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PMCH में ड्रेसर की भारी कमी, बाहर से भी बुलाकर करानी पड़ती है मरीजों की ड्रेसिंग

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Published : Aug 4, 2021, 8:18 PM IST

पीएमसीएच (PMCH) में ड्रेसर की कमी का आलम ये है कि एक व्यक्ति 3 से 4 वार्डों का जिम्मा संभाल रहा है, जिस वजह से कई बार समय पर ड्रेसर उपलब्ध नहीं हो पाते हैं. मरीजों के परिजनों की मानें तो ऐसी स्थिति में बाहर से ड्रेसर बुलाकार ड्रेसिंग करानी पड़ती है.

PMCH
PMCH

पटना: बिहार के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल पीएमसीएच (PMCH) में ड्रेसर (Dresser) की कमी है. सर्जरी वाले मरीजों को ड्रेसिंग के लिए ड्रेसर की काफी जरूरत पड़ती है. ऐसे में गरीब मरीजों को कई बार बाहर से भी ड्रेसर बुलाने पड़ जाते हैं. इसके लिए उन्हें 500 से 1000 रुपए तक खर्च करना पड़ जाता है. अस्पताल प्रबंधन को भी इसकी जानकारी है, लेकिन इस ओर कोई पहल नहीं हो रही है.

ये भी पढ़ें- 10 माह पहले CM नीतीश ने किया था उद्घाटन, कब शुरू होगा PMCH का न्यू सर्जिकल भवन?

पीएमसीएच के महिला वार्ड में एडमिट मरीज के परिजन सुरेश कुमार ने बताया कि वह मधुबनी जिले से आए हुए हैं और उनके पेशेंट की 4 दिन पहले पैर की सर्जरी हुई. सर्जरी के बाद आज मरीज की परेशानी काफी बढ़ गई थी और ड्रेसिंग की जरूरत थी. ऐसे में जब वह ड्रेसर ढूंढने निकले तो अस्पताल के जो ड्रेसर हैं, वह किसी अन्य कार्य में व्यस्त थे. जिस वजह से मरीज की हालत को देखते हुए उन्हें बाहर से ड्रेसर बुलाना पड़ा.

देखें रिपोर्ट

इस मसले पर अस्पताल के ड्रेसर मनीष कुमार ने बताया कि 2006 में उन लोगों की संविदा पर बहाली कराई गई थी. उस समय अस्पताल में जितने भी एएनएम, जीएनएम, लैब टेक्नीशियन और अन्य टेक्निकल स्टाफ की बहाली हुई थी, सभी को अस्पताल में स्थायी तौर पर नियुक्त कर दिया गया है लेकिन ड्रेसर की स्थायी नियुक्ति नहीं की गई है. वे बताते हैं कि इसको लेकर कई बार पत्र लिख चुके हैं और विभाग के अधिकारियों से मुलाकात भी की, लेकिन कुछ नहीं हुआ.

ये भी पढ़ें- PMCH अधीक्षक का फरमान, अस्पताल के पदाधिकारियों और चिकित्सकों के मीडिया से बात करने पर रोक

मनीष कुमार की मानें तो प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत से उन्होंने इस मसले को लेकर मिलने का प्रयास किया है, लेकिन वह मिलते नहीं हैं. जबकि अस्पताल प्रबंधन की तरफ से इस मसले पर कोई सुनवाई नहीं होती. ऐसे में वह लोग अपनी समस्या को लेकर जनता दरबार में जाने का प्रयास कर रहे हैं. उनकी मांग है कि अस्पताल में 7 ड्रेसर, जो साल 2006 से कार्य कर रहे हैं, उनकी स्थायी नियुक्ति की जाए. साथ ही जितने भी ड्रेसर के पद खाली हैं, उसे अविलंब भरा जाए.

वहीं, ड्रेसर पवन कुमार कहते हैं कि एक ड्रेसर अभी के समय में 3 से 4 वार्ड का जिम्मा संभाल रहा है. एक ड्रेसर चार व्यक्ति का काम कर रहा है, ऐसे में जरूरी है कि जितने भी ड्रेसर के खाली पद हैं उसे भरा जाए. उन्होंने कहा कि साल 2006 में ड्रेसर के 32 पद स्वीकृत किए गए थे, जबकि उसके बाद कई अन्य विभाग भी बढ़े हैं. ऐसे में अभी के समय ड्रेसर के पद अस्पताल में और अधिक बढ़ने चाहिए. आपको बताें कि इस मसले पर जब ईटीवी संवाददाता ने अस्पताल प्रबंधन का पक्ष जानने की कोशिश की तो अधीक्षक ने मिलने से इनकार कर दिया.

पटना: बिहार के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल पीएमसीएच (PMCH) में ड्रेसर (Dresser) की कमी है. सर्जरी वाले मरीजों को ड्रेसिंग के लिए ड्रेसर की काफी जरूरत पड़ती है. ऐसे में गरीब मरीजों को कई बार बाहर से भी ड्रेसर बुलाने पड़ जाते हैं. इसके लिए उन्हें 500 से 1000 रुपए तक खर्च करना पड़ जाता है. अस्पताल प्रबंधन को भी इसकी जानकारी है, लेकिन इस ओर कोई पहल नहीं हो रही है.

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पीएमसीएच के महिला वार्ड में एडमिट मरीज के परिजन सुरेश कुमार ने बताया कि वह मधुबनी जिले से आए हुए हैं और उनके पेशेंट की 4 दिन पहले पैर की सर्जरी हुई. सर्जरी के बाद आज मरीज की परेशानी काफी बढ़ गई थी और ड्रेसिंग की जरूरत थी. ऐसे में जब वह ड्रेसर ढूंढने निकले तो अस्पताल के जो ड्रेसर हैं, वह किसी अन्य कार्य में व्यस्त थे. जिस वजह से मरीज की हालत को देखते हुए उन्हें बाहर से ड्रेसर बुलाना पड़ा.

देखें रिपोर्ट

इस मसले पर अस्पताल के ड्रेसर मनीष कुमार ने बताया कि 2006 में उन लोगों की संविदा पर बहाली कराई गई थी. उस समय अस्पताल में जितने भी एएनएम, जीएनएम, लैब टेक्नीशियन और अन्य टेक्निकल स्टाफ की बहाली हुई थी, सभी को अस्पताल में स्थायी तौर पर नियुक्त कर दिया गया है लेकिन ड्रेसर की स्थायी नियुक्ति नहीं की गई है. वे बताते हैं कि इसको लेकर कई बार पत्र लिख चुके हैं और विभाग के अधिकारियों से मुलाकात भी की, लेकिन कुछ नहीं हुआ.

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मनीष कुमार की मानें तो प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत से उन्होंने इस मसले को लेकर मिलने का प्रयास किया है, लेकिन वह मिलते नहीं हैं. जबकि अस्पताल प्रबंधन की तरफ से इस मसले पर कोई सुनवाई नहीं होती. ऐसे में वह लोग अपनी समस्या को लेकर जनता दरबार में जाने का प्रयास कर रहे हैं. उनकी मांग है कि अस्पताल में 7 ड्रेसर, जो साल 2006 से कार्य कर रहे हैं, उनकी स्थायी नियुक्ति की जाए. साथ ही जितने भी ड्रेसर के पद खाली हैं, उसे अविलंब भरा जाए.

वहीं, ड्रेसर पवन कुमार कहते हैं कि एक ड्रेसर अभी के समय में 3 से 4 वार्ड का जिम्मा संभाल रहा है. एक ड्रेसर चार व्यक्ति का काम कर रहा है, ऐसे में जरूरी है कि जितने भी ड्रेसर के खाली पद हैं उसे भरा जाए. उन्होंने कहा कि साल 2006 में ड्रेसर के 32 पद स्वीकृत किए गए थे, जबकि उसके बाद कई अन्य विभाग भी बढ़े हैं. ऐसे में अभी के समय ड्रेसर के पद अस्पताल में और अधिक बढ़ने चाहिए. आपको बताें कि इस मसले पर जब ईटीवी संवाददाता ने अस्पताल प्रबंधन का पक्ष जानने की कोशिश की तो अधीक्षक ने मिलने से इनकार कर दिया.

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