पटना: बिहार सरकार के गृह विभाग के द्वारा संकल्प जारी कर जानकारी दी गई कि दुष्कर्म के झूठे मामले को सुपरविजन में सत्य करार देने वाले नरकटियागंज के तत्कालीन डीएसपी निसार अहमद को महंगा पड़ गया है. उन्हें डीएसपी के पद से डिमोट करते हुए फिर से इंस्पेक्टर बनाने की सजा दी गई है. अब उन्हें इसी पद पर अस्थाई रूप से रहने का निर्देश दिया गया है.
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नकेल कसने की कोशिश
बता दें कि उनके ऊपर विभागीय कार्रवाई चल रही थी. जिसके बाद उन्हें यह सजा दी गई है. हालांकि गृह विभाग के आरक्षी शाखा द्वारा जारी किए गए पत्र के मुताबिक अब उन्हें निलंबन से मुक्त कर दिया गया है. विभागीय कार्रवाई के दौरान वह निलंबित थे. बिहार में इन दिनों बिहार सरकार डीएसपी पर नकेल कसने की पूरी कोशिश में जुटी हुई है. दरअसल बिहार सरकार को लगातार शिकायत मिल रही थी कि अनुमंडल में पदस्थापित डीएसपी लगातार केस के सुपरविजन में भारी धांधली कर रहे हैं.
इंस्पेक्टर के पद पर करेंगे कार्य
पुलिस मुख्यालय से मिल रही जानकारी के अनुसार अब तक 2 दर्जन से अधिक एसडीपीओ और डीएसपी पर कार्रवाई की गई है. नरकटियागंज के तत्कालीन डीएसपी भी वर्तमान में निलंबित चल रहे थे. निसार अहमद को सरकार ने डिमोट कर इंस्पेक्टर बना दिया है. अब यह उस क्षेत्र के डीएसपी के अंडर में इंस्पेक्टर के पद पर कार्य करेंगे. बता दें पश्चिम चंपारण के नरकटियागंज स्थित साठी थाना में 160/2018 दर्ज किया गया था. यह कांड चिंता देवी नामक महिला द्वारा बेतिया कोर्ट में दायर परिवाद के आधार पर दर्ज हुआ था.
अनुसंधान में लापरवाही का आरोप
इस मामले में पुणे के सार्थक थाना के रहने वाले जरार शेरखर को नामजद अभियुक्त बनाया गया था. जरार शेरखर पर आरोप था कि शादी का झांसा देकर उसने महिला के साथ शारीरिक संबंध बनाया है. जबकि उनके परिवार वालों का कहना है कि वह कभी बिहार आया ही नहीं था. दुष्कर्म के झूठे मामले को सत्य करार देने को लेकर यह मामला दर्ज कराया गया था. नरकटियागंज के तत्कालीन डीएसपी निसार अहमद पर पद पर रहते हुए अनुसंधान में भारी लापरवाही का आरोप लगाए गया था. जिसके बाद जांच बैठाई गई.
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जांच के दौरान आरोप प्रमाणित पाया गया. जिसके बाद तिरहुत के आईजी को विभागीय कार्रवाई संचालन में संचालक पदाधिकारी नियुक्त किया गया. संचालन पदाधिकारी ने भी आरोप को प्रमाणित पाया और सजा में डिमोट करने का निर्णय सुना दिया गया.