलाशय योजना की चर्चा जरूर होती है. चुनाव के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस योजना की चर्चा की थी. लगातार लेटलतीफी के कारण 1961 में जिस तरह से योजना जमीन पर उतारने की रणनीति बनाई गई थी अब पूरा होना आसान नहीं है.
जल संसाधन मंत्री संजय झा का कहना है कि 39610 हेक्टेयर इस योजना की परिकल्पित सिंचाई क्षमता है. ऐसे इस योजना से अधिक से अधिक किसानों को लाभ मिले इसकी कोशिश हो रही है. यह देखना दिलचस्प है कि जो दुर्गावती जलाशय योजना पिछले 5 दशकों से जमीन पर नहीं उतर सकी पूरी तरह से कब तैयार होती है. ऐसे लक्ष्य इसी साल पूरा करने का रखा गया है.
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